
Satna: Swati fulfills father's dream by cracking UPSC
सतना। स्वाति के पापा धनेन्द्र शर्मा ने सपना देखा था कि उनकी बेटी कलेक्टर बनेगी। बचपन से वे अपने इस सपने को अपनी बेटी से साझा करते रहते थे। जैसे-जैसे स्वाति बड़ी हुईं तो पापा के सपनों को उन्होंने अपना सपना बना लिया। सफलता तो काफी पहले इंजीनियरिंग में मिल गई थी लेकिन पापा का सपना बाकी था। यूपीएससी में प्रयास शुरू किया और तीसरी बार में न केवल वे सफल हुई बल्कि देश में 15वां स्थान हासिल किया। स्वाति अपनी सफलता में जितना श्रेय पापा के सपने को देती हैं उससे ज्यादा मां ममता शर्मा के साथ और हौसला आफजाई को देती हैं।
स्वाति ने बताया कि उनका परिवार सतना के निकट भटनवारा का मूल निवासी है। पापा का ट्रांसपोर्ट का मैहर में कारोबार है। उनके दादा जबलपुर कलेक्ट्रेट में लिपिक रहे। बचपन से ही दादा के साथ पढ़ाई के लिये जबलपुर आ गए थे। यहीं से स्कूलिंग की। बारहवी में पीसीएम सब्जेक्ट रहा। इसके बाद इंजीनियरिंग कीं।
इंजीनियरिंग मुकाम नहीं था
स्वाति ने कहा कि पापा हमेशा मुझे कलेक्टर बनाना चाहते थे। फिर मुझे भी लगता था कि पैरेन्ट्स तो हमेशा हमारे लिए करते हैं। अब मेरी बारी है उनके लिये कुछ करने की। इसके अलावा सोसायटी में गरीबों और औरतो की स्थिति देख मदद की इच्छा होती थी। यह इंजीनियरिंग से संभव नहीं था। लिहाजा प्रशासनिक सेवा की तैयारी प्रारंभ कर दी। मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में आकर अगर किसी एक इंसान का भी बेहतर कर पाई तो लगेगा मेरा जीवन सफल हो गया।
बिना अथारिटी कोई नहीं सुनता
स्वाति ने बताया कि वे आसपास के परिवेश में महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा देखती थीं। एक बार तो परिवार में भी देखने को मिला। तब लगता था कि अगर हमारे पास अथारिटी होती तो कुछ कर पाते। क्योंकि बिना अथॉरिटी के अगर बोला जाता है तो कोई उसे सुनता नहीं है।
तीसरी बार में सफलता
स्वाति ने यूपीएससी को तीसरे प्रयास में क्रेक करने में सफल रही है। इसके पहले दूसरी बार वे इंटरव्यू तक पहुंची लेकिन मेरिट में नाम नहीं आ सका। उन्होंने बताया कि हर स्टेज पर वे पूरा ध्यान देती थी। मेन्स में आंसर राइटिंग में कुछ कमियां थी। उसे पूरा किया। पिछले इंटरव्यू कम्यूनिकेशन स्किल ने थोड़ा निराश किया। क्योंकि जवाब तो आते थे लेकिन उनका प्रस्तुतिकरण वैसा नहीं कर पाए जैसा होना था। लिहाजा इस बार इस पर वर्क किया और सफल रहे।
इन्टरव्यू का कठिन सवाल
स्वाति ने कहा कि इन्टरव्यू में कोई कठिन सवाल नहीं थे और न ही माहौल तनाव पूर्ण था। लेकिन एक सवाल ने थोड़ा जवाब के कठिनाई पैदा की। सवाल था कि ओटीटी रिलीज सिनेमा मोबाइल में आने से औरतों पर दबाव बढ़ गया है? इसका जवाब थोड़ा क्रिटिकल लगा। क्योंकि जैसे कंटेट है उससे दिक्कते तो हैं। लेकिन टिकट महंगी है, बाहर जाना भी परेशानी। ऐसे में सब्सिक्रिप्शन लेकर नई चीजें और नई धारा की जानकारी मिलती है। इसी दिशा में जवाब दिया था। जो पसंद किया गया।
शिक्षा होगी प्राथमिकता
कलेक्टर बनने पर पसंदीदा क्षेत्र स्वाति ने शिक्षा को बताया। कहा, इससे ही लोग आगे बढ़ सकते हैंं। सोसायटी में बदलाव लाया जा सकता है। नई चीजें सामने ला सकते हैं, नया सोच सकते हैं। दूसरों को भी मोटीवेट कर सकते हैं। गरीबी हटानी है और औरतों को आगे बढ़ाना है तो शिक्षा जरूरी है।
मम्मी का सपोर्ट ज्यादा
स्वाति ने बताया कि उनकी तैयारी को लेकर मम्मी पापा दोनों का बराबर सपोर्ट रहा है। लेकिन पापा काम के कारण उतना सपोर्ट नहीं कर पाते थे जितना मम्मी करती थी। पिछली बार जब सलेक्शन नहीं हुआ तो मम्मी ने काफी समझाया। वे हमेशा मेरे साथ रही और दिल्ली तक साथ आती थीं।
मेहनत करते रहें
यूपीएससी की तैयारी करने वालों को उनका कहना है कि मेहनत करते रहें। मेहनत का फल मिलता है। कई बार डाउट होता है कि नहीं कर सकते, लेकिन हार नहीं मानना है। एक दिन सफलता मिलेगी।
Published on:
23 May 2023 05:26 pm
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