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सरभंगा को पुरातात्विक धरोहर माना, लेकिन संरक्षित करना भूले

- कोर्ट के आदेश को जिम्मेदारों ने दरकिनार कर दिया- कोर्ट के आदेश पर बंद हुई थी खदान - राम पथ गमन का हिस्सा है सरभंगा पहाड़ी

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Temperatures growing by deforestation

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सतना. सरभंगा पहाड़ी व उसके आस-पास के क्षेत्र को पुरातात्विक धरोहर माना गया, जिसको लेकर अधिसूचना भी जारी की गई, लेकिन उसे संरक्षित करने के लिए अधिसूचित करने की कार्रवाई ही नहीं की गई। करीब दो साल से ये प्रकरण पुरातत्ववेत्ता, पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्राहलय भोपाल में धूलफांक रही है, जबकि सरभंगा क्षेत्र को संरक्षित करने का आदेश जबलपुर हाईकोर्ट ने दिया था। इसके बाद भी जिम्मेदार आदेश को दरकिनार करते हुए लापरवाही करते रहे। दरअसल, रीवा के नित्यानंद मिश्रा ने मझगवां क्षेत्र स्थित सरभंगा पहाड़ी व आसपास क्षेत्रों को संरक्षित करने के लिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी। जिसमें उन्होंने दावा किया था कि सरभंगा पहाड़, उसके पास मंदिर व मूर्तियों के अवशेष के धार्मिक, एतिहासिक व पुरातात्विक महत्व है। इनका उल्लेख हिन्दूधर्म ग्रंथ रामायण से लेकर एतिहासिक पुस्तकों तक में मिलता है। लेकिन, शासकीय लापरवाही से पुरातात्विक महत्व की धरोहर खत्म हो रही है। वहीं शासन क्षेत्र में खनन अनुमति दे दी है। जिससे पुरातात्विक धरोहर हमेशा के लिए नष्ट हो जाएगी। जिस पर हाईकोर्ट जबलपुर ने पुरातत्ववेत्ता, पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्राहलय भोपाल को 17-08-2015 को आदेश दिया था कि क्षेत्र की जांच करें और ऐसे तथ्य आते हैं, तो संबंधित क्षेत्र को संरक्षित करें। साथ ही खनन गतिविधि पर रोक लगा दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद पुरातत्ववेत्ता, पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्राहलय भोपाल ने जिला प्रशासन के सहयोग से जांच की और पाया कि पुरातात्विक महत्व है। लिहाजा पुरातत्ववेत्ता, पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्राहलय भोपाल ने संरक्षित करने के लिए 24-05-2016 को अधिसूचना जारी करते हुए दावा आपत्ति मंगाई गई। दो माह का समय दिया गया, इस दौरान कोई आपत्ति नहीं आई। लिहाजा, संरक्षण की प्रक्रिया को पूरा करना चाहिए था। लेकिन, आज दिनांक तक संरक्षण की प्रक्रिया को पूरा नहीं किया गया। नियमत: ये प्रक्रिया दो माह में पूरी हो जाती है। संबंधित विभाग कोर्ट के आदेश को लेकर भी लापरवाही बरत रहा है।

ये पुरातात्विक धरोहर हुई थी चिह्नित
पुरातत्ववेत्ता, पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्राहलय भोपाल के जांच के दौरान सरभंगा क्षेत्र के आधा दर्जन स्थान पुरातात्विक धरोहर चिह्नित हुए थे। इसमें सरभंगा के सांवर पहाड़ी पर स्थित यज्ञवेदी व प्राचीन मंदिरों के अवशेष, शौलोत्कीर्ण गणेश प्रतिमा, ब्रम्हकुंड के समीप मंदिर व छतरी, महावीर पहाड़ी का हनुमान मंदिर, प्राचीन शिव मंदिर, शौलोत्कीर्ण चामुंडा आदि शामिल रहे।

इधर फिर अवैध खनन चालू

जब याचिका लगी थी, उस वक्त खनिज विभाग ने खनन की लीज स्वीकृत कर दी थी। जिसे कोर्ट के आदेश पर बंद कर दिया गया। लेकिन, संरक्षित करने में लापरवाही के चलते पूरे क्षेत्र में अवैध खनन शुरू हो गया है। जिस अमीरती क्षेत्र में बाघ मरा था। उसके आस-पास व्यापक रूप से अवैध खनन हुआ है। ये खनन जिले के अधिकारियों के संरक्षण में ही कुछ रसूखदारों ने किया है।

संरक्षण में एक रुपया खर्च नहीं
वहीं इस मामले को लेकर आवेदनकर्ता नित्यानंद मिश्रा ने पुरातत्ववेत्ता, पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्राहलय भोपाल में आरटीआइ लगाई थी। जिसमें जानकारी मिली कि अधिसूचना जारी की गई, लेकिन क्षेत्र को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है। साथ ही संरक्षण को लेकर एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया है।