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विद्यार्थियों ने जड़ा विद्यालय पर ताला, करीब तीन घंटे तक रहा हंगामे का माहौल

कक्षा कक्षों की कमी के चलते तालाबंदी ,तहसीलदार के आश्वासन के बाद खुला ताला

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sawaimadhopur: शेरपुर स्थित राजकीय आदर्श उमावि के बाहर प्रदर्शन करते विद्यार्थी व लगाया गया ताला।

सवाईमाधोपुर. एक ओर जहां राज्य सरकार विद्यार्थियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए अन्नपूर्णा दूध योजना जैसी महती योजना का सोमवार से आगाज कर रही है। वहीं विद्यालयों की सेहत सुधारने को लेकर अनदेखी कर रही है। इसी के चलते शेरपुर के आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों ने तालाबंदी कर दी। विद्यालय में पर्याप्त कक्षा कक्ष नहीं होने से परेशान विद्यार्थियों ने विद्यालय के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया, इससे मार्ग के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा।


डेढ़ घंटे के बाद पहुंचे तहसीलदार : बार बार समझाइश के बाद भी विद्यार्थी जब शांत नहीं हुए तो करीब ड़ेढ घंटे के बाद तहसीलदार मनीराम मौके पर पहुंचे और उन्होंने विद्यार्थियों व लोगों की समझाइश की। उन्होंने पूर्व में पास में ही स्वीकृत की गई विद्यालय की भूमि का सीमाज्ञान कराने का आश्वासन दिया। इसके बाद विद्यार्थी शांत हुए और ताला खोला गया। इस संबंध में प्रधानाचार्य ने उच्च शिक्षा अधिकारियों को भी सूचित किया।

स्कूलों-मदरसों में 62 लाख बच्चों ने पीया दूध
राज्य के सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिड डे मिल के तहत सप्ताह में 3 दिन दूध पिलाने के लिए अन्नपूर्णा दूध योजना सोमवार को शुरू हो गई। जयपुर के समीप दहमीकलां के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बच्चों को दूध पिलाकर योजना की शुरुआत की। हालांकि ज्यादातर बच्चों ने शिकायत की कि दूध फीका है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा, फिलहाल बच्चों को फीका दूध पिलाया जा रहा है लेकिन स्वाद के लिए चीनी या चॉकलेट मिलाई जा सकती है। कार्यक्रम में अक्षयपात्र की ओर से 2000 बच्चों को 400 लीटर दूध और केले वितरित किए गए। इस मौके पर शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, सांसद रामचरण बोहरा, संसदीय सचिव कैलाश वर्मा, जिला प्रमुख मूलचंद मीणा भी उपस्थित थे। हालांकि योजना की आधिकारिक शुरुआत से पहले ही प्रदेश के लगभग सभी स्कूलों में बच्चों को दूध पिला दिया गया था। इसके लिए हर स्कूल स्तर पर कार्यक्रम हुआ। बच्चों को पिलाने से पहले लेक्टोमीटर से दूध की गुणवत्ता जांची। कई जगह बच्चों ने दूध नहीं पीया तो दूध व चॉकलेट पाउडर मिलाकर पिलाया।