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रीवा कमिश्ररी के हालः जिसकी शिकायत, उसी को सौंप देते हैं जांच

रीवा कमिश्नर अनिल सुचारी को दी जाने वाली शिकायतों के निराकरण की विश्वसनीयता देखना हो तो सतना आदिम जाति कल्याण विभाग के नियमितीकरण मामले को समझना होगा। रीवा कमिश्नर के पास जिस अधिकारी की शिकायत की गई थी अब उसी अधिकारी को अपने खिलाफ की गई शिकायत की जांच भी सौंप दी गई है। हद तो यह हो गई कि शिकायतकर्ता ने विभाग से इतर संभाग स्तर से जांच कराने अनुराेध किया था लेकिन इसके बाद भी शिकायत उसी अधिकारी को पहुंचा दी गई।

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सतना। संभागायुक्त रीवा को दी जाने वाली शिकायतों के निराकरण में गंभीरता नहीं बरती जा रही है। हाल यह है कि जिस अधिकारी के विरुद्ध शिकायत की जाती है, उसी अधिकारी को जांच भी सौंप दी जाती है। यह स्थिति तब है जब शिकायतकर्ता द्वारा अपनी शिकायत में यह भी स्पष्ट लिखा गया है कि मामले की जांच विभागीय स्तर पर न कराकर रेवेन्यू अफसर से अथवा संभागीय कार्यालय से जांच करवाई जाए। एक ऐसा ही मामला जनजातीय कार्य तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के जिला संयोजक कार्यालय में की जा रही स्थाई कर्मियों के नियमितीकरण से जुड़ा आया है। इसमें कमिश्नर रीवा संभाग को जिला संयोजक की अनियमितता की शिकायत की गई थी। वहां से जांच करने के लिए जिला संयोजक के पास ही आ गई है।

स्थाई कर्मी संघ ने की थी शिकायत

जन जातीय कार्य तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के जिला संयोजक ने 24 जुलाई को स्थायी कर्मियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया की। इसमें अनियमितता के आरोप लगाते हुए स्थाई कर्मी संघ के अध्यक्ष अमरसेन सहित रन्नू चौधरी, अर्चना कोल ने ने संभागायुक्त अनिल सुचारी से शिकायत कर दी। उसमें बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा राजपत्र में स्पष्ट किया गया है कि 26 जनवरी 2001 के बाद तीन संतान वाले किसी भी शासकीय नौकरी में लाभ या नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे। लेकिन, जिला संयोजक अविनाश पाण्डेय ने इसकी अनदेखी कर अपात्र लोगों के नाम भी नियमितीकरण में शामिल कर लिए। दिलीप कोरी, पप्पू भूमिया, खुशबू सहित अन्य लोगों की समग्र आअडी से जांच की जा सकती है कि इन सभी की तीन या उससे अधिक संतानें है। यह भी बताया गया कि पूर्व में नियमितीकरण संबंधी जब विभाग स्तर पर अनुमति चाही गई थी तो केवल 36 कर्मचारी परीक्षण उपरांत पात्र पाए गए थे। इसमें से कई लोगों ने फर्जी अंकसूची भी लगाई है। जबकि वरिष्ठता सूची में इनकी योग्यता अलग है। शिकायत में अंत में लिखा गया है कि इस मामले की। जांच विभागीय न करवा कर तहसीलदार या संभागीय कार्यालय से कराई जाए।

यह हुआ शिकायत का हश्र

संभागायुक्त रीवा अनिल सुचारी ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए शिकायत पत्र को टीएल (टाइम लिमिट) मार्क करते हुए जांच के लिएस्थापना को दिया। जहां से जांच संभागीय उपायुक्त जन जातीय कार्य तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के पास पहुंची, लेकिन उन्होंने शिकायत को जांच के लिए वापस जिला संयोजक जन जातीय कार्य तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग का मामला सतना को भेज दिया। स्पष्ट है कि जिस अधिकारी की शिकायत है वे इसकी जांच किस तरह करेंगे।

जिला संयोजक ने अपनी जांच का जिम्मा अपने मातहतों को दिया

गठित की तीन सदस्यीय टीम इधर जिला संयोजक के पास यह शिकायत आने पर उन्होंने अपने मातहत तीन छात्रावास अधीक्षकों की टीम गठित की। इसमें श्रीनिवास सतनामी, धर्मेन्द्र सिंह और राजेश कुमार पाण्डेय शामिल किए गए हैं। अब टीम मामले की जांच कर रही है।