script‘स्त्री देह से आगे’ विषय विवेचन कार्यक्रम में गुलाबी कोठारी बोले- माता-पिता को लड़के-लड़कियों में अर्द्धनारीश्वर का भाव जगाना होगा | Program Stree Deh Se Aage Gulabi Kothari said parents will have to awaken feeling of Ardhanarishwar in boys-girls | Patrika News
सवाई माधोपुर

‘स्त्री देह से आगे’ विषय विवेचन कार्यक्रम में गुलाबी कोठारी बोले- माता-पिता को लड़के-लड़कियों में अर्द्धनारीश्वर का भाव जगाना होगा

Patrika Group Editor Gulab Kothari: राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में ‘स्त्री देह से आगे’ विषय विवेचन कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने नारी शक्ति और उसके भाव को समझाया।

सवाई माधोपुरJun 02, 2025 / 08:39 am

Arvind Rao

Gulab Kothari

पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी

Sawai Madhopur News: पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि शरीर आत्मा का दर्पण है, वह स्त्री के शरीर के भीतर विद्यमान है। पुरुष के पास स्थाई भाव नहीं है और स्त्री के पास शाश्वत भाव है, जिससे वह अर्द्धनारीश्वर भाव से जी रही है। सृष्टि भी आत्मा प्रधान है।

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Stree Deh Se Aage
गुलाबी कोठारी से मिलते हुए लोग

संपादक गुलाब कोठारी ने कहा, पुरुष के पास बीज और स्त्री बीज रहित है। कोठारी ने कहा कि हर पुरुष के अंदर स्त्री और स्त्री के अंदर पुरुष है। आज के बच्चों में आधा हिस्सा शून्य है, इसलिए माता-पिता को लड़के-लड़कियों में अर्द्धनारीश्वर का भाव जगाना होगा।

‘स्त्री की दिव्यता सृष्टि के प्रत्येक हिस्से से जुड़ी’


कोठारी रविवार को पत्रिका के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूरचंद्र कुलिश के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में सवाई माधोपुर के रणथम्भौर रोड स्थित सेंचुरी रिसॉर्ट में ‘स्त्री देह से आगे’ विषय विवेचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर विभिन्न संगठनों की ओर से कोठारी का स्वागत किया गया।
Stree Deh Se Aage
गुलाब कोठारी का स्वागत करतीं दौसा से आई महिलाएं


महिलाओं से संवाद करते हुए कोठारी ने कहा कि स्त्री की दिव्यता सृष्टि के प्रत्येक हिस्से से जुडी हुई है, जिससे वह मां रूपी त्रिकालदर्शी के रूप में जानी जाती है। उन्होंने कहा मां ही सबका निर्माण करती है, इसलिए भारतीय ग्रंथों में नारी को देवी कहा गया। प्रत्येक स्त्री और पुरुष दोनों ही अर्द्धनारीश्वर है और दोनों एक-दूसरे में समाहित है।
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कोठारी ने आधुनिक दौर में विवाह विच्छेद पर तार्किक चर्चा करते हुए कहा कि आज के लड़कों में करुणा व संवेदनशीलता नहीं है, वह आक्रामक हैं। जबकि एक लड़की को बचपन से परिवार की सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना सिखाया जाता है।

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