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सिंधी समाज के घरों में नहीं जले चूल्हे, महिलाओं ने मनाया थदड़ी पर्व

दिन भर हुई पूजा आर्चना, सभी ने खाया बासा भोजन

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सतना

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Rajesh Sharma

Sep 02, 2018

women celebrated Thddi festiva

women celebrated Thddi festiva

सतना। शहर में सिंधी समाज का थदड़ी पर्व परम्परागत तरीके से सिंधी समाज की महिलाओं ने भक्ति भाव के साथ मनाया। रविवार की सुबह से घरों में पूजा -अर्चना शुरु हो गई थी। सिंधी समाज के अधिकतर घरों में चूल्हे नहीं जलाए गये थे । ज्ञात हो कि थदड़ी का हिन्दी अर्थ ठंडा या शीतल रहना है। इस त्योहार पर समाज की महिलाओं ने शीतला माता की पूजा-अर्चना की गई।

एक दिवस पहले पकाया था भोजन
सिंधी समाज की महिलाओं द्वारा कमरछठ के एक दिवस पूर्व अर्थात शनिवार को प्रात: सिंधी समाज की महिलाओं ने स्नान आदि कर नाना प्रकार के सिंधी पकवान बनाए थे। दूसरे दिवस रविवार को कृष्ण पक्ष सप्तमी की तिथि में महिलाओ ने पूजा कर अन्य प्रसाद ग्रहण किया।ज्ञात हो कि सिंधी समाज के इस पर्व का विशेष महत्व है। यह त्योहार साल में पढ़ता है। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि इससे परिवार में सुख समृद्धी कायम रहती है। जिस कारण सिंधी समाज की महिलाएं इस त्योहार को मनाती हैं।

शीतला माता मंदिर में हुई पूजा-अर्चना
शीतला माता मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। व्यंजनों की तैयारी करने के बाद चूल्हे को पीली माटी से लीप कर एक कलश में जल भर कर चूल्हे की पूजा अर्चना की गई। थदड़ी त्योहार पर महिलाओं ने शीतला माता मंदिर में पूजा-अर्चना के उपरांत एक साथ थाली में सरोवर का जल भर कर घर ले आई। इस जल का चूल्हे के अलावा पूरे घर में मंत्रोच्चार के साथ छिड़काव किया गया। इसके बाद सभी पकवान जो एक दिन पूर्व बनाये गये थे उन्हें एक थाली में परोसकर फल व मिष्ष्ठान के साथ पास - पड़ोस व धार्मिक स्थलों में भेजा गया। समाजसेवी पलक रिझवानी ने बताया कि इस ठंडे भोज को घर परिवार एवं अतिथियों के साथ ग्रहण किया गया। मान्यता है कि इस त्योहार में ठंडा भोजन ग्रहण करने पर वर्ष भर घर में सुख शांति बनी रहती है। थदड़ी के दिन ठार मता ठार पांजे बचन खे ठार गीत को महिलाओं द्वारा गाया जाता है।