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Rajasthan: शिक्षा नीति में हुआ बुनियादी बदलाव, पाठ्यक्रम में बच्चे पढ़ेंगे रणथंभौर की शानदार कहानी

National Education Policy 2020: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्राथमिक शिक्षा में कई बुनियादी बदलाव किए गए हैं। पाठ्यक्रम का नया स्वरूप सामने आया है।

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Ranthambore

पत्रिका फाइल फोटो

सवाई माधोपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्राथमिक शिक्षा में कई बुनियादी बदलाव किए गए हैं। इसके तहत इस सत्र से कक्षा 1 से 5 तक का पाठ्यक्रम का नया स्वरूप सामने आया है। इसमें बच्चों के समग्र बौद्धिक, सामाजिक एवं भाषाई विकास को ध्यान में रखते हुए स्थानीयता और प्रासंगिकता को केंद्रित कर स्थान दिया गया है।

शिक्षक गजेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि कक्षा 4 की अंग्रेजी पुस्तक में ए विजिट टू सेंचुरी नामक पाठ के माध्यम से बच्चों को रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा पर ले जाया गया है। इस पाठ में जंगल सफारी, जोगी महल, टाइगर, सांभर, नीलगाय जैसे जीव-जंतुओं का चित्रात्मक और संवादात्मक उल्लेख किया गया है, जिससे बच्चों को पर्यावरणीय चेतना अनुभव के स्तर पर मिल सके।

सामाजिक एवं भाषाई विकास के लिए पहल

नई पुस्तकों में अब टॉम और अल्बर्ट जैसे पात्रों की जगह भाग्यश्री, कविता, सरिता जैसे नाम शामिल किए गए हैं। यह परिवर्तन बच्चों को पाठों से भावनात्मक रूप से जोड़ने और भाषा को अधिक आत्मीय रूप से समझने की दिशा में एक प्रयास है। कक्षा 3 की अंग्रेजी पुस्तक में राजस्थान की पारंपरिक मिठाइयां घेवर, फीणी, जलेबी, बेसन चक्की और व्यंजन दाल-बाटी-चूरमा जैसे परिचित संदर्भ दिए गए हैं। इसके साथ ही मक्का, बाजरा, गेहूं जैसी प्रमुख फसलों के चित्र अंग्रेजी नामों सहित शामिल किए गए हैं, ताकि बच्चे अपने अनुभवों को अंग्रेजी से जोड़ सकें। माखन लाल चतुर्वेदी की सुप्रसिद्ध रचना पुष्प की अभिलाषा को अब बच्चे अंग्रेजी में ‘ए लॉवर ’’स विश’ में पढ़ेंगे।

जोड़े गए ये नए विषय

पहले पाठ्यक्रमों में ‘इग्लू’ और ‘टुंड्रा’ जैसे दूरस्थ अवधारणाएं शामिल थीं। अब उनकी जगह ‘बास्योड़ा की थाली’, ‘रामदेवरा यात्रा’, ‘अमृता देवी बिश्नोई’ और ‘हारो प्रदेश, हारो मान’ जैसे स्थानीय सामाजिक-सांस्कृतिक विषयों को सम्मिलित किया गया है। शिक्षा विभाग ने विषयवस्तु को कक्षा अनुसार इस प्रकार संरचित किया है कि जैसे-जैसे छात्र ऊंची कक्षाओं की ओर बढ़ते हैं, उन्हें राजस्थान की गौरवगाथाएं, लोक कथाएं, संयुक्त परिवार की संस्कृति, वीर दुर्गादास राठौड़ जैसे नायकों और चंद्रयान जैसे वैज्ञानिक विषयों से परिचित कराया जा सके। अब पुस्तकों में ही गतिविधियां जोड़ दी गई हैं, जिससे बच्चों को अलग से वर्कबुक की आवश्यकता नहीं रहेगी।

इनका कहना है….

राजस्थान सरकार और शिक्षा विभाग की यह पहल केवल पाठ्यक्रम नहीं, बल्कि सोचने की दिशा को बदलने वाला कदम है। यह शिक्षा को जीवन से जोड़ने, मातृभूमि से जोड़े रखने और वैश्विक भाषा अंग्रेजी को भी स्थानीय रंगों में ढालने की अनूठी शुरुआत है।
-दिनेश गुप्ता, अति. जिला परियोजना समन्वयक, समग्र शिक्षा सवाईमाधोपुर