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Rajasthan : जलीय जीवों का सुपर ट्यूरिस्ट सेंटर बनने की राह पर घड़ियाल अभयारण्य, ये है खासियत

वन व पर्यटन विभाग की ओर से प्रयास किए जाएं तो राजस्थान व मध्यप्रदेश की सीमा के बीच स्थित राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल अभयारण्य जलीय जीवों का एक नया सुपर ट्यूरिस्ट सेंटर बन सकता है।

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सवाईमाधोपुर. वन व पर्यटन विभाग की ओर से प्रयास किए जाएं तो राजस्थान व मध्यप्रदेश की सीमा के बीच स्थित राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल अभयारण्य जलीय जीवों का एक नया सुपर ट्यूरिस्ट सेंटर बन सकता है। सवाईमाधोपुर में चम्बल में बोटिंग से पर्यटन भी किया जा रहा है। लेकिन बोटिंग के अलावा भी यहां पर्यटकों को नाइट वाटर सफारी, नाइट स्टे, रिवर फ्रंट आदि कई प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराई जा सकती है, ताकि पर्यटन में इजाफा हो सके। राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल अभयारण्य सवाईमाधोपुर जिले में आता है। राजस्थान में अभयारण्य का मुख्यालय पहले सवाईमाधोपुर में था, हालांकि अब इसको धौलपुर कर दिया गया है।

गंगा के बाद चम्बल अभयारण्य में सर्वाधिक घड़ियाल
सवाईमाधोपुर जिले में चम्बल घड़ियाल राष्ट्रीय अभयारण्य में गंगा नदी के बाद सबसे अधिक घड़ियाल पाए जाते हैं। सवाईमाधोपुर के साथ करौली, धौलपुर, बूंदी व कोटा क्षेत्र में अभयारण्य के हिस्से में आता है, लेकिन सवाईमाधोपुर में नदी के बीच टापू बना हुआ है। जहां पर पानी में तैरने के साथ जलीव जीव टापू पर विचरण करते हैं। जो पर्यटकों को खासा लुभा सकता है। सिर्फ इसको विकसित करने की दरकार है। अगर ये विकसित हो जाए तो पर्यटन की दृष्टि से विकास हो सकता है। लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

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पर्यटन की विपुल संभावना
सवाईमाधोपुर में रणथम्भौर में बाघ देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। ऐसे में पर्यटकों को राष्ट्रीय चम्बल घडिय़ाल अभयारण्य की तरफ डायवर्ट करने की जरूरत है। सवाईमाधोपुर से महज 25 किमी की दूरी पर ही ये अभयारण्य स्थित है। इसके लिए चम्बल घडिय़ाल क्षेत्र में पर्यटकों के लिए सुविधाएं, सुगम रास्ते व फूड जोन सहित अन्य इंतजामों की जरूरत है। चम्बल में बोटिंग के माध्यय से पर्यटक दुर्लभ जीवों की साइटिंग कराई जा सकती है।

तीन राज्यों से होकर गुजरता है
राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य देश का एक मात्र ऐसा जलीय अभयारण्य है। जो देश के राजस्थान, मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश तीन राज्यों से होकर गुजरता है। इसके कोर एरिया में 400 किमी लम्बी चंबल नदी आती है। ऐसे में राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने से देश के तीनों राज्यों को लाभ होगा।

नेचुरल ब्रीडिंग सेंटर है पालीघाट
पालीघाट घड़ियालों की ब्रीडिंग का नेचुरल स्थान है। आम तौर पर घड़ियाल अण्डे देते हैं। अब यहां अण्डों को सुरक्षित करने के लिए नेट फेंसिंग करके हैचरी विकसित करने की कवायद भी की जा रही है। ऐसे में यहां भविष्य में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।

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राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य के पाली घाट को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कवायद की जा रही है। इसके लिए उच्च स्तर पर वार्ता की जा रही है। इसके लिए विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। बोटिंग शुरू कर दी गई हैं। अन्य सुविधाओं को विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है।
अनिल यादव, उपवन संरक्षक, राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य, धौलपुर।

क्या है खास बात अभयारण्य में

1978 में हुई थी स्थापना

400 किमी लंबी चंबल नदी है कोर क्षेत्र में

घड़ियाल की संख्या 2176

मगरमच्छ की संख्या 886

डॉलफिन की संख्या 83

देशी-विदेशी पक्षियों की 300 करीब प्रजाति यहां देखने को मिलती है।

त्रिवेणी संगम, चम्बल, बनास व सीप नदी का।

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