25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

SDM की त्वरित कार्रवाई से बची नाबालिग बच्ची, जानें क्या है मामला…

SDM के निर्देश पर महिला व बाल विकास अधिकारियों ने किया बड़ा काम

2 min read
Google source verification

सतना

image

Ajay Chaturvedi

Jun 20, 2021

child marriage

child marriage

सतना. सख्त कानून होने के बावजूद समाज में बाल विवाह की प्रथा निरंतर जारी है। लोग छिप कर नाबालिग बच्चों का विवाह तय कर कच्ची उम्र में ही उन्हें विवाह के बंधन में बांध रहे हैं। लेकिन जिले के अमरपाटन इलाके में एसडीएम की त्वरित कार्रवाई के चलते इस गैरकानूनी कार्य को रोकने में कामयाबी मिली है। नाबालिग बेटी का विवाह रुकवाने में महिला व बाल विकास विभाग के अधिकारियों और पुलिस की भूमिका भी सराहनीय रही। उन्होंने बड़ी सूझबूझ से इस शादी को रुकवाया।

जानकारी के मुताबिक मोहरिया जगन्नाथ गांव में आदिवासी परिवार नाबालिग लड़की का विवाह कराने की तैयारी चल रही थी। बताया जाता है नाबालिग की बारात चोरहटा से आने वाली थी। लड़की के परिवार ने विवाह की सारी तैयारियां पूरी कर ली थी। इसी बीच एसडीएम केके पांडेय को इसकी जानकारी मिली। ऐसे में उन्होंने फौरन परियोजना अधिकारी महिला बाल विकास और पुलिस को मौके पर भेज कर शादी रुकवाने का निर्देश दिया।

महिला बाल विकास विभाग के अफसरों और पुलिस टीम जब गांव पहुंची तो आदिवासी परिवार के कई सदस्य यह समझ नहीं पाए कि यह टीम किसलिए आई। महिला बाल विकास के परियोजना अधिकारी ने नाबालिग बच्ची के परिजनों को समझाया। बताया कि खेलने-कूदने, पड़ने-लिखने के दिनों में लड़कियों का विवाह करने से उनका विकास रुक जाता है। इतना ही नहीं पूरा जीवन अंधकारमय हो जाता है। ये भी बताया कि कच्ची उम्र में विवाह होने पर मां और उसकी संतानों का न तो सर्वांगीण विकास हो पाता है और न ही उनकी आयु लंबी हो सकती है।

अधिकारियों ने संबंधित परिवार को कानून की जानकारी भी दी। बताया कि शिशु एवं मातृ मृत्यु दर कम करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाया है। ऐसा करने पर माता-पिता एवं अन्य परिजनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही नियम का उल्लंघन करने पर परिजनों के साथ दूल्हा और बारातियों को जेल भेजा जा सकता है।

अधिकारियों ने परिजनों को समझाया कि बच्चियों के जन्म से लेकर जीवन भर उनके पालन-पोषण, पड़ाई-लिखाई आदि की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार वहन कर रही है। इस स्थिति में बेटियों का कच्ची उम्र में विवाह किया जाना गैरकानूनी और अनुचित है। परियोजना अधिकारी और पुलिस अधिकारियों के समझाने के बाद आदिवासी परिवार ने नाबालिग बेटी का विवाह स्थगित कर दिया।