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अब डॉक्टर चेहरा देख कर बता सकेंगे दिमागी बीमारियों के बारे में

हाल ही में 19,644 लोगों पर किए गए एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि दिमाग की संरचना और चेहरे के नाक-नक्श के बीच एक खास संबंध है।

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Sunil Sharma

Apr 09, 2021

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नैचर जेनेटिक्स मैग्जीन में छपे एक शोध के अनुसार दिमाग की संरचना और चेहरे के नाक-नक्श के बीच एक खास संबंध है। सबसे बड़ी बात हमारा चेहरा कैसा होगा, और हमारे दिमाग की संरचना कैसे होगी, दोनों को कुछ खास जीन कंट्रोल करते हैं। उन जीन की पहचान कर हम लोगों के मस्तिष्क के बारे में ज्यादा जान सकते हैं। सबसे बड़ी बात ये जीन सिर्फ संरचना और नाक-नक्श को ही प्रभावित करते हैं, व्यक्ति की बुद्धिमता और कार्यकुशलता को प्रभावित करने में इनका कोई योगदान अभी तक नहीं देखा गया है।

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चेहरे और दिमाग दोनों का आकार तय करते हैं ये जीन्स
हाल ही में वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने 19,644 स्वस्थ यूरोपियन लोगों पर किए गए एक शोध में पाया कि हमारे शरीर के कुछ खास जीन हैं जो हमारे चेहरे के आकार को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यही जीन हमारे दिमाग की स्ट्रक्चर को भी बनाने में अपनी भूमिका निभाते हैं। रिसर्च में शोधकर्ताओं ने दिमाग के MRI स्कैन से प्राप्त डेटा का प्रयोग किया और उसे वैज्ञानिक पद्धति से एनालाइज करते हुए वर्तमान में मौजूद डेटा बैंक के साथ मैच किया। उन्होंने पाया कि 472 जीन ऐसे थे जो दिमाग की संरचना बनाते हैं। इन्हीं में से 76 जीन ऐसे थे जो चेहरे को बनाने के लिए जिम्मेदार हैं। आश्चर्य की बात यह थी कि इन 472 में से 351 जीन्स को पहले कभी नहीं देखा गया था।

भ्रूणावस्था में होते हैं ये जीन एक्टिव
शोध में यह भी पाया गया कि जो जीन हमारे दिमाग और चेहरे को बनाने के लिए जिम्मेदार हैं वे जीन भ्रूणावस्था में एक्टिव होते हैं और उस समय वो किस तरह से भ्रूण टिश्यूज अथवा सेल्स को प्रभावित करते हैं, इसी से व्यक्ति की शारीरिक संरचना का निर्धारण होता है। इस शोध की सहायता से अब भविष्य में होने वाली मानसिक बीमारियों को समय से पहले ही पता लगाया जा सकेगा।

वैज्ञानिकों के अनुसार ये जीन हमारे व्यवहार, बुद्धि, कार्यकुशलता अथवा चरित्र को प्रभावित नहीं करते हैं, इनका असर केवल हमारे शरीर पर ही होता है, मानसिक या भावनात्मक स्तर पर अभी इनका कोई प्रभाव नहीं देखा गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि यदि इन आंकड़ों को ध्यान से देखा जाए और इन पर अधिक शोध किया जाए तो हम केवल चेहरा देख कर ही न्यूरोसाइकिएट्रिक बीमारियों जैसे शिजोफ्रेनिया, ADHD जैसी बीमारियों का अंदाजा लगा सकते हैं।