
Sharadotsav Grand launching in Chitrakoot
सतना। शरद पूर्णिमा की दूधिया चांदनी रात में जब चांद अपने पूरे शवाब पर था और पुण्य सलिला मंदाकिनी के किनारे लाखों लोग अपने भगोनों में खीर भर कर अमृत बूंद गिरने का इंतजार कर रहे थे तभी चित्रकूट के एक हिस्से का आसमां
रंगीन हो गया। लेजर लाइटिंग से निकलने वाली रंगीन रोशनी के बीच राधा को रिझाने वाले कान्हा के गीत गूंजने लगे।
अवसर था डीआरआई के सुरेन्द्रपाल मैदान में आयोजित शरद महोत्सव का। आसाम गोहाटी से आए कलाकारों ने असमिया शैली में जिस तरीके से रासलीला की प्रस्तुति की लोगों मंत्रमुग्ध हो गये। पहाड़ी शैली से ओतप्रोत इस तरीके से भी रासलीला हो सकती है यह लोगों के लिए नया था।
लोकसंगीत और नृत्य की रसधार बही
धर्मनगरी चित्रकूट में गुलाबी ठंड के बीच शरदोत्सव का भव्य शुभारंभ गुरुवार की रात करीब ८.३० बजे हुआ। प्रोग्राम शुरू होते ही कलाकारों का जुनून और दर्शकों का रुझान देखने को मिला। औपचारिक शुभारंभ के बाद लोकसंगीत और नृत्य की रसधार बहनी शुरू हुई।
कृष्ण लीला का मंचन
चांद की दुधिया रोशनी के बीच लोकसंगीत व नृत्य की बयार देररात ११ बजे तक बहती रही। सांस्कृतिक संध्या में गुवाहाटी की सांस्कृतिक संस्था द्वारा कृष्ण लीला का मनमोहक मंचन किया गया। जिसे देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। इसके बाद स्थानीय कलाकारों ने प्रस्तुति दी।
भक्ति संध्या का संगीतमय शुभारंभ
इसके कुछ देर बाद मुंबई के सुमित नागर व नानू गुर्जर द्वारा भक्ति संध्या का संगीतमय शुभारंभ किया गया। भक्ति संध्या में भक्त प्रभु की भक्ति में झूमते नजर आए। कार्यक्रम में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार चौहान मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत किए। सांसद गणेश सिंह, प्रदेश संगठन वीडी शर्मा, महापौर ममता पांडेय सहित अन्य जनप्रतिनिधियों-अधिकारियों ने भाग लिया।
आज की प्रस्तुति
शुक्रवार को भी शरदोत्सव के तहत आयोजन होगा। इसमें बाड़मेर के भुट्टे खां एवं साथियों द्वारा मांगणियार गायन की प्रस्तुति दी जाएगी। भोपाल की कल्याणी व वैदही द्वारा नर्मदा परिक्रमा नृत्य नाटिका व पवन कुमार द्वारा भक्तिसंगीत की प्रस्तुति दी जाएगी। जबकि सात अक्टूबर को पाश्र्व गायक अभिजीत भट्टाचार्य प्रस्तुति देंगे।
संगीत की धार
दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा शरदोत्सव का आयोजन मंदाकिनी घाट पर किया गया। जो अपने आप में विशेष था। लोक संगीत की मधुर सुर नदी किनारे बहना शुरू हुई, तो नजारा अलग हो गया। दर्शकों के लिए यह खास पल था। नदी किनारे ठंड हवाओं के बीच, चांदनी बिखरी हुई और उस पर नृत्य-संगीत का दौर पूरे कार्यक्रम को विशेष बना रहा था।
Published on:
06 Oct 2017 01:27 pm
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