21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Mere Ram (धार्मिक टूरिज्म ): भगवान राम की तपोस्थली, यहां आपको भी जरूर जाना चाहिए

त्रेता युग वह समय, जब राम महल के सुख त्याग कर वनवासी बने...वनवास के 14 साल में से साढ़े 11 साल का समय उन्होंने चित्रकूट में गुजारे...इसीलिए कहा जाता है चित्रकूट में कण-कण में राम बसे हैं...अगर आप भी धार्मिक टूरिज्म पर जाना चाहते हैं, तो राम की कर्मभूमि, तपोस्थली चित्रकूट में आपका स्वागत है...यहां हम आपको बता रहे हैं चित्रकूट के उन स्थलों के बारे में जो आज भी राम कथा सुनाते हैं...जहां न केवल धर्म-कर्म बल्कि प्राकृतिक सुंदरता भी आपका मन मोह लेगी...

3 min read
Google source verification

सतना

image

Sanjana Kumar

Jan 29, 2024

ram_mandir_ram_vanvas__in_chitrakoot_madhya_pradesh_religious_tourism_mp_how_to_go.jpg

अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद हर कोई भगवान श्रीराम के दर्शन करना चाहता है, उनके बारे में पढऩा और जानना चाहता है...और मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम के बारे में जानने के लिए चित्रकूट से बेहतर जगह और कोई नहीं हो सकती। रामलला ने अयोध्या में जन्म जरूर लिया, लेकिन अपनी युवा अवस्था का लंबा समय यहीं गुजारा। दरअसल यह त्रेता युग का वह समय था, जब राम महल के सुख त्याग कर वनवासी बने...वनवास के 14 साल में से साढ़े 11 साल का समय उन्होंने चित्रकूट में गुजारे...इसीलिए कहा जाता है चित्रकूट में कण-कण में राम बसे हैं...अगर आप भी धार्मिक टूरिज्म पर जाना चाहते हैं, तो राम की कर्मभूमि, तपोस्थली चित्रकूट में आपका स्वागत है...यहां हम आपको बता रहे हैं चित्रकूट के उन स्थलों के बारे में जो आज भी राम कथा सुनाते हैं...जहां न केवल धर्म-कर्म बल्कि प्राकृतिक सुंदरता भी आपका मन मोह लेगी...

रामघाट

मंदाकिनी नदी के तट पर बने इस रामघाट पर श्रीराम ने अपने दिवंगत पिता के साथ ही अन्य पूर्वजों का तर्पण और पिण्डदान किया था। मान्यता है कि रामघाट ऐसा स्थल है, जहां श्रीराम हर दिन स्नान किया करते थे। यहां भगवान ब्रह्मा ने 108 अंग्नि कुंडों के साथ हवन किया था। आज यहां हजारों श्रद्धालु राम नाम की डुबकी लगाते हैं। प्रभु श्रीराम के नाम पर कई धार्मिक आयोजन यहां संपन्न किए जाते हैं। शाम को घाट पर होने वाली आरती मन को शांति देती है। इस घाट के दोनों तरफ मंदिर बने हुए हैं। यहां पर्यटक नौका विहार का आनन्द लेते हैं। यहां तुलसीदास की भी प्रतिमा स्थापित है। हर शाम 6 बजे मंदाकिनी नदी की आरती होती है। चित्रकूट के मुख्य स्टेशन से इसकी दूरी केवल 10 किलोमीटर है। रेलवे स्टेशन से ही आपको रामघाट आने के लिए आसानी से कई संसाधन मिल जाएंगे।

कामदगिरी

चित्रकूट में स्थित कामदगिरि पर्वत हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। लोकमान्यता है कि इस पर्वत पर श्रीराम ने सबसे ज्यादा समय बिताया। जब पर्वत छोड़कर वे जाने लगे तो पर्वत दुखी हो गया। तभी श्रीराम ने पर्वत को कामद होने का वरदान दिया। और कहा कि जो भी तुम्हारी परिक्रमा करेगा, उसकी हर इच्छा पूरी होगी। हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं और 5 किलोमीटर लंबी परिक्रमा करते हैं। माना जाता है कि परिक्रमा करके जो भी मांगो मिलता है। मन्नत पूरी होने पर फिर से लोग परिक्रमा कर मनौती उतारने आते हैं। इस पर्वत के चार द्वारा है,जो चारो दिशाओं में हैं। यहां भगवान राम के विग्रह रूप कामतानाथ में विराजमान है। बता दें कि चित्रकूट धाम रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी करीब 12 किलोमीटर है।

गुप्त गोदावरी

चित्रकूट का गुप्त गोदावरी बेहद खूबसूरत प्राकृतिक नजारों से आच्छादित स्थान है। गोदावरी में दो गुफाएं भी हैं। पहली गुफा चौड़ी और ऊंची है, जबकी दूसरी गुफा लंबी और संकरी है। इसमें हमेशा पानी बहता रहता है। गुफा के अंत में एक तालाब है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां भगवान राम का दरबार लगता था। चित्रकूट रेलवे स्टेशन से यह स्थान 18-20 किलामीटर की दूरी पर स्थित है।x

भरत कूप

चित्रकूट के भरत कूप के मंदिर में बने कुएं के बारे में कहा जाता है कि इस कूएं में कई पवित्र तीर्थों का जल है। दरअसल भगवान राम को अयोध्या के राजा के रूप में अभिषेक करने के लिए उनके भाई भरत ने सभी पवित्र तीर्थों का जल लाकर इस कुएं में एकत्रित किया था। इसीलिए इस कुएं का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। लोगों की मान्यता है कि इस जल में बीमारियों से लडऩे की शक्तियां हैं। जो भी इस जल से स्नान करता है, उसकी बीमारियां दूर हो जाती हैं। यह स्थान चित्रकूट रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर की दूरीपर स्थित है।

जानकी कुंड

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी सीता यहां प्रतिदिन स्नान किया करती थीं। यह खूबसूरत घाट मंदाकिनी नदी के किनारे बना हुआ है। यहां रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं। चित्रकूट से यह कुंड 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भरत मिलाप मंदिर परम कुटीर के पास भरत-मिलाप मंदिर स्थित है। माना जाता है कि भगवान राम और भाई भरत की मुलाकात यहीं हुई थी। इसीलिए इस स्थान का नाम भरत मिलाप पड़ा। इसी नाम से यहां मंदिर स्थापित किया गया। यहां भगवान राम के पद चिन्हों के निशान आज भी देखने को मिलते हैं।

स्टफिक शिला

मंदाकिनी नदी के किनारे स्टफिक शिला स्थित है यहां भगवान श्री राम के पैरों के निशान मिलते हैं। मान्यता यह भी है कि यही वो शिला है, जहां माता सीता शृंगार किया करती थीं।

कैसे पहुंचे यहां

वायु मार्ग

निकटतम हवाई अड्डा खजुराहो एयरपोर्ट है।

ट्रेन से

यह 3 रेलवे स्टेशन से जुड़ा है ,1. चित्रकूट धाम (करबी उत्तर प्रदेश) - चित्रकूट कार्बी 10 किमी दूर है। चित्रकूट धाम रेलवे स्टेशन से कम दूरी है। यहां से आप बस, टैक्सी या सड़क परिवहन के किसी अन्य माध्यम से पहुंच सकते हैं।

2. मझगवां (एमपी रेलवे स्टेशन)- चित्रकूट 34 किमी की दूरी पर है। मझगवां तहसील मुख्य कार्यालय से बस द्वारा पहुंचा जा सकता है

3. सतना (एमपी रेलवे स्टेशन) - सतना मुख्य रेलवे स्टेशन है। यहां से चित्रकूट 78 किलोमीटर की दूरी पर है। स्टेशन से बस द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है, निजी टैक्सी भी आसानी से मिल जाती है।

सड़क मार्ग

सतना जिला मुख्यालय से दूरी लगभग 78 किलोमीटर है। यहां आसानी से निजी टैक्सी कर सकते हैं। बस के माध्यम से भी पहुंच सकते हैं।