
Students reading book in seventh could not read sentences in eighth
सतना. शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिक और माध्यमिक शाला के बच्चों को लगातार पास किया जा रहा था। अब कक्षा 9वीं के परिणामों से यह तथ्य सामने आया कि अधिनियम की आड़ में बच्चों की पढ़ाई के प्रति शैक्षणिक अमला लापरवाह होता जा रहा है। बच्चे अपनी कक्षा के मुताबिक दक्षता नहीं रख रहे। इसे देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग दक्षता संवर्धन के लिए नई व्यवस्था प्रारंभ की। प्राथमिक और माध्यमिक कक्षा के बच्चों का बेस लाइन टेस्ट लिया गया। कम दक्षता वाले बच्चों की अलग क्लास लेकर फिर मिड लाइन और अंत में एंड लाइन टेस्ट लिया गया, लेकिन बच्चों की दक्षता सही आती न देख शिक्षक अपनी गर्दन बचाने टेस्ट के रिजल्ट फर्जी तरीके से देने लगे। इस फर्जीवाड़े का खुलासा हालिया रिपोर्ट में हो गया। रिपोर्ट में यह सामने आया कि जो बच्चे पिछली कक्षा में किताब पढ़ लेते थे, अगली कक्षा में जाने के बाद वही बच्चे किताब नहीं पढ़ पा रहे हैं। इसी तरह से जिन बच्चों से पिछली कक्षा में भाग देना आता था वे अगली कक्षा में गुणा-भाग नहीं कर पा रहे हैं। इस खुलासे से शिक्षा विभाग के आला अफसर हतप्रभ हैं। संभागायुक्त डॉ अशोक कुमार भार्गव ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और कहा कि जहां भी ऐसी स्थितियां आई हैं वहां शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
38 फीसदी विद्यार्थी किताब पढऩा भूले
पत्रिका के पास मौजूद रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि सतना जिले के 940 में से 361 विद्यालय ऐसे हैं, जहां कक्षा सातवीं में बच्चे किताब आसानी से पढ़ लेते थे। उन्हीं विद्यार्थियों का जब कक्षा आठवीं में सर्वे किया तो पाया कि ये बच्चे हिन्दी की किताब नहीं पढ़ पा रहे हैं। अर्थात 38 फीसदी विद्यालयों के बच्चों का एक कक्षा आगे जाने पर परिणाम यह रहा कि वे किताब पढ़ने में अक्षम हो गए। हिंदी विषय के लिए गए टेस्ट में 151 विद्यालयों की स्थिति कक्षा सातवीं और आठवीं की ऐसी रही कि यहां कोई परिवर्तन नहीं मिला। 428 विद्यालयों के टेस्ट में पाया गया कि विद्यार्थियों की किताब पढऩे की क्षमता में बढ़ोतरी हुई है। अर्थात 46 फीसदी विद्यालयों के बच्चों की दक्षता में उन्नयन पाया गया।
गणित में भी हाल बेहाल
यही स्थिति गणित विषय में भी पाई गई है। जो बच्चे कक्षा ७वीं में आसानी से गुणा-भाग कर लेते थे, आठवीं पहुंचने पर उनसे यही गुणा भाग नहीं बना। कुल 940 विद्यालयों में से 336 विद्यालयों के बच्चे एक कक्षा आगे जाने के बाद गुणा भाग नहीं हल कर सके। अर्थात 36 फीसदी बच्चों ने अगली कक्षा में प्रवेश के बाद गणिता का गुणा भाग सही हल नहीं कर पाए। 17 फीसदी विद्यालयों में कक्षा सातवीं और आठवीं कि स्थिति यथावत रही। 47 फीसदी बच्चों की कक्षा बढऩे के साथ दक्षता भी बढ़ी पाई गई।
खराब परिणाम देने वाले टाप 5 विद्यालय
गणित विषय: माध्यमिक शाला जसो, माध्यमिक शाला मरौंहा, माध्यमिक शाला श्याम नगर, माध्यमिक शाला इटमा, माध्यमिक शाला हर्ष नगर।
हिन्दी: माध्यमिक शाला श्यामनगर, माध्यमिक शाला बेला, माध्यमिक शाला खरमसेड़ा, माध्यमिक शाला मिरगौती, माध्यमिक शाला बगहा।
विभाग ने इस तरह पकड़ा खेल
स्कूल शिक्षा विभाग को शिकायत मिली थी कि शिक्षक अपनी कमी छिपाने के लिए बच्चों के टेस्ट के रिजल्ट फर्जी तरीके से लिख रहे हैं। नतीजतन स्कूल शिक्षा विभाग ने गत वर्ष के एण्ड लाइन सर्वे को ही बेस लाइन टेस्ट मान लिया और अगली कक्षा में उनका मिड लाइन टेस्ट करवाया। ऐसे में चौंकाने वाले खुलासे आ गए। इसमें कई विद्यालयों के टेस्ट में पाया गया कि पिछली कक्षा में जो बच्चे किताब आसानी से पढ़ रहे थे वे अगली कक्षा में आने के बाद किताब नहीं पढ़ पा रहे हैं। इसी तरह गणित में भी उनकी दक्षता घट गई। ऐसे में माना गया कि शिक्षकों ने बच्चों की फर्जी दक्षता अंकित कर दी थी।
शिक्षा अधिकार अधिनियम का उल्लंघन
शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 24 कहती है कि कक्षा के अनुरूप दक्षता लाना शिक्षकों की जिम्मेदारी है। इसके लिए शिक्षकों से वचन पत्र भी भराए गए थे। उसमें स्पष्ट कहा गया था कि कक्षानुरूप दक्षता नहीं होने पर वे अतिरिक्त कक्षाएं लेकर बच्चों की दक्षता बढ़ाएंगे। अब इस परिणाम से साबित हो गया कि बच्चों की दक्षता उनकी कक्षा के अनुरूप नहीं है बल्कि शिक्षकों ने गलत जानकारी भी दी है। लिहाजा संबंधित विद्यालयों के शिक्षकों पर इस अधिनियम की धारा के तहत कार्रवाई भी बनती है।
हमेशा की तरह फिर गिरी साख
इधर, नीति आयोग ने प्रोजेक्ट साथ की दिसंबर माह की जिले की पठन-पाठन व्यवस्था की रिपोर्ट जारी कर दी है। इस रिपोर्ट में हमेशा की तरह सतना एक बार फिर अंतिम पायदान में आया है। प्रदेश में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले पांच जिलों में सतना अंतिम पायदान पर बताया गया है।अन्य जिलों में शिवपुरी, शाजापुर, श्योपुर, अलीराजपुर भी शामिल है। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले पांच जिलों में छिंदवाड़ा, शहडोल, बालाघाट, हरदा और रीवा हैं। संभाग में रीवा ने अपना प्रदर्शन सुधारते हुए सर्वश्रेष्ठ जिलों में शामिल हो गया है।
" अगर अगली कक्षा में जाने के बाद विद्यार्थियों की दक्षता घट रही है तो स्पष्ट है कि पिछली कक्षा में गलत परिणाम लिखे गए हैं। इसका परीक्षण करवाया जाएगा। जो दोषी पाए जाएंगे उन सभी पर शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत कार्रवाई भी की जाएगी।"
- डॉ. अशोक कुमार भार्गव, संभागायुक्त
Published on:
11 Dec 2019 01:31 am
बड़ी खबरें
View Allसतना
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
