
Satna Dehdaan : Body Donation Trend in Satna Madhya Pradesh
सतना. ‘मरने के बाद एक दिन सभी को खाक में मिल जाना है। कितना अच्छा हो कि मरने के बाद भी हमारा शरीर शिक्षा का माध्यम बन जाए, ताकि चिकित्सक शोधकर पीडि़तों को जीवनदान दे सकें। अगर कोई धार्मिक अंधविश्वास देहदान के संकल्प में आड़े आता है तो याद करिए ऋषि दधिचि को, जिन्होंने लोगों की भलाई के लिए अपनी हड्डियां दान कर दी थीं।’ कुछ इन्हीं ध्येय वाक्य के आधार पर सतना के लोग देहदान के प्रति आगे बढ़ रहे हैं। इसी का परिणाम है कि जिले में अब तक 3 लोग देहदान भी कर चुके हैं। जबकि, 30 अन्य लोगों ने देहदान के लिए पंजीयन कराया है। सतना जिले के लोगों में देहदान के प्रति ललक लगातार बढ़ रही है। बीते कुछ वर्षों में समाज में देहदान के प्रति जागरूकता आई है। हालांकि सुविधाएं और जानकारी के अभाव में लोग संकल्प नहीं ले पा रहे हैं। लोगों के इस संकल्प को पूरा करने के लिए संत मोतीराम स्वास्थ्य सेवा केंद्र आगे आया है। वर्ष 2016 के बाद सेवा केंद्र के माध्यम से 30 से अधिक लोग देहदान के लिए पंजीयन करा चुके हैं।
ये हैं प्रेरणास्रोत
सतना जिले में अभी तक दयाराम कापड़ी सहित दो अन्य लोग देहदान कर चुके हैं। इनके संकल्प को सुविधाओं और जानकारी का अभाव भी पूरा करने से रोक नहीं पाया। ये आज जिलेवासियों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं।
नहीं चाहते पब्लिसिटी
देहदान के लिए पंजीकृत लोगों की सूची में आधा दर्जन से अधिक एेसे भी दानी हैं जो कि किसी भी प्रकार का प्रचार नहीं चाहते हैं। देहदान के लिए पंजीकृत एक व्यक्ति ने कहा कि जब तक हमारा संकल्प पूरा नहीं होता किसी भी प्रकार का प्रचार ठीक नहीं होगा। संकल्प पूरा होने के बाद यह कार्य लोगों को प्रेरणा देगा।
ये हैं शहर के दधीचि
संत मोतीराम स्वास्थ्य सेवा केंद्र के माध्यम से देहदान के लिए पंजीयन कराने वालों में अतुल दुबे मास्टर प्लांट सतना, डॉ. रामकुमार शुक्ला भरहुतनगर, किशोर कुमार छाबडि़या बजरहा टोला, लक्ष्मीकांत शुक्ला भरहुतनगर, डॉ पुष्पेंद्र सिंह नाहर नर्सिंग होम, सुमन सिंह नाहर नर्सिंग होम, सुरेंद्र मिश्रा कोलगवां, जयराम प्रसाद तिवारी घूरडांग, डॉ हेमंत पाण्डेय, यूपी पाण्डेय जीवन ज्योति कॉलोनी, बाबूलाल जवाहर नगर, राजबली सिंह परिहार धौरहरा, ब्रजभान सिंह धौरहरा, विद्या देवी कापड़ी सिंधी कैंप, राणाप्रताप सिंह हरदुआ नागौद, शांति सिंह हरदुआ नागौद, नारायणदास बसानी सिंधी कैम्प, राजकुमारी बसानी सिंधी कैम्प, हीरालाल बसानी सिंधी कैम्प शामिल हैं।
पंजीयन की सेवा नि:शुल्क
संत मोतीराम स्वास्थ्य सेवा केंद्र के अतुल दुबे ने बताया कि देहदान के लिए पंजीयन की प्रक्रिया जटिल थी। लोगों को पंजीयन कराने में ही महीनों लग जाते थे। एेसे में कोई बुजुर्ग चाहकर भी पंजीयन नहीं करा पाते थे। लोगों की ललक को देखते हुए सेवा केंद्र ने पंजीयन का बीड़ा उठाया। देहदानियों को केंद्र द्वारा पंजीयन की नि:शुल्क सेवा प्रदान की जा रही है।
पंजीयन के लिए यह जरूरी
देहदान के लिए सतना शहर में संत मोतीराम आश्रम खेरमाई रोड पुष्पराज कॉलोनी में पंजीयन करा सकते हैं। डोनर को आधार कार्ड, बर्थ सर्टिफिकेट, दो फोटो, खून के निकटतक संबंधियों की दो फोटो, शपथ पत्र, दो गवाह देना होता है।
देहदान क्यों करना चाहिए
मान लीजिए किसी मेडिकल कॉलेज में फिलहाल में 150 मेडिकल स्टूडेंट्स हैं। इनके अध्ययन के लिए हर साल 10 से 12 मानव शरीर की जरूरत होती है। मेडिकल स्टूडेंट इन अंगों पर अध्ययन करके डॉक्टर बनते हैं। सतना में भी जल्द मेडिकल कॉलेज खुलने जा रहा है ऐसे में यहां पढ़ाई के लिए हर साल कम से कम इतने मानव शरीर की आवश्यकता होगी। अज्ञात शवों को इस तरह मेडिकल कॉलेज को देने की प्रक्रिया है, पर कानूनी प्रक्रिया पूरी होते होते ये शरीर यानी बॉडी खराब होने लगती है इसलिए ये स्टूडेंट्स के काम की नहीं रहती। अगर एक आदर्श परिस्थिति की बात करें तो एक मानव शरीर पर 10 से 12 स्टूडेंट ही प्रयोग कर सकते हैं। अभी सतना जिले से दान किए गए मानव शरीर रीवा मेडिकल कॉलेज भेजे जाते हैं। मेडिकल ऑपरेशन में जब भी कोई नई तकनीक आती हैं, तो उसे सीखने और प्रैक्टिकल करने के लिए कडैवेरिक वर्कशॉप (मानव शरीर पर प्रयोग) के लिए भी बॉडी का उपयोग किया जाता है। मानव शरीर न मिलने की स्थिति में कई बार डॉक्टरों को जटिल ऑपरेशन पहले जानवरों के मृत शरीर पर करने पड़ते हैं।
कौन कर सकता है देहदान
किसी गंभीर बीमारी से अप्रभावित व्यक्ति सामान्य: शरीर के किसी भी हिस्से को डोनेट कर सकता है। वैसे किडनी, लीवर का कुछ पार्ट और कॉर्निया की मांग ज्यादा होती है। किसी भी व्यक्ति के ब्रेन डैड होने पर उसके सारे अंग दान किए जा सकते हैं। मृत होने पर तीन घंटे में कॉर्निया को डोनेट किया जा सकता है।
Published on:
15 Mar 2019 08:27 pm
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