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अतीत के झरोखे से भूली-बिसरी यादें

locationसवाई माधोपुरPublished: Mar 16, 2019 12:29:53 pm

Submitted by:

Vijay Kumar Joliya

अतीत के झरोखे से भूली-बिसरी यादें

holi

Holi

सवाईमाधोपुर. रंगों का त्योहार होली निकट है। बाजारों व घरों में त्योहार के स्वागत की तैयारी शुरू हो गई है। समय के साथ-साथ होली खेलने के तौर तरीकों में खासा बदलाव आया है। आधुनिकता का असर रंगों के त्योहार पर भी नजर आने लगा है, लेकिन पत्रिका ने अतीत के झरोखे से जिले की होली की प्राचीन परम्पराओं व तौर तरीकों के बारे में जाना और साहित्यकारों से होली के पुराने स्वरूप की जानकारी की। साहित्यकार प्रभा शंकर उपाध्याय ने बताया कि पुराने समय में जिले में कुल्हड़ व मटकी फोड़, जूतों की होली व तोरण मार होली खेली जाती थी जो धीरे-धीरे समय के साथ बंद हो गई। आज हम आपको को गंगापुर की ऐसी ही एक प्राचीन होली के बारे में जानकारी देंगे।

1983 में लगाई थी धारा 144
सालों तक बौंली में तोरण मार होली का चलन रहा, लेकिन 1982 में जिस मकान पर तोरण बांध जाता था उसके मालिक ने इस प्रकार के आयोजन का विरोध किया और जिला कलक्टर को शिकायत की। इसके बाद इस प्रकार के आयोजन के स्थान में बदलाव किया गया और बाजार में चौराहे पर तोरण बांधने की प्रक्रिया शुरू की गई। उस समय एतियात के तौर पर जिला प्रशासन की ओर से 27 मार्च से 30 मार्च तक बौंली में धारा 144 लागू की गई और पुलिस की मौजूदगी में होली की रस्म को मनाया गया। बाद में होली के इस ढंग का चलन बंद कर दिया गया।

1983 तक खेली गई तोरण मार होली
बौंली में पूर्व में तोरण मार होली खेली जाती थी। इसमें एक गली में स्थित एक मकान पर तोरण बांध दिया जाता था और गधे को दूल्हा बनाया जाता था बाद में लोगों के विरोध करने पर इसे बंद किया गया। यह प्रक्रिया 1983 तक जारी रही।

होली मिलन समारोह कल
सवाईमाधोपुर. योग सेवा दल समिति के तत्वावधान में रविवार को अखिल भारतीय योग विद्या प्रचार संघ परमहंस योगाश्रम में शाम चार बजे होली मिलन समारोह मनाया जाएगा। समिति के अध्यक्ष रविशंकर सैनी ने कहा कि कार्यक्रम में महिलाओं की भजन मंडली होली गीतों की प्रस्तुति देंगी।
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