
Story of World Eye Day news in satna
विक्रांत दुबे @ सतना। नेत्रदान वाकई महादान है। इसका महत्व तब और बढ़ जाता है, जब आपकी दान की हुई आंख किसी के जीवन में उजाला बिखेर देती है। आज नेत्रदान दिवस पर हम उन लोगों को याद कर रहे हैं जो मरणोपरांत अपनी आंखें दानकर अंधेरे में खोई एक नहीं दो-दो जिंदगियां रोशन कर गए। जिले में नेत्रदान कर मरने के बाद भी दुनिया देखने की ललक बढ़ती जा रही है। इससे उन हजारों दृष्टिहीन लोगों के जीवन में जीते जी रोशनी मिलने की उम्मीद बंधी है, जिनके जीवन में सिर्फ अंधेरा है।
जो जीवित होने के बाद भी अपने मां-बाप, परिवार व संसार को अपनी आंख से देखने को तरस रहे हैं।
जिले में अब तक 656 लोगों ने नेत्रदान किया है। इनकी आंखों से एक हजार से अधिक लोगों को आंख की रोशनी मिल सकी है। वे 'अनजानी' आंख से इस बेहद खूबसूरत दुनिया को देख रहे हैं। विश्व नेत्रदान दिवस पर हम आपको ऐसे लोगों से रूबरू करा रहे हैं जिनका जीवन दूसरों की आंखों से रोशन है।
बढ़ रही संख्या पर जरूरत के हिसाब से कम
जिले में नेत्रदान करने वालों की संख्या में साल-दर-साल इजाफा हो रहा है। जानकीकुंड सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय के संचालक वीके जैन बताते हैं, सतना जिले में एक वर्ष में 106 लोगों ने नेत्रदान किया है। एक व्यक्ति के नेत्रदान करने से दो लोगों को ज्योति मिलती है। जिले में अन्य शहरों के मुकाबले नेत्रदान करने वालों की संख्या बढ़ी है, लेकिन जरूरत के हिसाब से अभी भी बहुत कम है। शहर में नेत्रदान के प्रति बढ़ती जागरुकता को लेकर 23 मार्च 2015 को सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट ने आई कलेक्शन सेंटर की शुरुआत की।
1. जिसने आंख दी वह सबसे महान
25 साल की मनीषा तिवारी की जिंदगी में 24 घंटे अंधेरे का साया था। लेकिन, दूसरे की आंख मिलने से मनीषा का जीवन बदल गया। जिन्हें वह आवाज से पहचानती थी अब उन्हें देख भी रही है। मनीषा का कहना है कि मैं जिसकी आंख से दुनिया देख रही हूं वह कौन था? यह तो नहीं जानती। लेकिन, जो भी था मेरे लिए महान है।
2. जिंदगी के अंधेरे को प्रकाश ने दी मात
प्रकाश के जीवन में जन्म लेने के कुछ दिनों बाद ही अंधेरा छा गया था। उसकी दोनों आंखों की रोशनी संक्रमण की वजह से चली गई थी। अकेले चल पाना मुश्किल होता था। लेकिन ऑपरेशन के बाद वह दूसरे की आंखों से दुनिया देख रहा है। अब परिश्रम कर अपने परिवार की आजीविका चला रहा है।
3. ऑपरेशन के बाद मिली ज्योति
संक्रमण की वजह से रामस्वरूप शाह की जिंदगी में अंधेरा छा गया था। बड़े चिकित्सा संस्थानों में इलाज के बाद भी आराम नहीं मिला। जीवन नीरस हो गया था। दुनिया देखने की उम्मीद समाप्त हो चुकी थी। लेकिन, ऑपरेशन के बाद एक बार फिर जीवन रोशन हो गया। अब वह खूबसूरत दुनिया देख सकता है।
4. लौटी रोशनी तो रंगीन हुई दुनिया
5 साल के प्रांजल की भी कुछ ऐसी ही कहानी है। उसकी दाई आंख संक्रमण का शिकार हो गई। कार्निया की गलन के कारण एक आंख की रोशनी चली गई। बड़े अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन आंखों की रोशनी वापस नहीं लौटी। ऑपरेशन के बाद चित्रकूट में नेत्र प्रत्यारोपण किया गया। इससे प्रांजल की आंख की रोशनी लौट आई।
वर्ष 2017-18 में नेत्रदान
- अमर ज्योति 414
- भारत विकास परिषद 58
- श्वेतांबर जैन ट्रस्ट 14
- अग्रवाल समाज 09
- संत मोतीराम स्वा. केंद्र 28
- ज्योति प्रकाश मैहर 17
- सद्गुरु कलेक्शन सेंटर 106
- कुल 646
यह भी जानें
- 160 लोगों ने एक साल में किया नेत्रदान
- 3778 की जिंदगी से दूर हुआ अंधेरा
अमर ज्योति ने कराया सबसे ज्यादा नेत्रदान
जिले में नेत्रदान के लिए आधा दर्जन संगठन काम कर रहे हैं। जो लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करते हैं। सबसे ज्यादा नेत्रदान अमर ज्योति संस्था ने कराया है। इसके द्वारा अभी तक 414 लोगों से नेत्रदान कराया गया है।
Published on:
10 Jun 2018 04:13 pm
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