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जो बच्चे हाथ से लिखते और ड्राइंग करते हैं वो दूसरों से जल्दी सीखते

ईईजी स्टडी में कहा गया है कि ड्रॉइंग, हैंडराइटिंग और टाइपिंग करते समय अलग तरह से काम करता है दिमाग

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जयपुर

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Mohmad Imran

Oct 02, 2020

बच्चों को लिखने और ड्रॉइंग के लिए करें प्रेरित, जल्दी सीखेगा बच्चे

बच्चों को लिखने और ड्रॉइंग के लिए करें प्रेरित, जल्दी सीखेगा बच्चे

हाल ही नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Norwegian University of Science and Technology) के एक नए शोध ने बच्चों और वयस्कों के दिमाग की हलचल (Brainwave Pattern) का विश्लेषण किया है। इसके लिए दोनों के हाथ से लिखने और कीबोर्ड पर टाइप करने के दौरान उनकी ब्रेन मैपिंग की गई। दोनों ही गतिविधियों के बीच अलग-अलग मस्तिष्क पैटर्न सामने आए। शोध के निष्कर्षों के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा की कीबोर्ड पर टाइप करने की तुलना में हाथ से लिखने पर हम चीजों को ज्यादा बेहतर ढंग से सीख पाते हैं।

गैजेट बेस्ड पढ़ाई का बढ़ रहा ट्रेंड
दरअसल वैज्ञानिक यह पता लगाना चाहते थे कि परंपरागत तरीके से पढ़ाई करने और आज के गैजेट के साथ पढऩे के दौरान बच्चे किस विधि से तेजी से सीख पाते हैं। क्योंकि बीते कुछ दशकों में क्लास की शैक्षिक सेटिंग्स में डिजिटल उपकरणों की प्रमुखता बहुत बढ़ गई है। टैबलेट कंप्यूटिंग और डिजिटल उपकरणों पर टाइपिंग अब कक्षाओं का 'न्यू नॉर्मल' बन गया है। यही कारण है कि अब बच्चे लिखने से दूर हो गए हैं और इसका पढ़ाई पर गहरा असर पड़ रहा है।

20 विश्वविद्यालय के छात्रों पर शोध
नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की ऑड्रे वैन डेर मीर बीते कई सालों से लिखावट (Cursive Handwriting) और टाइपराइटिंग के दौरान मस्तिष्क की गतिविधियों के अंतर का अध्ययन कर रहे हैं। वैन डेर मीर और उनके सहयोगियों के 2017 से जारी इस वर्तमान अध्ययन में उन्होंने 20 विश्वविद्यालय के छात्रों में मस्तिष्क की गतिविधियों की तुलना करने के लिए उच्च घनत्व (high-density) वाले इलेक्ट्रोएन्सेफ्लोग्राम (EEG) का उपयोग किया। इस दौरान छात्रों को ड्रॉइंग करने और हाथ से लिखने के लिए कहा गया था। शोध में सामने आया कि लिखते समय दिमाग में बने पैटर्न सीखने के लिए ज्यादा एक्टिव थे जबकि कीबोर्ड पर टाइप करने के दौरान ये पैटर्न नजर नहीं आए। शोध को ज्यादा स्पष्ट बनाने के लिए मीर और उनके साथियों ने केवल हैंडराइटिंग की बजाय ड्रॉइंग और वीडियो गेम कंसोल को भी इसमें शामिल किया। अध्ययन में बच्चों और युवाओं के मस्तिष्क के पैटर्न भी सभी गतिविधियों के दौरान अलग-अलग नजर आए।

सीखने की प्रक्रिया का अहम हिस्सा है लिखना
मीर ने अपने अध्ययन में पाया कि युवाओं और वयस्कों में टचस्क्रीन पर डिजिटल पेन से लिखने पर मस्तिष्क के पेरीटिएल और सेंट्रल हिस्से (parietal and central regions of brain) में लिखने के दौरान सिंक्रोनाइज गतिविधियां नजर आईं। दिमाग के इन खास हिस्सों में (oscillatory neuronal activity) ऐसी सिंक्रोनाइज न्यूरोनल गतिविधियां याद रखने और नई जानकारियों की एन्कोडिंग में के लिए महत्वपूर्ण हैं। यही कारण है कि लिखने के दौरान हमारा दिमाग नई चीजों को आसानी से करना सीख लेता है क्योंकि मस्तिष्क की सिंक्रोनाइज न्यूरोनल गतिविधियां सीखने के लिए हमें अनुकूलतम स्थिति प्रदान करती हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि लिखावट और ड्राइंग में शामिल दिमाग की तंत्रिका प्रक्रियाएं टाइपराइटिंग की तुलना में एक दूसरे से ज्यादा मिलती-जुलती थीं। ऐसे ही लिखावट और ड्राइंग दोनों में अंतर होने के बावजूद इनमें भी काफी समानताएं थीं। वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि मस्तिष्क के सर्किट को मजबूत करने के लिए शुरू से ही बच्चों के लेखन, ड्राइंग और टाइपिंग पर ध्यान दें।

मोटर स्किल और इन्द्रियों पर नियंत्रण मिलता
वैन डेर मीर बताते हैं कि हाथ से लिखना भले सीखने के लिहाज से एक धीमी प्रक्रिया है। लेकिन बच्चों के लिए इस थका देने वाली प्रक्रिया से गुजरना बहुत जरूरी है। यदि आप लिखने के लिए कीबोर्ड का उपयोग करते हैं तो आप प्रत्येक अक्षर के लिए एक ही प्रकार की मूवमेंट का उपयोग करते हैं। जबकि हाथ से लिखने के लिए मोटर स्किल्स और इन्द्रियों पर नियंत्रण की आवश्यकता है। मस्तिष्क को जितनी बार संभव हो, सीखने की स्थिति में रखना महत्वपूर्ण है। इसलिए कोशिश यह करें कि आपका बच्चा भले ही होमवर्क के लिए कीबोर्ड का उपयोग करे लेकिन अन्य गतिविधियों और प्रतियोग्रिताओं में हिससा लेने पर उसे हाथ से लिखने के लिए प्रेरित करें।

इसका मतलब यह नहीं कि कक्षाओं में डिजिटल उपकरणों पर रोक लगा दी जाए। लेकिन बच्चों को लिखने और ड्रॉइंग करने जैसी गतिविधियों में अधिक से अधिक समय बिताने के लिए प्रेरित करें। यह वर्तमान अध्ययन बताता है कि ड्रॉइंग, हैंडराइटिंग और टाइपिंग के लिए अंतर्निहित बे्रन इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी अलग-अलग हैं। नई वैचारिक सामग्री सीखना हो या लंबे निबंध लिखना हो, कब किस रणनीति का उपयोग करना महत्वपूर्ण है यह हमें मालूम होना चाहिए। यह अध्ययन फ्रंटियर्स इन साइकोलॉजी मैगजजीन में प्रकाशित हुआ था।