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Ranthambore: दादी के सामने पोते की गर्दन पकड़कर ले गई बाघिन सुल्ताना, जंगल में इस हाल में मिला शव

Tiger Attack in Ranthambore : रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग पर बुधवार को झाड़ियों में छिपी बैठी बाघिन सुल्ताना करीब 6 साल के बच्चे को उठा ले गई।

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Tiger Attack in Ranthambore

Tiger Attack in Ranthambore

Tiger Attack in Ranthambore: सवाईमाधोपुर। रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग पर बुधवार को झाड़ियों में छिपी बैठी बाघिन सुल्ताना करीब 7 साल के बच्चे को उठा ले गई। जानकारी लगते ही वनविभाग की टीम और अफसर जंगल की ओर दौड़े। साथ ही एहतियातन गणेश मंदिर मार्ग को भी श्रद्धालुओं के लिए बंद किया। इस दौरान झाड़ियों के बीच बाघिन काफी देर तक बच्चे के पैर पर पंजा रखकर बैठी रही। करीब दो घंटे बाद वनविभाग ने बाघिन को वहां से हटाकर बच्चे के शव को बरामद किया। मृतक बच्चे की पहचान कार्तिक सुमन (7) पुत्र द्वारका माली निवासी गोहटा थाना देई खेड़ा (बूंदी) के रूप में हुई है।

प्रत्यक्षदर्शी रामसिंह ने बताया कि दोपहर 3 बजे श्रद्धालुओं की संख्या कम थी। गिने-चुने लोग ही मंदिर की तरफ से दर्शन कर पैदल लौट रहे थे। अचानक बाघिन झाडि़यों से निकलकर आई और बच्चे पर हमला कर दिया। बाघिन ने बच्चे की गर्दन को मुंह में दबाया और झाड़ियों से होकर पहाड़ियों की तरफ ओझल हो गई।

इस घटना से श्रद्धालुओं में हड़कंप मंच गया और वे भयभीत हो गए। वहीं प्रत्यक्ष घटना को देखकर दादी वहां जोर-जोर से रोने लगी और बेसुध हो गई। लोगों ने तुरंत ही इसकी सूचना वन विभाग को दी। जानकारी लगते ही डीएफओ और वनकर्मियों की टीम जंगल की ओर दौड़ी और एहतियातन श्रद्धालुओं को बाहर निकालकर त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग को बंद करवाया।

इस दौरान वनविभाग ने कैमरों की जांच करवाई तो बाघिन सुल्ताना झाड़ियों के बीच बच्चे के ऊपर पंजा रखकर बैठी नजर आई। वन विभाग के अधिकारी बाघिन से बच्चे को छुड़वाने के लिए मौके पर पहुंचे और काफी प्रयास किए। इसके बाद वन विभाग ने पटाखों का उपयोग कर बाघिन को वहां से हटाया। हालांकि तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी और उसका पेट फटा हुआ था। वनविभाग ने देर शाम 4 बजकर 50 मिनट पर शव को बरामद किया।

पोता-पोती के साथ आई थी दादी

बाघिन के बच्चे को उठाने के बाद बच्चे के साथ आई दादी का रोते-रोते बेसुध हो गई। जानकारी के अनुसार वह अपने पोता-पोती के साथ त्रिनेत्र गणेश के दर शादी का निमंत्रण देने आई थी। उसके साथ उसकी एक पोती भी मौके पर मौजूद थी। ये दोनों बच्चे उसके बड़े बेटे के बताए जा रहे हैं। हालांकि बेसुध होने के कारण वह वनविभाग को अपना नाम पता और गांव तक का नाम नहीं बता पाई है।

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