
Story of without roads village in madhya pradesh
सतना। गांव में पक्की सड़क न होने से परिजन एक बीमार बुजुर्ग को खटिया पर लादकर तीन किलोमीटर पैदल चल किसी प्रकार अस्पताल पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। समय पर इलाज नहीं मिलने से बुजुर्ग ने अस्पताल पहुंचते ही दम तोड़ दिया। विकास का राग अलाप रहे जनप्रतिनिधियों को आइना दिखाने वाली यह घटना जिले के रैगांव क्षेत्र के तुर्री परसहा गांव की है।
2 किमी दूर मुख्य मार्ग तक ले गए
तुर्री परसहा गांव के नारायन डोहर (59) की विगत दिन अचानक तबीयत खराब हुई। गांव में सड़क न होने के कारण परिजन बीमार बुजुर्ग को इलाज के लिए खटिया पर लाद कर दो किमी दूर मुख्य मार्ग तक ले गए। वहां से उसे वाहन द्वारा जिला अस्पताल ले जाया गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जिला अस्पताल में इलाज शुरू होने से पहले ही नारायण ने दम तोड़ दिया। आक्रोशित ग्रामीणों ने चुनाव के बहिष्कार की बात कही है।
मतदान का करेंगे बहिष्कार
गांव में पक्की सड़क न बनने के कारण इलाज के अभाव में वृद्ध की मौत से सरकार के प्रति ग्रामीणों में नाराजगी देखने को मिली। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में सड़क बनवाने के लिए विधायक से लेकर सांसद तक से गुहार लगाई पर किसी ने नहीं सुना। यदि गांव में पक्की सड़क होती तो आज मरीज को चारपाई पर अस्पताल नहीं ले जाना पड़ता। उसकी जान बच जाती। इलाज के अभाव में बुजुर्ग की मौत से नाराज ग्रामीणों ने संकल्प लिया कि जब तक गांव में पक्की सड़क नहीं बनेगी, तब तक वे हर चुनाव का बहिष्कार करेंगे। गांव का कोई भी मतदाता वोट नहीं डालेगा।
एम्बुलेंस ने रास्ते में छोड़ा शव
परिजनों की पीड़ा तब और बढ़ गई जब गांव में वाहन जाने के लिए रास्ता न होने के कारण शव वाहन का चालक गांव से चार किमी पहले ही रास्ते में शव उतार कर भाग गया। एेसे में परिजन वृद्ध का शव कंधे पर लादकर कीचड़ में सनी सड़क पर गिरते पड़ते किसी प्रकार चार किलो मीटर पैदल चल कर गांव पहुंचे, जहां पर शव का अंतिम संस्कार किया गया। इस घटना से ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया है।
Published on:
31 Aug 2018 02:41 pm
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