
Satna City traffic system news in hindi
सतना। शहर की यातायात व्यवस्था में ऑटो रिक्शा की धमाचौकड़ी रोकने जिला प्रशासन की ओर से निर्धारित शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के रूट का सख्ती से पालन कराया जाएगा। ऑटो रिक्शा संचालकों को उन्हें प्राप्त परमिट के अनुसार निर्धारित रूट पर ही ऑटो रिक्शा का संचालन करना होगा।
नगर निगम क्षेत्र में अब बिना शहरी परमिटधारी ऑटो नहीं चल सकेंगे। इस आशय का निर्णय कलेक्टर मुकेश कुमार शुक्ला की अध्यक्षता में सम्पन्न ऑटो संघ के पदाधिकारियों की बैठक में लिया गया। कलेक्टर ने अब नए शहरी परमिट जारी करने पर रोक लगा दी है।
ऑटो के परमिट पर ही उलझे नजर आए
ऑटो संचालन को लेकर आयोजित बैठक अधिकारियों के बिना होम वर्क के पहुंचने पर कई बार मु²े से भटकती नजर आई। स्थिति यह रही कि बैठक के अंत तक यह स्पष्ट आंकड़ा नहीं आ पाया कि सतना शहर में कुल कितने ऑटो चल रहे हैं। आरटीओ ज्यादातर वक्त तक अभी हाल जारी किए गए शहरी क्षेत्र के 861 और ग्रामीण क्षेत्र के 121 ऑटो के परमिट पर ही उलझे नजर आए। हालांकि कलेक्टर ने यह कहा कि अकेले शहर में इतने परमिट हो गए और कई ग्रामीण रूट होने के बाद भी इतनी कम संख्या कैसे है। अधिकारियों के तमाम सवालों पर आरटीओ स्पष्ट जवाब नही दे रहे थे। अंत में जब पुलिस अधीक्षक ने उन्हें सवालों में घेरा तो यह खुलासा हुआ कि ज्यादातर आटों वालों ने अभी तक परमिट ही नहीं लिए थे। अब जब प्रशासन ने सख्ती की तो परमिट लेने का क्रम शुरू हुआ है और मारामारी मच गई है।
जब ऑटो को दिए गए थे गोला नंबर
तत्कालीन ट्रैफिक इंचार्ज सुरेन्द्र सिंह ने शहरी क्षेत्र में चलने वाले ऑटो के व्यवस्थित संचालन के लिए अलग से गोला नंबर जारी किए गए थे। इनकी संख्या बकायदे अपने यहां के रजिस्टर में दर्ज की गई थी। तब करीब ४ हजार ऑटो को गोला नंबर दिए गए थे। लेकिन इस मामले में चुप्पी साध ली गई। जबकि हकीकत यह है कि यही ऑटो शहर में आज भी चल रहे हैं। यहां आटो के संचालन के लिये जब तक रूट या क्षेत्र निर्धारित कर उनका संचालन नहीं किया जाएगा तब तक यह अव्यवस्था जारी रहेगी। इस संबंध में तत्कालीन जिला प्रशासन ने तमाम अध्ययन के बाद रूट निर्धारण भी किया था और इसकी जिम्मेदारी भी तय कर दी थी। जो अभी भी प्रकिया रिपोर्ट में अंकित है। यदि इसका पालन करा लिया जाता है तो शहर को आटो से होने वाली अव्यवस्थित यातायात से निजात मिल सकेगी।
ट्रैफिक लोड पर ठोस निर्णय नहीं
बैठक में ज्यादातर वक्त आरटीओ और संबंधितों द्वारा इस बात की चर्चा की जाती रही कि इतने ऑटो ग्रामीण क्षेत्र में हैं और इतने शहरी। लेकिन इस मामले में कोई ठोस अध्ययन और होमवर्क के अभाव के चलते इस पर चर्चा नहीं हो पा रही थी कि जिन ऑटो को शहर का परमिट दिया गया है वे किस तरह चलेंगे। मामला ट्रैफिक लोड कम करने जुड़ा था लेकिन रूट का निर्धारण नहीं होने पर उचित हल नहीं निकल रहा था। अंत में कलेक्टर मुकेश कुमार शुक्ला ने कहा कि शहर मे चलने वाले शहरी क्षेत्र के ऑटो के बीच भी रूट तय किए जाएंगे ताकि बस स्टैण्ड और रेलवे स्टेशन के बीच ऑटो संचालन का दबाव नहीं बढ़े। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के आटो बस स्टैण्ड एवं रेलवे स्टेशन तक सवारी लेकर आ सकेंगे लेकिन उन्हें वहां से सवारी ले जाने की अनुमति नहीं होगी। इसी प्रकार शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र के ऑटो को परमिट जारी करने के तय मापदण्डों का सख्ती से पालन किया जाएगा।
Published on:
10 Mar 2018 12:25 pm
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