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डकैतों के टारगेट में हम नहीं कोई और था, दूसरे दिन खिलाया रोटी-भर्ता, 12 लाख फिरौती देने की भी चर्चा

बगदरा घाटी अपहरणकांड: पुलिस के दबाव में आकर अपहृतों को छोड़ा, 6 किमी. पैदल चलने के बाद मिली पक्की सड़क

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Retired SDO And two others after paying ransom Released in satna

Retired SDO And two others after paying ransom Released in satna

सतना। बगदरा घाटी से अगवा किए गए वन विभाग के रिटायर्ड अधिकारी-कर्मचारी समेत ड्राइवर 60 घंटे बाद सकुशल अपने घर पहुंच गए। गुरुवार शाम करीब 6 बजे जंगल से निकलने के बाद देररात घर पहुंचते ही तीनों परिवारों ने सुकून की सांस ली। डकैतों ने अपहरण करने के बाद तीनों की रिहाई के लिए 50 लाख रुपए की फिरौती मांगी थी। पकड़ छूटने के साथ यह चर्चा तेज रही कि 12 लाख रुपए लेकर डकैतों ने तीनों को मुक्त किया है। लेकिन, पुलिस और पीडि़त यही कर रहे कि पुलिस के बढ़ते दबाव के कारण उन्हें रिहा कर दिया गया।

अपहृतों की वापसी के बाद अब पुलिस ने दस्यु दलों को टारगेट पर लेते हुए सर्चिंग तेज कर दी है। आइजी उमेश जोगा, डीआइजी अविनाश शर्मा ने पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह गौर को दस्यु उन्मूलन अभियान में तेजी लाने को कहा है। ताकि दस्यु दल चुनाव प्रभावित न कर सकें। शुक्रवार की शाम आइजी, डीआइजी मझगवां से रीवा के लिए रवाना हो गए। जबकि एसपी गौर ने जिला मुख्यालय वापसी कर ली।

ये है मामला
बता दें कि वन विभाग से रिटायर्ड अधिकारी रामाश्रय पाण्डेय, वन विभाग से ही सेवानिवृत्त कर्मचारी सुरेश और कार चालक मुन्ना सेन के साथ कार एमपी 18 सी 5667 में 22 अक्टूबर को चित्रकूट गए थे। 23 को इलाज कराने के बाद वहां से लौटते समय डकैतों ने बगदरा घाटी में कार पर गोली चला दी थी। कार रुकते ही डकैतों ने तीनों को अगवा किया और जंगल की ओर ले गए थे। इस दौरान बगदरा घाटी से गुजर रहे रंगी लाल मवासी, राजकुमार सोनी समेत अन्य वाहन चालकों के मोबाइल फोन डकैत लूट ले गए थे।

गैंग लीडर को सभी भैया कहते हैं
डकैतों के चंगुल से छूटने के बाद रीवा स्थित अपने घर पहुंचे पीडि़तों का कहना है कि डकैतों का टारगेट वह नहीं थे, बल्कि कोई और था। पकड़ कर जंगल ले जाने के बाद डकैतों ने कोई ज्यादती नहीं की। जंगल में पैदल चलने के बाद एक नदी के पास रुके थे। वहां दूसरे दिन शाम को आलू का भर्ता और रोटी भरपेट खाने को मिली। डकैत अपने पास चटाई रखे थे, जिस पर रात को लेटे थे। गैंग लीडर को गिरोह में सभी सदस्य भइया कहकर बुलाते हैं।

घेरा बनाकर डकैत दूर-दूर बैठते थे
जब गैंग लीडर की पत्नी का फोन उसके पास आया तो पुलिस की बात भी फोन पर हुई। इसके बाद डकैत नरम पड़ गए। घेरा बनाकर डकैत दूर-दूर बैठते थे। इनकी संख्या सात से आठ थी। बार-बार बंदूख से गोली निकाल कर साफ करते थे, जिससे डर भी लगा कि कहीं गोली न मार दें। पूछे जाने पर सुरेश और मुन्ना ने कहा कि डकैतों ने उनके आंख पर पट्टी नहीं बांधी। गुरुवार की शाम घने जंगल से सुरक्षित माहौल देते हुए बाहर की ओर छोड़ गए थे। वहां से करीब छह किमी पैदल चलने के बाद पक्का रास्ता मिल गया था।

सड़क ठेकेदार निशाने पर
सूत्रों का कहना है कि चित्रकूट-सतना मार्ग पर सड़क निर्माण कराने वाले अशोक सिंह व संजय सिंह से रंगदारी वसूलने के लिए डकैत गिरोह पिछले छह महीनों से संपर्क बना रहा है। लेकिन दस्यु दल को पैसा नहीं मिला। इसलिए डकैतों ने काम बंद कराने की नियत से ठेकेदार के कैम्प पर हमला किया था। वापसी में जब सामने से आ रही कार को रोका और सवारों से पूछताछ की तो डकैतों ने फिरौती के लिए तीनों को अगवा कर लिया।

अफसरों की वापसी
अपहृतों के रिहा होने के बाद उन पुलिस अधिकारियों की तराई से वापसी कर दी गई जो मौजूदा समय में थानों के प्रभारी हैं और पूर्व में दस्यु उन्मूलन अभियान में काम कर चुके हैं। एसपी ने बताया कि अब लगातार सर्चिंग कराई जा रही है। मुखबिर तंत्र भी मजबूत कर रहे हैं। पुलिस की अलग-अलग टीमों को टास्क दिया गया।

पीड़ितों के होंगे बयान
एसपी ने बताया कि रिहा होने की सूचना मिल चुकी थी। तीनों पीडि़तों के अभी बयान नहीं हुए हैं। तीनों सकुशल अपने घर पहुंच गए हैं। स्वस्थ्य होने के बाद बयान लिए जाएंगे। जरूरत पडऩे पर पीडि़तों को मौका जंगल भी लाया जा सकता है। तब यह स्पष्ट हो सकेगा कि अपहरण के बाद डकैतों ने कहां रखा और किस जगह पर छोड़कर गए।

ठेकेदार बने माध्यम
तराई से जुड़े सूत्रों का कहना है कि डकैतों तक फिरौती की रकम पहुंचाने में तेंदूपत्ता के ठेकेदार माध्यम बने थे। इन्हीं के जरिए अपहृतों के परिजनों ने रकम भेजी है। लेकिन रिहाई के बाद इस बात को अब उजागर नहीं किया जा रहा। पुलिस अधिकारी अपनी नाक ऊंची रखने दबाव में पकड़ छूटने का दावा किया जा रहा है।

सुरक्षित करना होगा इलाका
अपहरण कांड से पुलिस ने सबक लिया है। अब तक दस्यु उन्मूलन अभियान पर जोर नहीं था। लेकिन अब पुलिस ने नजर तेज कर दी है। दस्यु भावित इलाके में काम कर चुके एेसे अधिकारी व कर्मचारियों की टीम बनाई गई है जो जानकार हैं और काम करने की नियत रखते हैं। यह टीम लगातार एसपी, आइजी, डीआइजी के संपर्क में रहकर काम करेगी।