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गांव की जर्जर सड़क पर यातनाओं भरा सफर मजबूरी

स्वीकृत के बाद भी खाचरोद-धुराड़ा कलां सड़क का काम नहीं हुआ शुरू

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Tortuous journey compelled on the shabby road of the village

Sehore / Siddikganj. After screwdriver, such material has been uprooted in many places.

सीहोर/सिद्दीकगंज. खाचरोद से धुराड़ा कलां के बीच की 22 किमी की आधी सड़क पर पेचवर्क का मरहम लगाया है। उसकी भी गुणवत्ता ठीक नहीं होने से पेचवर्क के बाद कई जगह मटेरियल उखडऩे से सड़क गड्ढों में तब्दील गई है। जिससे आवाजाही करने वाले लोगोंं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

खाचरोद से धुराड़ा कलां की सड़क कई समय से बदहाल है। इसे देखते हुए कुछ दिन पहले पेचवर्क काम शुरू किया था, लेकिन यह काम भी खाचरोद से सिद्दीकगंज तक होने के बाद अटक गया है। सिद्दीकगंज से धुराड़ा कलां सरहदी तक आगे की सड़क नहीं बनने से लोगों को आवाजाही में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सड़क पर इस तरह से गड्ढे हो गए हैं कि दो पहिया वाहन चालकों की नजर हटी की दुर्घटना होने में देर नहीं लगती है। लोग आगे का निर्माण कराने की मांग कर रहे हंै, लेकिन जिम्मेदार लापरवाही दिखा रहे हैं। खाच बात यह है कि सड़क स्वीकत हो गई है उसके बावजूद उसका काम चालू नहीं किया जा रहा है।

डेढ़ दर्जन गांव का होता आना जाना

सड़क से प्रतिदिन बापचा बरामद, नौगांव, पगारिया हाट, जसमत, देहमत, सिद्दीकगंज, श्यामपुरा, बर्रूखाल, बरखेड़ी, गोविंदपुरा, सुशीलनगर सहित डेढ़ दर्जन से अधिक गांव के लोगों को आना जाना होता है। ग्रामीणों का कहना है कि जल्द ही सड़क नहीं बनी तो उनको बड़ा कदम उठाने मजबूर होना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि इस तरह से अन्य जगह की सड़क भी खराब है।

आष्टा शहर का एकमात्र सबसे बड़ा पार्वती नदी में बना पुल वर्षो पुराना हो गया है। इसके ऊपर यातायात का भार तो बड़ा है, लेकिन समय के साथ इसकी क्षमता घटती जा रही है। अंदरूनी स्तर पर यह पुल कमजोर हो गया है, जिससे कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकता है।

पुराने भोपाल इंदौर हाइवे पर पार्वती नदी में कई साल पहले पुल बनाया था। समय के साथ इसकी मरम्मत की तरफ ध्यान नहीं देने और वाहनों का बोझ सहते हुए यह पुल अब खराब स्थिति में पहुंच चुका है। पुल की हालत क्या है उसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि अंदरूनी स्तर पर कई जगह दरार देखने को मिल जाएगी। बुर्जुगों की माने तो यह पुल करीब 70 से 80 साल पुराना है।

बता दे कि नगर के बीचों बीच बने इस पुल से सैकड़ों लोगों की आवाजाही होती है। अलीपुर और मुख्य शहर को जोडऩे यही पुल है। कुछ समय पहले एक हेवी मशीन निकालने के लिए पहले इंजीनियरों ने इसका निरीक्षण किया था। इसमें पुल की स्थिति को देखते हुए इससे मशीन निकालना उचित नहीं समझा था। पार्वती नदी से अलग रास्ता बनाया गया था तब कहीं जाकर मशीन निकल सकी थी। जबकि इस पुल से इंदौर, भोपाल के अलावा कन्नौद, खातेगांव, शुजालपुर, देवास, सोनकच्छ, सीहोर आदि जगह आवाजाही होती है।

पपनास पुल की हालत खराब

पपनास नदी के पुल की हालत भी किसी से छिपी नहीं है। यह पुल ऊपरी स्तर से भले ही अच्छा नजर आ रहा हो, लेकिन अंदरूनी स्तर से कमजोर हो गया है। इस पुल से जब लोग निकलते हंै तो उनमें हमेशा भय रहता है। लोगों ने बताया कि जब यह पुल आवाजाही में महत्वता निभाता हैं तो फिर क्यों इसकी तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में यह खस्ताहाल पुल कभी भी बड़ी दुर्घटना को दावत दे सकते हैं।