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सतना। मध्यप्रदेश के सतना शहर में प्रतिदिन आठ लाख लीटर दूध की खपत हो रही है। पीने से ज्यादा दूध का उपयोग मिठाई, मावा, दही सहित अन्य सामग्री निर्मित करने में किया जा रहा है। महज 3 लाख लीटर दूध पीने में उपयोग किया जाता है। वहीं चार से पांच लाख लीटर दूध से खाद्य सामग्री (मिठाई सहित अन्य) बनाई जाती है।
दूध का उत्पादन शहर की तुलना में गांवों में अधिक हो रहा है, लेकिन खपत के मामले में शहर आगे है। गांवों की बजाए शहर में सबसे ज्यादा दूध की खपत हो रही है। इसकी वजह शहर में दूध का उपयोग पीने के अलावा बड़ी मात्रा में मिठाई, मावा, दही सहित अन्य सामग्री निर्मित करने में लगता है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में खेती किसानी के साथ-साथ दूध उत्पादन एक रोजगार का सुनहरा साधन है।
गाय के दूध की डिमांड, भैंस के दूध का उत्पादन अधिक
ग्रामीण सहित शहरी अंचल में गाय के दूध की डिमांड अधिक है। अधिकांश लोग गाय के दूध का सेवन करना चाहते हैं, लेकिन गाय की तुलना में भैंस के दूध का उत्पादन अधिक हो रहा है। जिले में सबसे ज्यादा भैंस के दूध का उत्पादन (68 फीसदी) है। दूसरे नबंर पर गाय (30 फीसदी) और 2 फीसदी बकरी के दूध का उत्पादन हो रहा है।
शहर से ज्यादा गांव में दूध का उत्पादन
शहर की बजाए गांवों में दूध का उत्पादन अधिक हो रहा है। सबसे ज्यादा उत्पादन अमरपाटन 450, मझगवां 410, मैहर 350, नागौद, 410, रामपुर बाघेलान 330, उचेहरा 350, रामनगर 295 हजार मीट्रिक टन हो रहा है। वहीं सोहावल (सतना) ब्लॉक में 320 हजार मीट्रिक टन दूध उत्पादित किया जा रहा है।
जिले में दूध का उत्पादन हजार मीट्रिक टन में
- 68 फीसदी भैंस के दूध से होती है आपूर्ति
- 30 फीसदी गाय के दूध से होती है आपूर्ति
- 02 प्रतिशत बकरी के दूध का उत्पादन
- 08 लाख लीटर कुल दूध का उत्पादन
फैक्ट फाइल
- विकासखण्ड उत्पादन
- सोहावल 320
- मझगवां 410
- मैहर 350
- नागौद 410
- रामपुर बाघेलान 330
- उचेहरा 350
- अमरपाटन 450
- रामनगर 295
Published on:
01 Jun 2018 05:32 pm
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