
Rajasthan News: उदयपुर के वन विभाग की ओर से बस्सी के कनजर्वेशन रिजर्व से एक प्राकृतिक टाइगर कॉरिडोर को विकसित करने पर काम किया जा रहा है। इसके चलते रणथम्भौर के बाघ-बाघिनों से उदयपुर के जंगलों को भी आबाद करने की योजना है। इस दिशा में उदयपुर वन विभाग की ओर से दस साल के मैनेजमेंट प्लान को लेकर एक प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है। ऐसे में सब कुछ यदि योजना के हिसाब से हुआ तो आने वाले साल में प्रदेश को इस टाइगर कॉरिडोर की सौगात भी मिल जाएगी। बस्सी कनजर्वेशन रिजर्व में वर्तमान में पैंथर व अन्य कई प्रकार के वन्यजीवों का विचरण है।
ग्रासलैण्ड किया जाएगा विकसित
वन अधिकारियों ने बताया कि बस्सी से उदयपुर तक के जंगलों के प्राकृतिक कॉरिडोर तक ग्रासलैण्ड विकसित करने की योजना पर काम करने की योजना तैयार की जा रही है। जल्द ही प्रस्ताव व रिपोर्ट तैयार करके उच्च अधिकारियों को भिजवाई जाएगी। सूत्रों की मानें तो इस योजना को अमली जामा पहनाने में करीब 50 करोड़ का खर्च आने की संभावना जताई जा रही है।
इस तरह से जुड़ेगा रणथम्भौर से
वन अधिकारियों ने बताया कि रणथम्भौर से बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व और कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व तक एक प्राकृतिक टाइगर कॉरिडोर है। इस कॉरिडोर से पूर्व में भी कई बाघ बाघिन रणथम्भौर से निकलकर रामगढ़ विषधारी और फिर यहां से कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व तक रणथम्भौर के बाघ बाघिन पहुंच गए हैं। पूर्व में मुकुंदरा के जंगल से निकलकर एक बाघ भैसोरगढ वन क्षेत्र के जंगलों में पहुंच गया था। जबकि भैसोरगढ से बस्सी तक की दूरी करीब 25 किमी है। ऐसे में यदि यहां टाइगर कॉरिडोर को पूरी तरह से विकसित किया जाता है तो आने वाले समय में रणथम्भौर के बाघों की दहाड़ उदयपुर के जंगलों तक भी सुनाई दे सकती है।
प्राकृतिक टाइगर कॉरिडोर को विकसित करने की दिशा में योजना बनाई जा रही है। इसके लिए दस साल का मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जा रहा है। वर्तमान में देश में बाघों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में भविष्य में टेरेटरी की तलाश को लेकर इस ओर आने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
राजकुमार जैन, सीसीएफ, उदयपुर
Published on:
01 Jan 2024 11:33 am
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