रामनगर निवासी राकेश सिंह की ससुराल शहडोल जिले के बनचाचर गांव में है। माली हालत ठीक न होने के कारण वह पहले ससुराल में रहकर काम करता था, लेकिन, बाद मुंबई चला गया। वहां पहुंचने के कुछ दिन बाद से उसका परिजनों से संपर्क टूट गया। शुरुआती दौर में परिजनों ने खोजबीन भी की, पुलिस तक में गुमशुदगी दर्ज कराई। लेकिन, राकेश का कोई पता नहीं लगा। परिजन भी मान लिए कि वो नहीं लौटेगा। करीब तीन माह बाद अचानक राकेश ससुराल शहडोल पहुंच गया। परिजन उसे देखकर पहले तो हैरान रह गए। लेकिन, राकेश गुमशुम पड़ा रहा। उसकी याददाश्त चली गई थी, वो परिजनों को नहीं पहचान रहा था।
घायल अवस्था में मिला था
परिजनों ने देखा कि राकेश के सिर में एक गड्ढा है। पेट में भी चीरा लगा हुआ है, सूजन भी है। जिसके बाद उसे शहडोल में डाक्टर के पास लेकर गए। डाक्टर ने मरीज से पूछताछ की, तो उसने बताया कि वह मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती था। जिला अस्पताल शहडोल में पदस्थ डाक्टर राजा शितलानी ने जब पूरे मामले की पड़ताल की, तो पता चला कि मुंबई के सांयस अस्पताल में भर्ती था। सायंस अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि राकेश स्टेशन पर घायला अवस्था में पड़ा था। कुछ लोगों ने उसे भर्ती कराया था। उसके सिर में गहरी चोट थी। ऑपरेशन किया गया। सिर की हड्डी को पेट में सुरक्षित रखा गया है। राकेश को अस्पताल में भर्ती होने से पहले का कुछ भी याद नहीं था।
परिजनों ने देखा कि राकेश के सिर में एक गड्ढा है। पेट में भी चीरा लगा हुआ है, सूजन भी है। जिसके बाद उसे शहडोल में डाक्टर के पास लेकर गए। डाक्टर ने मरीज से पूछताछ की, तो उसने बताया कि वह मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती था। जिला अस्पताल शहडोल में पदस्थ डाक्टर राजा शितलानी ने जब पूरे मामले की पड़ताल की, तो पता चला कि मुंबई के सांयस अस्पताल में भर्ती था। सायंस अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि राकेश स्टेशन पर घायला अवस्था में पड़ा था। कुछ लोगों ने उसे भर्ती कराया था। उसके सिर में गहरी चोट थी। ऑपरेशन किया गया। सिर की हड्डी को पेट में सुरक्षित रखा गया है। राकेश को अस्पताल में भर्ती होने से पहले का कुछ भी याद नहीं था।
डॉक्टरों की बात सुनकर भागा था
मुंबई के डॉक्टर राकेश को अनाथालय में भर्ती कराने की बात कर रहे थे। जिसे वो सुन लिया और वहां से भाग खड़ा हुआ। उसके जेब में आधार कार्ड था, स्टेशन से कुछ लोगों ने आधार पर पता देखकर उसे ट्रेन में बैठा दिया और वह लोगों से पूछ-पूछकर शहडोल पहुंच गया।
मुंबई के डॉक्टर राकेश को अनाथालय में भर्ती कराने की बात कर रहे थे। जिसे वो सुन लिया और वहां से भाग खड़ा हुआ। उसके जेब में आधार कार्ड था, स्टेशन से कुछ लोगों ने आधार पर पता देखकर उसे ट्रेन में बैठा दिया और वह लोगों से पूछ-पूछकर शहडोल पहुंच गया।
याददाश्त गई है, हड्डी पेट में रखी
युवक की हादसे के बाद याददास्त चली गई थी। अभी धीरे- धीरे युवक को सबकुछ याद आ रहा है। सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने मानवता की मिसाल पेश की है। डॉक्टरों ने तीन माह तक युवक को पाला और ब्रेन का बड़ा ऑपरेशन किया। ब्रेन की हड्डी पेट में सुरक्षित रख दी थी। युवक के परिजन किडनी निकलने की आशंका जताते हुए मेरे पास इलाज के लिए पहुंचे थे, मैंने वस्तुस्थिति परिजनों को बताई है। बाद में युवक के ब्रेन की हड्डी को रिअटैच कर दिया जाएगा।
डॉ. राजा शितलानी, इलाज करने वाले डॉक्टर
युवक की हादसे के बाद याददास्त चली गई थी। अभी धीरे- धीरे युवक को सबकुछ याद आ रहा है। सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने मानवता की मिसाल पेश की है। डॉक्टरों ने तीन माह तक युवक को पाला और ब्रेन का बड़ा ऑपरेशन किया। ब्रेन की हड्डी पेट में सुरक्षित रख दी थी। युवक के परिजन किडनी निकलने की आशंका जताते हुए मेरे पास इलाज के लिए पहुंचे थे, मैंने वस्तुस्थिति परिजनों को बताई है। बाद में युवक के ब्रेन की हड्डी को रिअटैच कर दिया जाएगा।
डॉ. राजा शितलानी, इलाज करने वाले डॉक्टर
मजदूरी के लिए एक साल पहले मुंबई गए थे। अचानक संपर्क टूट गया था। परिवार का हर कोई परेशान था। मुंबई में हुए कोई हादसे में याददाश्त चली गई थी। जिसके बाद आधार कार्ड में लिखे पते के आधार पर घर तक पहुंचे हैं।
तामेश्वर सिंह, युवक का जीजा
तामेश्वर सिंह, युवक का जीजा