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नाखून चाबने की आदत से कर लें तौबा, इस बीमारी का शिकार होने के बाद सीधा पड़ता है दिमाग रह असर

नाखूनों कोे चबाने वाले लोग हैं इस बीमारी का शिकार कैलिफोर्निया की यूनिवर्सिटी ने किया इस पर शोध नाखून चबाने से छुटकारा पाना धूम्रपान की लत जैसा है

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Deepika Sharma

Jun 15, 2019

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नाखून चाबने की आदत से कर लें तौबा, इस बीमारी का शिकार होने के बाद सीधा पड़ता है दिमाग रह असर

नई दिल्ली। जब भी लोग परेशान होते हैं या कुछ सोच रहे होते हैं तो अक्सर नाखून चबाने लगते हैं। ये जानते हुए भी कि नाखून चबाना सेहत के लिए नुकसान दायक है इसके बावजूद लोग इस आदत पर काबू नहीं कर पाते। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ऐसी आदत के लोग मानसिक बीमारी (mental disorder) का शिकार होते हैं।

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यूनिवर्सिटी ने किया शोध

बता दें कि लोगों की एेसी आदतों पर यूनिवर्सिटी ( university ) ऑफ कैलिफोर्निया ( California )के शोधकर्ताओं ने शोध ( research )किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि नाखून चबाना सिर्फ एक गंदी आदत ही नहीं है बल्कि एक तरह का मानसिक विकार भी है।साथ ही यह भी बताया कि नाखून चबाने से छुटकारा पाना धूम्रपान ( smoking )की लत छोड़ने के जैसा कठिन है। हालांकि, नाखून चबाने की आदत को लेकर कई शोध किए गए और लोगों को इससे हो रहे नुकसान के बारे में भी बताया गया लेकिन नाखून चबाने की आदत कई लोगों में अब भी देखी जा सकती है।

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इंसान की इस आदत को चिकित्‍सा विशेषज्ञ ने मनोरोग की श्रेणी में रखा हैं। अमेरिकी साइकेट्री एसोसिएशन ने इसे 'सामान्‍य गंदी आदत' की जगह 'सनकी बाध्‍यकारी विकार' यानी ओसीडी की श्रेणी में शामिल किया है। खबरों के अनुसार- 'डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर' के आगामी संस्‍करण में नाखून कुतरने की आदत को ओसीडी श्रेणी में शामिल किया है।

नाखून खाने से होती है ये बीमारी

नाखून कुतरना यह एक प्रकार का मेंटल डिसॉर्डर है, जिससे कई लोग पीड़ित हैं। इसे साइकोलॉजिकल बीमारी या ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर ( ओसीडी ) कहते हैं। इसके लक्षण में मरीज कई बार हाथ धोता रहता हैं, कई लोग तो तालों को एक बार बन्द करके बार बार चेक करते हैं, इसी तरह ही कई बार नाखूनों को कुतरना भी ओसीडी माना जाता है।

दरअसल, हाथों के नाखून खाने से उंगलियों के आसपास लाली या सूजन आ जाती है और कहीं पर जख़्म भी हो जाते हैं, जिससे नाखून की त्वचा में इंफेक्शन होने लगता है। इतना ही नहीं मुंह में हाथ जाने से मैल के साथ साथ खून और बैक्टीरिया पेट में चले जाते हैं, जिससे अन्य कई तरह की बीमारियां जैसे कोल्ड, डायरिया, भूख कम लगना, फंगल इंफ़ेक्शन होना आदि हो जाता है।