नर यह रणथंभौर में अपने पैर नहीं जमा पा रहा है। जंगल के जिस इलाके में यह पला-बड़ा हुआ वहां अब दूसरे नर बाघों ने अपना आधिपत्य जमा लिया है। नर बाघों से संघर्ष से बचने के लिए यह ीमा में या बाहर ही रह रहा है। इन दिनों इसका मूवमेंट खंडार इलाके के तलावड़ा में देखा जा रहा है। विभाग इसे भी सुरक्षित आवास क्षेत्र देना चाहता है।
टी-66 नर युवा बाघ टी-66 लंबे समय से खंडार किला क्षेत्र में विचरण कर रहा है। बाघ जंगल में दूसरे इलाके में जाने का प्रयास करे तो रास्ते में कई दूसरे नर बाघों से संघर्ष होता है। ग्रामीणों के लिए आफत खड़ी करता है। ऐसे में यह बाघ आबादी एवं जंगल के बीच एक पतली लकीर में फंस कर रह गया है।
टी-95 नर यह बाघ बहुत ज्यादा संवेदनशील जोन में रह रहा है। वैसे तो इसके पास आवास के लिए जंगल है, लेकिन उस जंगल में दूसरे दबंग नर बाघों की मौजूदगी इसे दुम दबाने पर मजबूर कर रही है। गंभीर बात यह है कि यह जिला मुख्यालय एवं रणथंभौर रोड वाले इलाके में झूमरबावड़ी के जंगल में यहां-वहां भाग रहा है।
यह है चयन का आधार
रणथंभौर से सरिस्का भेजे जाने वाले बाघों का चयन करने के लिए वन विभाग एवं एनटीसीए ने कुछ गाइडलाइन तय कर रखी है। इसके तहत रणथंभौर से ऐसे किसी भी बाघ को यहां से नहीं हटाया जाएगा जो इस जंगल में व्यवस्थित तरीके से रह रहा है। यहां से वे ही बाघ स्थानांतरित किया जयेगा जो आवास क्षेत्र नहीं मिलने के कारण यहां-वहां भटक रहा हो हैं और आबादी के करीब होने के कारण आने वाले दिनों में स्वयं एवं ग्रामीणों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है
यह है चयन का आधार
रणथंभौर से सरिस्का भेजे जाने वाले बाघों का चयन करने के लिए वन विभाग एवं एनटीसीए ने कुछ गाइडलाइन तय कर रखी है। इसके तहत रणथंभौर से ऐसे किसी भी बाघ को यहां से नहीं हटाया जाएगा जो इस जंगल में व्यवस्थित तरीके से रह रहा है। यहां से वे ही बाघ स्थानांतरित किया जयेगा जो आवास क्षेत्र नहीं मिलने के कारण यहां-वहां भटक रहा हो हैं और आबादी के करीब होने के कारण आने वाले दिनों में स्वयं एवं ग्रामीणों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है