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भरहुत नगर गोली कांड: फॉरेन्सिक एक्सपर्ट की जांच रिपोर्ट में गंभीर खामियां

बहुचर्चित गोलीकांड के पटाखे में बदलने का मामला घायल के कपड़ों को लेकर साध ली चुप्पी

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सतना। भरहुत नगर में 19 नवंबर की रात को हुए गोली कांड पर पूरे शहर की निगाहें है। लेकिन जिस तरीके से इस मामले में लीपापोती की जा रही है उससे शक के घेरे में पुलिस के साथ ही अब डॉक्टर भी आ गए हैं। घटना की वजह को लेकर सतना मेडिकल कॉलेज के फॉरेन्सिक मेडिसिन विभाग के सह प्राध्यापक डॉ चंद्रशेखर बाघमारे ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें कई खामियां हैं। दरअसल 19 नवंबर की रात को पुलिस को भरहुत नगर में गोली चलने की सूचना मिलती है। इसके आधार पर पुलिस संदेही विजय गुप्ता उर्फ मंटू को अपने साथ थाने ले जाती है। इधर घायल मुकेश चुगवानी को सबसे पहले जिला अस्पताल ले जाया जाता है। उस वक्त यहां डॉक्टर विनय मोहन तिवारी ड्यूटी पर थे। यहां पर घाव का प्राथमिक उपचार कराया जाता है। इसके बाद घायल को जिला अस्पताल में भर्ती न कराते हुए बिरला अस्पताल ले जाया जाता है। यहां घायल मुकेश कुमार चुगवानी का इलाज प्रारंभ किया जाता है। इस दौरान कोलगवां पुलिस का जवान भी मौजूद रहता है। इस दौरान यहां मौजूद उमेश लोहिया यह कहते नजर आते हैं कि गोली चली है। लेकिन दूसरे दिन से इस मामले में यू टर्न आ जाता है और घायल अचानक से खुद को पटाखे से घायल होना बता देता है और किसी के विरुद्ध रिपोर्ट लिखाने से मना कर देता है।

बिरला अस्पताल ने विशेषज्ञ जांच की बात कही

इधर बिरला अस्पताल पुलिस को भेजी अपनी रिपोर्ट में यह तो बताया है कि घायल की एल्बो (कोहनी) ज्वाइंट में दो घाव हैं। एक घाव हाथ के एक ओर हैं दूसरा हाथ के दूसरी ओर है। लेकिन घाव किस वजह से हुआ इसके लिए विशेषज्ञ फारेन्सिक जांच की अनुशंसा की जाती है। इसके आधार पर कोलगवां पुलिस मेडिकल कॉलेज सतना के फॉरेन्सिक मेडिसिन विभाग में घायल को जांच के लिए ले जाती है।

यह सौपी रिपोर्ट

फारेन्सिक विशेषत्र डॉ चंद्रशेखर बाघमारे ने 22 नवंंबर को अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मजरूब मुकेश चुगवानी को दो चोटे है, लेकिन इन्हें इंट्री तथा एग्जिट नहीं कहा जा सकता क्योंकि इनका ट्रेक एक दूसरे से मेल नहीं खाता है। सामान्य भाषा में गोली घुसने और निकलने का एक मार्ग नहीं है। दूसरे बिन्दु में उन्होंने कहा है कि ऐसे कोई भौतिक साक्ष्य नहीं मिले जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि उक्त जख्म किसी फायर आर्म्स से आई है। तीसरे बिंदु में बताया है कि ये जख्म लगभग दो से तीन दिन पुराने हो सकते हैं। आखिरी बिन्दु में कहा है कि जख्म फायर आर्म्स से होने के कोई साक्ष्य नहीं मिले है। उक्त चोटें किसी सख्त भौथरे वस्तु से अथवा अन्य किसी विस्फोटक पदार्थ से आने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता।

खामियां जो सामने आईं

इस रिपोर्ट पर वारिष्ठ फॉरेसिंक एक्सपर्ट सवाल खड़े कर रहे हैं। उन्होंने बिन्दु दो पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि भौतिक साक्क्ष्य नहीं मिलने की बात जो कही गई है वह अपने आप में सवाल है। क्योंकि फारेंसिक जांच के लिए चिकित्सक को घायल के कपड़े की जांच करनी थी। अगर पुलिस ने कपड़े प्रस्तुत नहीं किए थे तो उन्हें घटना के दौरान प्रयुक्त किए गए कपड़े मांगने थे। क्योंकि बिन्दु क्रमांक 4 में उन्होंने विस्फोटक पदार्थ की संभावना जताई है।

- इसके अलावा बिन्दु क्रमांक 1 और 4 में विरोधाभाष की बात भी मानी जा रही है। मसलन बिन्दु 1 में सिर्फ दो चोटों का उल्लेख किया गया है जबकि बिन्दु चार में विस्फोटक की संभावना जताई गई है। लेकिन विस्फोटक के जख्म में कई घाव के निशान बनते हैं। जिसका कहीं उल्लेख नहीं है।

घायल के बयान ओर रिपोर्ट में समानता नहीं

घायल मुकेश चुगवानी ने अपने बयान में पुलिस को पटाखे से घायल होना बताया है। जबकि मेडिकल कॉलेज की फारेंसिक रिपोर्ट में कहा गया है कि मुकेश की दायीं बांह पर पीछे की तरफ मध्य में कोहनी के जोड़ से 4 सेमी ऊपर 1 गुना 1 सेमी आकार की चोंट है। साथ ही दायीं बांह पर ही सामने की तरफ कोहनी की जोड़ से 5 सेमी नीचे एक गुना एक सेमी आकार की चोंट का निशान है। ऐसे मे अगर पटाखा होता तो बांह के सामने की ओर ही घाव बनता न कि पीछे की ओर। दूसरा फारेंसिक रिपोर्ट में सख्त भोथरे वस्तु से चोंट की संभावना जताई गई है तो इसका आशय है कि यह चोंटे फिर दो बार लगीं या मारी गई। एक बार आगे की ओर दूसरी बार पीछे की ओर। लेकिन मुकेश इस तरह की घटना का उल्लेख अपने बयान में नहीं किया है।

अब तक यह हुआ

- भरहुत नगर में गोली चलने की सूचना पुलिस को मिलती है

- घायल मुकेश चुगवानी को पहले जिला अस्पताल फिर बिरला ले जाया जाता है

- पुलिस संदेही विजय गुप्ता उर्फ मंटू को अपने साथ थाने ले जाती है

- उमेश लोहिया कहता है कि विजय गुप्ता ने गोली मारी है जो मुकेश को लगी है

- उमेश लोहिया बताता है कि गब्बर सिंह जैसी रिवाल्वर से गोली मारी गई है

- बिरला अस्पताल के डाक्टर गोली की संभावना से इंकार नहीं करते

- अचानक मुकेश दूसरे दिन बोलने लगता है कि पटाखे से घायल हुआ