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सतना सहित 10 जिलों में स्क्रब टायफस बैक्टीरिया का अटैक

स्वास्थ्य संचालनालय ने जारी किया अलर्ट, राज्य सर्विलांस इकाई हुई सक्रिय  

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Scrub typhus bacteria attack in 10 districts including Satna

Scrub typhus bacteria attack in 10 districts including Satna

सतना. राष्ट्रीय जनजाति स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान ने सतना सहित सिंगरौली, पन्ना, दमोह, जबलपुर, कटनी, मंडला, नरसिंहपुर, सिवनी एवं उमरिया जिले में स्क्रब टायफस बीमारी के पॉजीटिव प्रकरण पाए हैं। ओरिएंटा सुसुगामुशी नामक बैक्टीरिया से होने वाली इस बीमारी के मरीज सामने आने के बाद संस्थान ने तत्काल स्वास्थ्य संचालनालय को अवगत कराया है। स्थिति को देखते हुए संचालनालय ने इन जिलों के सीएमएचओ और सीएस अलर्ट जारी करते हुए संदिग्ध मरीज पाए जाने पर इसकी सूचना तत्काल राज्य सॢवलांस को देने की बात कही है। साथ ही बीमारी के लक्षण किसी भी मरीज में पाए जाने पर भारत शासन के तय प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करते हुए इलाज की सलाह दी गई है। इतना ही नहीं इस संबंध में रोकथाम और बचाव के संबंध में जागरुकता अभियान चलाने को कहा गया है।

चूहे और घुन से होती है बीमारी

जानकारी के अनुसार, संयुक्त संचालक आइडीएसपी संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. राजेश कठल ने संबंधित जिलों के सीएमएचओ और सिविल सर्जन को बताया है कि स्क्रब टायफस नामक यह बीमारी संक्रमित घुन एवं चूहे आदि से होती है। मनुष्यों में यह बीमारी संक्रमित घुन के लार्वा या चूहे के पिस्सू के काटने से होती है, लेकिन मनुष्य से मनुष्य में नहीं फैलती है। इस बीमारी की मृत्यु दर 30 फीसदी है।

यह है पहचान

स्क्रब टायफस में संक्रमित लार्वा के काटने के स्थान पर दाना उठता है। जो बाद में जख्म बनकर सूखने पर काला धब्बे के समान दिखने लगता है। साथ ही बुखार, सिरदर्द, जोड़ एवं मांस पेशियों में दर्द, रोशनी में असहनसीलता, सूखी खांसी एक सप्ताह बाद शरीर (पेट एवं हाथ पैरों) पर दाने तथा कुछ मामलों में निमोनिया, मस्तिष्क ज्वर एवं हृदय संबंधी बीमारी होती है। बीमारी के लक्षण दो सप्ताह के तक ही पाये जाते हैं। इस बीमारी की पुष्टि एलाईजा टेस्ट, वेलफेलिक्स टेस्ट एवं गोल्डन टेस्ट से होती है।

ऐसे फैलता है स्क्रब टाइफस
स्क्रब टाइफस पिस्सुओं के काटने से होती है। पिस्सू चूहे पर चिपककर इंसानों के घरों में पहुंचते हैं। पिस्सुओं के इंसानों को काटते ही उसके लार में मौजूद जीवाणु (रिक्टिशिया सुसुगामुशी) रक्त में फैल जाता है। इसकी वजह से लीवर, दिमाग व फेफड़ों में कई तरह के संक्रमण होने लगते हैं।

चूहों से फैलती है बीमारी

बताया गया है कि बीमारी पर निगरानी रखने स्वास्थ्य अधिकारियों से चिह्नित स्थलों का डोर टू डोर फीवर सर्वे कराने कहा गया है। यह बीमारी चूहों से फैलती है इसलिए चूहों की आबादी को नियंत्रित करने अन्य विभागों का भी सहयोग लिया जा सकता है। साथ ही लोगों को भी सलाह दी गई है कि चूहों के नियंत्रण पर गंभीरता बरते। मरा चूहा मिलने पर उसे तत्काल नष्ट किया जाए। या तो जमीन में गाड़ दिया जाए या जला दिया जाए।

रोकथाम एवं बचाव के उपाय

* संक्रमित घुन व पिस्सुओं से बचाव के लिए शरीर पर लगाने वाली क्रीम रिपेलेन्ट का उपयोग किया जाए। खेत, जंगल, झाडिय़ों में जब भी जाएं पूरे कपड़े पहन कर जाएं। खुले स्थान पर घुन या पिस्सू न काट सकें इसके लिए संबंधित क्रीम लगाएं।

* प्रभावित क्षेत्रों में घास फूस एवं झाडियों पर बैठें या सोएं नहीं, तथा घर के आसपास की घास फूस एवं झाडिय़ों को काट कर जला दें।

* शरीर को साबुन से धोएं एवं मोटे कपड़े से रगड़कर साफ करें। उपयोग किये गए कपड़ों को गर्म पानी से धोएं।

* चूहों से दूरी बना कर रखी जाए।