
सीहोर जिले की जावर तहसील में देवबड़ला में खुदाई में मिली लक्ष्मीनारायण की दुर्लभ प्रतिमा...।
सीहोर/जावर। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 114 किमी दूर स्थित इस क्षेत्र में 2016 से जारी खुदाई में कई दुर्लभ प्रतिमाएं निकल रही है। यह स्थान सीहोर जिले के जावर में देवबड़ला नाम से जाना जाता है। यहां परमार कालीन प्रसिद्ध सांस्कृतिक केंद्र था। यहां कई मंदिर और बेशकीमती प्रतिमाएं निकलने का सिलसिला जारी है।
जिले के जावर तहसील क्षेत्र के देवबड़ला में पुरातत्व विभाग की तरफ से कराई जा रही खुदाई में दुर्लभ प्रतिमा मिलने का सिलसिला लगातार जारी है। अब यहां लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा (Statue of Laxmi Narayan) मिली है, जिसे सहेजकर रख दिया गया है। दो सप्ताह के अंदर यह चौथी प्रतिमा मिली है।
यह भी पढ़ेंः
जानकारी के अनुसार मां नेवज नदी के उद्गम स्थल व पुरातात्विक धरोहर देवंचल धाम देवबड़ला (बीलपान) में खुदाई का जारी है। कुछ दिन पहले ही शिव तांडव नटराज, उमाशंकर, जलाधारी व नंदी की प्रतिमा मिली थी। मंदिर समिति के अध्यक्ष ओंकारसिंह भगतजी व कुंवर विजेंद्रसिंह भाटी ने बताया कि सातवें मंदिर का पूरा मटेरियल साफ करने पर सिंहासन पर विराजमान लक्ष्मीनारायण की दुर्लभ प्रतिमा मिली है।
ग्रेनाइट की है प्रतिमा
पुरातन अधिकारी जीपीसिंह चौहान ने बताया कि यह प्रतिमा ग्रेनाइट की है। प्रतिमा में ऊपर दाई तरफ ब्रह्मा जी, बांयी तरफ शिवजी और बीच में विष्णुजी की प्रतिमा छोटे रूप में विराजमान है। लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा स्थानक मुद्रा में है। इस प्रतिमा में नारायणजी का क्रीट मुकुट व चार भुजाएं हैं। जिसमें गधा, चक्र, शंख, रुद्राक्ष माला आदि सुशोभित है। लक्ष्मीजी के हाथ में कमल नाल,कमल पुष्प है। प्रतिमा में नीचे विष्णुगण हैं।
आठवें मंदिर का मिलने लगा हिस्सा
सातवां मंदिर बहुत ही छोटे रूप में है, इसके साथ ही अब आठवें मंदिर का कुछ हिस्सा मिलने लगा है। मंदिर का मलबा हटाने का काम चल रहा है, जिससे और भी प्रतिमा मिलने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि यह स्थल प्राचीन और प्रसिद्ध है। अमावस्या सहित अन्य त्योहारों पर काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं। हालांकि आम दिनों में भी लोगों का आना-जाना लगा रहता है।
यह भी है खास
सीहोर जिले की जावर तहसील के देवबड़ला में पहले ग्वारहवीं शताब्दी के परमारकालीन वेदिबंध निकला था। उक्त मंदिर का निर्माण पीले वसुआ प्रस्तर नामक पत्थर से किया गया है। छह साल पहले इसके गर्भगृह की जब खुदाई और सफाई की गई तो उसमें जलाधारी, ओटुम्बर की चंद्रशिला बेसाल्ट पत्थर की बनी हुई मिली थी। जलाधारी हरे पत्थर की बनी थी।
यह भी पढ़ेंः
Updated on:
03 Dec 2022 01:02 pm
Published on:
03 Dec 2022 01:00 pm
बड़ी खबरें
View Allसीहोर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
