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अस्पताल के नाम में एक शब्द का हेरफेर कर सीएमएचओ ऑफिस ने कर दिया बड़ा खेल

सीएमएचओ ऑफिस से पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले भी ऐसे कई अप्रत्याशित काम हुए हैं।

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अस्पताल के नाम में एक शब्द का हेरफेर कर सीएमएचओ ऑफिस ने कर दिया बड़ा खेल

अस्पताल के नाम में एक शब्द का हेरफेर कर सीएमएचओ ऑफिस ने कर दिया बड़ा खेल

सीहोर. नर्सिंग कॉलेज की संबद्धता के लिए 100, 200 और 300 बेड के अस्पताल को एक रात में अनुमति देने जैसा कारनामा सीहोर सीएमएचओ ऑफिस से पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले भी ऐसे कई अप्रत्याशित काम हुए हैं। रविवार को पत्रिका की पड़ताल में सामने आया है कि जिला प्रशासन ने कोरोना संक्रमणकाल के दौरान मिली अनियमितताओं को लेकर जिन हॉस्पिटल के पंजीयन निरस्त किए थे, सीएमएचओ ऑफिस ने उन्हें नाम में एक शब्द फेरबदल कर फिर से पंजीयन कर चालू करा दिया है।

जावर का न्यू देवश्री हॉस्पिटल और सीहोर के बरखेड़ी का न्यू रूद्र हॉस्पिटल भी उन्हीं में से हैं। अस्पताल के नाम में एक शब्द का हेरफेर कर पूर्व में दोषी पाए गए व्यक्ति को फिर से उसी जगह, उसी सेटअप पर अस्पताल संचालन की अनुमति देना भी स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करने वाला है।


केस 1.
आष्टा के जावर में साल 2016 से देवश्री हॉस्पिटल का संचालन किया जा रहा है। इस हॉस्पिटल के संचालक देवेन्द्र सिंह हैं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान इस अस्पताल में कुछ अनियमितताएं मिलीं, जिसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया। रजिस्ट्रेशन निरस्त के एक-दो सप्ताह तो यह अस्पताल बंद रहा, लेकिन कुछ दिन बाद फिर से चालू हो गया। जब इसकी पड़ताल की गई तो सामने आया है कि सीएमएचओ ऑफिस ने उसी बिल्डिंग, उसी संचालक के नाम से न्यू शब्द जोड़कर पंजीयन कर दिया है। अब यह अस्पताल न्यू देवश्री हॉस्पिटल के नाम से संचालित हो रहा है। इसमें एक खास बात यह भी है कि रेकॉर्ड में एक शब्द का हेरफेर हुआ है, मौके पर वह भी नहीं है। अस्पताल में बोर्ड अभी भी देवश्री का ही लगा है। यदि यहां कुछ बदला है तो सिर्फ अस्पताल का रजिस्ट्रेशन नंबर, जो पहले एनएच/3006/ अक्टूबर-2016, अब एनएच/ 3879/ जुलाई-2021 हो गया है।

केस 2.
सीहोर मुख्यालय से महज 9 किलोमीटर की दूरी पर बरखेड़ी में रुद्र हॉस्पिटल का संचालन किया जा रहा है। यह हॉस्पिटल साल 2017 में डॉ. धर्मेन्द्र धनगर ने खोला था। चार साल तो इसके कामकाज पर किसी की भी नजर नहीं पड़ी, लेकिन कोरोना संक्रमण काल के दौरान जब राजस्व और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शिकायत होने पर इस अस्पताल का जायजा लिया तो हालात गंभीर मिले। राजस्व अमले की रिपोर्ट पर स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल पंजीयन निरस्त किया, यहां भी देवश्री हॉस्पिटल जैसी कहानी बनी। कुछ दिन अस्पताल बंद रहा और फिर जैसे ही मौका मिला, सीएमएचओ ने डॉ. धनगर को न्यू रुद्र हॉस्पिटल के नाम से अनुमति दे दी। अब यह अस्पताल पहले की ही जगह पर, पहले की ही जैसी व्यवस्थाओं के साथ केवल रजिस्ट्रेशन नंबर बदलकर फिर से पूर्व की तरह संचालित हो रहा है। पहले रजिस्ट्रेशन नंबर एनएच/4182/ फरवरी-2017 था, अब एनएच/ 3878/जुलाई-2021 हो गया है।

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पूरे कुएं में घुली है भांग

सीएमएचओ कार्यालय से प्राइवेट अस्पतालों को अनुमति देने में किए जा रहे इस खेल की एक के बाद एक परत खुल रही है। इससे स्पष्ट है कि केवल सीएमएचओ या बाबू नहीं, यहां पदस्थ पूरा अमला इस खेल में शामिल है। पूरे कुएं में ही भांग घुली हुई है। स्वास्थ्य विभाग की गाइड लाइन के हिसाब से जब भी किसी अस्पताल का पंजीयन किया जाता है, पहले जांच समिति मौका मुआयना करती है। औपचारिकता के लिए न्यू रुद्र हॉस्पिटल और न्यू देवश्री हॉस्पिटल का भी जांच समिति ने मुआयना किया होगा। निश्चित तौर पर उस दौरान यह बात सामने आई होगी कि यह वही अस्पताल है, जिसका पंजीयन निरस्त किया गया है, लिहाजा सीएमएचओ ऑफिस की जांच कमेटी ने अनुमति कैसे दे दी, यह भी बड़ा सवाल है।