
नई दिल्ली - तकरीबन 50साल पहले कुछ वैज्ञानिक चांद पर गए थे, वे वहां से पत्थर और मिट्टी के सैंपल ( sample )लेकर आए थे। मगर वे आते वक्त कई चीजें वहां छोड़ आए थे।
पहला नील आर्म्सट्रॉन्ग के फुट प्रिंट ( foot print ), एक अमेरिकन झंडा और मानव अपशिष्ट के करीब 96 बैग। लेकिन अब इन्हीं बैग को वैज्ञानिक ( scientist ) वापस लाना चाहते हैं। जिसके चलते चांद पर जीवन की खोज को आगे बढ़ाया जा सके।
कौन से थे वो 96 बैग
कुल बारह अतंरिक्ष ( space ) यात्री चांद पर उतरे थे। लेकिन उन्होंने वहां पर 96 बैग को छोड़ दिया था। जिनमें मल-मूत्र और अन्य कचरा था। हालांकि अंतरिक्ष यात्रियों ने स्पेस में कुद दिन से ज्यादा नहीं गुजारे हैं। नासा ने उन्हें इस तौर पर भेजा था कि वे अपने अपशिष्ट को स्पेस में छोड़ने की जरूरत न पड़े। इसके लिए नासा ने आतंरिक्ष में जाने वाले यात्रियों के लिए कुछ अलग तरह के सूट तैयार किए थे जिनमें डायपर भी था।
अलग तरह से डिजाइन किया था सूट
मगर अंतरिक्ष यात्रियों को अपने अपशिष्ट चांद पर ही छोड़ कर आना पड़ा था।दरअसल इस मिशन को इस तरह डिजाइन किया गया था कि स्पेसक्राफ्ट पर निश्चित वजन ही हो सकता था। थोड़ा भी ज्यादा वजन होने से स्पेस क्राफ्ट और अंतरिक्ष यात्रियों की जिंदगी को खतरा था। ऐसे में वे अपने पीछे काफी गंदगी और दूसरी चीज छोड़ आए ताकि चांद की मिट्टी और चंद के पत्थरों को अपने साथ ले जा सकें।
ट्रंप ने 2024 में दोबारा में जाने किया एलान
जब अमेरिका के ट्रंप सत्ता में आए तब उन्होंने नासा को चांद पर जाने के मिशन को तेज कर दिया था और 2024 में दोबारा से चांद की सतह पर जाने का एलान किया है। जिससे बैग को अंतरिक्ष से वापस लाया जा सके।
वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि मानव अपशिष्ट में क्या अब भी बैक्टिरिया मौजूद हैं? या कभी भी फिर से ऐक्टिव हो सकते हैं,यदि सभी बैक्टिरिया मर चुके हैं, तो भी उनका अध्यन्न करना काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। वैज्ञानिक जान सकते हैं कि बैक्टिरिया कितने समय तक जिंदा रहे।
Updated on:
10 Apr 2019 04:33 pm
Published on:
10 Apr 2019 04:02 pm
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