एक तरफ दौसा जिले का मोरेल बांध पर चादर चलना शुरू हो गई है। वहीं टोंक जिले का बीसलपुर बांध जल्द लबालब होने वाला है। पूरा भरने के बाद इसके गेट खोले जाएंगे। इसी प्रकार कई दिन से चंबल नदी खतरे के निशान पर बह रही है। इन सभी नदियों का पानी खंडार इलाके के त्रिवेणी संगम पर मिला है, जहां पर एमपी से आने वाली नदी सीप भी अपना पानी उगल कर त्रिवेणी संगम बनाती है।
मोरेल बांध के छलकने से इसका पानी सवाई माधोपुर जिले में बहने वाली मोरेल नदी में आएगा। यह नदी आगे आकर बनास नदी में संगम करती है। इन दोनों नदियों का संगम हाड़ौती गांव के पास होता है। इस कारण अगर यहां बनास के उफान का पानी इसके पानी से टकराता है तो कई गांवों में जल भराव एवं मार्ग बाधित होने के हालात खड़े हो सकते हैं।
इधर जब बनास अपने उफान में मोरेल एवं दूसरी छोटी नदियों का पानी समेट कर आगे जाएगी तो उसका रामेश्वर त्रिवेणी संगम पर चंबल और सीप नदी के पानी से टकराव होता है। ऐसे में अब भी चंबल नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और उधर मध्यप्रदेश से आने वाली सीप नदी अपना विकराल रूप दिखा रही है।
इन दोनों नदियों का पानी रामेश्वर पर टकरा रहा है और वहां आसपास के इलाके के 12 गांवों के लिए आफत बन गया है। ऐसे में चंबल के इसी संगम पर पहुंचती है तो फिर पानी के कारण खंडार इलाके के तीन दर्जन से अधिक गांवों के लिए संकट बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा।
चंबल के किनारे बसे 17 गांवों में अलर्ट
बनास में भारी पानी की आवक हुई और वह चंबल के पानी से टकरा कर आगे जाता है तो खंडार इलाके से बालेर, कौसरा, बिचपुरी, बाजोली, क्यारदा, बहरावंडा कला, कारौली, रेडावद, शंकरपुरा, छार्रा, सिंगोर कला, अक्षयगढ़ सहित 10 दूसरे गांवों का संपर्क कट जाएगा। पानी का भराव होने पर इस पार के भी 20 गांव इससे प्रभावित होंगे। इन गांवों के अलावा चंबल के किनारे बसे 17 गांवों में प्रशासन ने अलर्ट जारी कर रखा है।
जब डूब गए थे दर्जनों गांव
जयपुर में भारी बरसात के कारण 1982 में जयपुर सहित सवाई माधोपुर जिले को बाढ़ का सामना करना पड़ा था। उस समय बरसात का पानी मोरेल बांध झेल नहीं पाया था। यह बांध पूरा मिट्टी का बना होने के कारण इसकी पाल टूट गई थी और मोरेल नदी उफान पर आ गई थी। उस समय बनास एवं चंबल भी उफान पर थी। इस कारण पूरा इलाका जलमग्न हो गया था और दर्जनों गांव डूब गए थे।