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इसरो को मिली बड़ी कामयाबी, अब भारत के सैटेलाइट मिशन से नहीं होगा अंतरिक्ष में कचरा

कामयाबी : इसरो ने शून्य कक्षीय मलबा मिशन पूरा किया (zero orbital debris mission)

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अब भारत के सैटेलाइट मिशन से नहीं होगा अंतरिक्ष में कचरा

अब भारत के सैटेलाइट मिशन से नहीं होगा अंतरिक्ष में कचरा

बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पीएसएलवी ने शून्य कक्षीय मलबा मिशन पूरा कर लिया है। इसका मतलब है अब भारत कोई भी सैटेलाइट लॉन्च करेगा तो उसका मलबा अंतरिक्ष में नहीं बिखरेगा।
इसरो ने बताया कि इस मिशन को 21 मार्च को हासिल कर लिया गया था, जब पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल -3 (पीओईएम-3) ने पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश के माध्यम से अपने अभियान को पूरा किया इसरो ने सोमवार को बताया कि 1 जनवरी को लॉन्च किए गए पीएसएलवी -सी58/एक्सपोसैट मिशन ने कक्षा में व्यावहारिक रूप से शून्य मलबा छोड़ा। इसरो के अनुसार, सभी उपग्रहों को उनकी वांछित कक्षाओं में स्थापित करने के प्राथमिक मिशन को पूरा करने के बाद, पीएसएलवी के टर्मिनल चरण को 3-अक्ष स्थिर मंच, पीओईएम-3 में बदल दिया गया है।

कक्षा परिवर्तन में एक्सिडेंट का खतरा कम
इसरो के मुताबिक सैटेलाइटों को वांछित कक्षा में पहुंचाने के अपने मुख्य उद्देश्य के बाद पीएसएलवी तीन भागों में बंट जाता है। इसे ही पीओईएम 3 नाम दिया गया है। इसमें सबसे पहले चरण में पीएसएलवी को 650 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा से 350 किलोमीटर वाली कक्षा में लाया गया। इससे पीएसएलवी को शीघ्र कक्षा में पहुंचने अवसर मिल गया और कक्षा में जल्दी प्रवेश हो गया। इससे कक्षा परिवर्तन के दौरान हादसे का खतरा भी कम हो गया।

पेलोड के लिए निजी भागीदारी
पीओईएम -3 में 9 विभिन्न तरह के प्रायोगिक पेलोड लगाए गए हैं। इससे कई तरह के वैज्ञानिक प्रयोग किए जाने हैं। इनमें से 6 पेलोड को गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा दिया गया है। इन पेलोड को एक महीने के अंदर बनाए गए थे। हालांकि इसमें खर्च अधिक आता है, इसलिए इसरो ने निजी भागीदारी को शामिल किया है। इसरो ने पिछले कुछ माह में कई अभिनव प्रयोग किए हैं। हाल ही इसरो की रियूजेबल लॉन्च व्हीकल तकनीक का सफल परीक्षण किया गया था। इसे रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल पुष्पक नाम दिया गया था।