26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

भारत में रेप को लेकर बड़ा फैसला, कोर्ट ने कहा- रेपिस्ट जब तक जीएगा जेल में ही सड़ेगा

स्कूल के रास्ते से 10 साल की बेटी को टॉफी दिलाने का झांसा देकर ले गया, मंदिर में किया दुष्कर्म, कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला...।

2 min read
Google source verification

सीहोर

image

Manish Geete

Sep 06, 2017

Historical Judgements

Historical Judgements By Indian Courts on Rape Case

सीहोर। मध्यप्रदेश के सीहोर जिले की अदालत ने दस साल की बच्ची के साथ रेप के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि पहली कक्षा की छात्रा के साथ बलात्कार करने वाला आरोपी जब तक जीएगा, जेल में ही रहेगा। कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस तरह की प्रवृत्ति के लोगों को खुले घूमने का अधिकार नहीं दिया जा सकता। विशेष न्यायाधीश बृजेंद्र सिंह भदौरिया ने यह अहम फैसला सुनाया।

विशेष लोक अभियोजक केके शर्मा के मुताबिक मामला 22 नवंबर 2016 का है। सीहोर के मंडी क्षेत्र के ही एक ग्रामीण की 10 वर्षीय बेटी कक्षा पहली में पढ़ती थी। घटना वाले दिन सुबह 10 बजे स्कूल के लिए निकली थी। रास्ते में मंगल सिंह नामक युवक उसे रास्ते से ही साइकिल पर बैठाकर कहीं ले गया। मंगल सिंह मूलतः सागर जिले के नया गांव का रहने वाला है। कुछ समय पहले ही वह छात्रा के घर के पास में रहने आया था। शाम को जब छात्रा घर नहीं लौटी तो पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस शक के आधार पर आरोपी की पड़ताल की। उसकी मोबाइल लोकेशन नीमच में निकली। पुलिस ने उसे नीमच के एक मंदिर परिसर से धरदबोचा। उसने बालिका को भी वहां बंधक बनाकर रखा था।

टॉफी और नई चप्पल दिलाने का दिया था लालच
पूछताछ में यह बात सामने आई कि आरोपी मंगल सिंह छात्रा को टॉफी खिलाने और नई चप्पल दिलाने का झांसा देकर साइकिल पर बैठाकर ले गया था। बाद में ट्रेन से उसे उज्जैन, रतलाम के रास्ते नीमच ले गया। वहां मंदिर परिसर में रुका और बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। सीहोर के मंडी थाना प्रभारी प्रदीप गुर्जर के मुताबिक आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद चालान कोर्ट में पेश किया गया था।

दोषसिद्ध हुआ आरोपी
विशेष न्यायाधीश बृजेंद्र सिंह भदौरिया ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद आरोपी मंगल सिंह को दोषसिद्ध पाया। उसके बाद कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला सामने आया। कोर्ट ने भारतीय दंड विधान की धारा 376 (2)(आई) के अंतर्गत आरोपी को जीवन जीने तक जेल में ही कैद रहने की सजा दी है। आरोपी पर एक हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।


इसके अलावा धारा 05 (एल) 6 लैगिंग अपराधों से बालकों का संरक्षण का अधिनियम 2012 आजीवन कारावास एक हजार रुपए अर्थदंड, धारा 05 (एम) /6 लैगिंक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अंर्तगत आजीवन कारावास और एक हजार रुपए अर्थदंड, भादवि की धारा 363 में सात वर्ष का कारावास और एक हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया गया है।