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पेशवाकालीन इस मंदिर को इंटरनेट पर सर्च कर रहे हैं लोग, नर्मदा स्टोन से बना है अनोखा शिवलिंग

नर्मदा स्टोन से बनी मनकामेश्वर की प्रतिमा, चरणामृत लेने भर से पूरी हो जाती है मुुराद

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सीहोर

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Manish Geete

Apr 23, 2022

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सीहोर। यहां पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन मात्र से पाप खत्म हो जाते हैं। हर मन्नत पूरी होती है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां बनी बावड़ी में 12 महीने पानी रहता है, जिससे भगवान भोलेनाथ का अभिषेक होता है। शहर के तहसील चौराहा यह पेशवाकालीन है यह मनकामेश्वर मंदिर। इसे 200 साल से अधिक हो गए हैं। इस मंदिर के बारे में लोग इंटरनेट पर सर्च कर रहे हैं।

विशेष अवसर शिवरात्रि और श्रावण मास में यहां पर मेला पहुंचते हैं। मनकामेश्वर मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां जो भी व्यक्ति आता है, भगवान भोलेनाथ उसे निराश नहीं करते हैं। अभिषेक के जल का चरणामृत लेने भर से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। शहर के वरिष्ठ समाजसेवी ओमदीप बताते हैं कि मनकामेश्वर मंदिर की प्रतिमा नर्मदा स्टोन से बनी है। यह प्राचीन है, नंदेश्वर उसी समय के हैं।

पूर्व में यहां भोलेनाथ की प्रतिमा ही थी, करीब 200 साल पुराने इस मंदिर के पास पांच दशक पहले तक जंगल जैसी स्थिति थी, इसी तरह बावड़ी का भी अपना इतिहास है। बावड़ी में हमेशा पानी बना रहता है, इसका पानी मीठा होने के साथ पाचक शक्ति को बढ़ाने वाला है। हालांकि, सुरक्षा की दृष्टि से इस बावड़ी को लोहे के जाल बिछा दिया गया है, जिससे कि बच्चे कोई बावड़ी में नीचे नहीं जाए।

सालभर चलते हैं धार्मिक कार्यक्रम

शहर के बीच पेशवाकालीन मनकामेश्वर मंदिर पर साल धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं। शिवरात्रि पर शिव बारात निकाली जाती है, जिसमें बाहर के कलाकार प्रस्तुति देते हैं। चलित झांकियां इस शिव बरात में आकर्षण का केन्द्र होती है।

शिव बारात आयोजन समिति के पदाधिकारी राजीव गुजराती के मुताबिक यह जिले का सबसे बड़ा आयोजन होता है, जिसमें 10 हजार से ज्यादा लोग शिरकत करते हैं। श्रावण मास में यहां पर निरंतर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक होता है। श्रावण सोमवार को यहां पर श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ होने को लेकर सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करना पड़ता है।

जीर्णोद्धार से मंदिर को मिला नया स्वरूप

मनकामेश्वर मंदिर शहर की एक महत्वपूर्ण विरासत है। इसके जीर्णोद्धार को लेकर भी समय-समय पर निर्माण कार्य होते रहते हैं। फिलहाल इसका जीर्णोद्धार तात्कालीन कलेक्टर भोपाल कमिश्नर कवींद्र कियावत के कार्यकाल में कराया गया था। मंदिर के मुख्य द्वार को नया स्वरुप दिया गया। दूर से देखने पर भी मंदिर की भव्यता और प्राचीनता का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।