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एग्जाम ने बढ़ाई मॉम की टेंशन, सास-बहू सीरियल सहित इन कार्यों पर लगा ब्रेक

बच्चों के भी टीवी देखने, गॉशिप करने पर लगाया फुलस्टाप

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Saas Bahu TV Serials Brake Tension of exam in satna mother

Saas Bahu TV Serials Brake Tension of exam in satna mother

सतना। बोर्ड एग्जाम हो या फिर होम, इनके आते ही स्टूडेंट्स के साथ उनकी मम्मी का शेड्यूल भी बदल गया है। इसके चलते वह कुछ टेंशन में दिखाई दे रही हैं। सुबह सात बजे बिस्तर छोडऩे वाली मम्मियों की नींद अब पांच बजे खुलने लगी है। उन्होंने टेलीविजन पर सास-बहू का सीरियल देखना बंद कर दिया है। अपने बच्चों के एग्जाम में पूरा फोकस कर रही हैं।

घर से बाहर निकलना तो दूर पड़ोसियों से गॉशिप करना बंद हो चुका है। हमेशा शॉपिंग जाने वाली मॉम अब पूरी तरह से बच्चों को एग्जाम की तैयारी कराने में मदद कर रही हैं। एग्जाम की वजह से इस समय कई घरों में माहौल पूरी तरह से बदला हुआ दिखाई दे रहा है। यह स्थिति सिर्फ 10वीं या 12वीं पढऩे वाले बच्चों की ही नहीं बल्कि सेकंड और थर्ड क्लास बच्चों की मम्मियों की भी है।

दिनभर रहना पड़ता है व्यस्त
भरहुत नगर कॉलोनी में रहने वाली शुभ्रा शर्मा का कहना है, जबसे बच्चों के एग्जाम शुरू हुए हैं पूरा दिन व्यस्त रहती हूं। सुबह पांच बजे उठने के बाद रात को 11 बजे के बाद ही आराम करने को मिलता है। बड़े बेटे का बोर्ड एग्जाम है और छोटे बेटे का स्कूल एग्जाम। पहले तो दोनों को पूरा-पूरा समय देना पड़ता है। बाकी समय परिवार के लोगों को। इस बीच बच्चों के लिए हेल्दी डाइट तैयार करना, उनको स्कूल तक पहुंचाना फिर लेकर आना, शाम को उनके साथ समय बिताना, रात में दूसरे दिन के एग्जाम की तैयारी करवाना पड़ता है। इस समय खुद के लिए भी समय नहीं निकल पा रहा।

दोपहर में सोना बंद कर दिया
पुष्पराज कॉलोनी गली नंबर चार में रहने वाली रेखा अग्रवाल का कहना है, उनकी बेटी 12वीं क्लास में है। बोर्ड एग्जाम होने की वजह से बेटी से ज्यादा टेंशन में हैं। इसलिए उन्होंने खुद की आदतों में कई बदलाव कर लिया है। उन्हें दोपहर के समय सोने की शुरू से आदत है, लेकिन फ रवरी के शुरू होते ही उन्होंने दिन में सोना बंद कर दिया है। वह खाली टाइम में खुद अपनी बेटी के सिलेबस को पढ़ती हैं। कहती हैं कि खुद के सिक्योर होने से कॉन्फि डेंस से बच्चे को पढ़ाया जा सकता है। जब उनकी बेटी एग्जाम देकर घर लौटती है तो पेपर में उसके कितने अंक आने वाले हैं उसका भी एक अनुमान लगा लेती हैं।

बदली सी दिनचर्या
दिनों जिन घरों के बच्चे एग्जाम दे रहे हैं उनके यहां सभी का शेड्यूल बदल गया है। नई बस्ती में रहने वाली सुधा गुप्ता का कहना है कि उनका बेटा 12वीं क्लास में है। उसके कैरियर की उन्हें काफी चिंता है। इसलिए स्कूल और ट्यूशन के अलावा वे खुद भी उस पर ध्यान दे रही हैं। वह कहती हैं कि बेटे के एग्जाम की वजह से सुबह 5 बजे जग जाती हैं और साथ में बेटे को जगा लेती हैं। वह बेटे को दोहरा दोहरा कर पढ़ाती हैं। उसकी आवाज से घर के अन्य सदस्य जग जाते हैं। उनके पति लेट आते थे, लेकिन अब वह भी छह बजे तक बिस्तर छोड़ कर बाहर वाक पर निकल जाते हैं।

बच्चों के लिए समझौता
- अधिक जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकल रही हैं।
- रिफ्रेसमेंट के लिए अगर बच्चा अपने साथियों के साथ खेल रहा है तो वह तब तक मौके पर रहती हैं जब तक उसका गेम खत्म नहीं हो जाता है।
- खाना सुबह के टाइम बनाना और बच्चे के स्कूल से लौटने तक दूसरे पेपर के सिलेबस को पढऩा।
- किटी पार्टी या अन्य समारोह में न के बराबर शामिल होना।

बच्चों के एग्जाम चल रहे हैं, इसलिए थोड़ा व्यस्त हो गई हंू। पूरा शेड्यूल ही बदल गया है। बहुत ही कम घर से बाहर निकलना हो पा रहा है।
अलका जैन, पन्नीलाल चौक

इस समय मेरा पूरा शेड्यूल बदल गया है। टीवी, शॉपिंग, गॉशिप पर कुछ दिनों के लिए ब्रेक लिया है। इससे पूरी तरह से बच्चों के एग्जाम में फोकस कर सकें।
मोहिनी, हाउसवाइफ