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1925 रुपए क्विंटल की दर पर 25 मार्च से शुरू होगी समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी

सरकार ने जारी की गेहूं उपार्जन नीति

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Wheat procurement will start from March 25, rate 1925 per quintal.

Wheat procurement will start from March 25, rate 1925 per quintal.

सतना. इस रबी विपणन मौसम 2020-21 में समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन की सरकार ने नीति घोषित कर दी है। जारी नीति में बताया गया कि औसत अच्छी गुणवत्ता (एफएक्यू) ग्रेड का गेहूं समर्थन मूल्य पर 1925 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा। गेहूं की खरीदी 25 मार्च से प्रारंभ होगी जो 22 मई तक जारी रहेगी। गेहूं उपार्जन नीति में बताया गया है कि किसानों से गेहूं खरीदी का काम सप्ताह के पांच दिन सोमवार से शुक्रवार तक ही किया जाएगा। शनिवार और रविवार को सप्ताह में शेष स्कंध का परिवहन, भंडारण, लेखा का मिलान सहित गुणवत्ता विवाद के आधार पर अस्वीकृत स्कंध का अपग्रेडेशन या वापसी का निराकरण किया जाएगा।
प्रोटोकॉल बनेगा आफत
प्रदेश सरकार इस बार एक्जिट प्रोटोकॉल गेहूं खरीदी में लेकर आ रही है। इसके अनुसार अगर किसी केन्द्र पर अधिकांश किसानों ने विक्रय पूर्ण कर लिया है तो संचालक खाद्य नागरिक आपूर्ति निर्धारित एक्जिट प्रोटोकॉल के अनुरूप उपार्जन कार्य २ सप्ताह बाद स्थगित कर सकेंगे। माना जा रहा है कि यह व्यवस्था भण्डारण संकट को देखते हुए लागू की गई है। ऐसे में सभी पंजीकृत किसानों से तय समयावधि तक खरीदी के पहले भी खरीदी बंद की जा सकेगी।

उपार्जन प्रबंधन कलेक्टर की जिम्मेदारी

बताया गया कि जिला उपार्जन समिति के अध्यक्ष कलेक्टर द्वारा उपार्जन प्रबंधन स्वयं के नेतृत्व में किया जाएगा। इस कार्य के लिए किसी अन्य अधिकारी को पावर नहीं दिए जाएंगे। कलेक्टर प्रत्येक केन्द्र के लिये नोडल अधिकारी नामित करेंगे जो उस केन्द्र की गतिविधियों के पर्यवेक्षण के लिए उत्तरदायी होगा।
उपार्जन के पहले कांटों का सत्यापन
उपार्जन केन्द्रों में उपयोग में लाए जाने वाले कांटों का सत्यापन नियंत्रक नापतौल से कराना अनिवार्य होगा। यह कार्य खरीदी प्रारंभ होने के एक सप्ताह पहले कराना होगा। जिले में इलेक्ट्रानिक तौल कांटों में धान खरीदी के दौरान चिप वाला मामला सामने आ चुका है। लिहाजा तौल कांटों को लेकर इस पर नियंत्रक नापतौल पर ज्यादा जिम्मेदारी होगी।

एक केंद्र में कृषक संख्या 750

गेहूं खरीदी केन्द्र में किसानों की संख्या 200 से 750 तक रखने के निर्देश दिए गए हैं। केन्द्र पर 3000 से 5000 मीट्रिक टन मात्रा की खरीदी की जा सकेगी। आवश्यकतानुसार इसमें 50 फीसदी तक की कमी या वृद्धि संचालक खाद्य कर सकेंगे। व्यवस्था ऐसी की जाएगी कि किसान को अपने खरीदी केन्द्र से 25 किलोमीटर से ज्यादा दूर न जाना पड़े।