वर्तमान में विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा के पीजी कॉलेज के लाइब्रेरी भवन में संचालित हो रहा है। जगह प्रर्याप्त नहीं है। अधिकारी छोटे-छोटे कमरे में बैठते हैं। आलम यह है कि कई बार उत्तरपुस्तिकाओं को रखने की जगह नहीं बचती। बरामदे में रखी जाती है। चूहों के कुतरने का खतरा रहता है। खुद का भवन होता तो विश्वविद्यालय यह सभी व्यवस्थाएं बना लेता। बताया जाता है कि विश्वविद्यालय उत्तरपुस्तिकाओं को रखने के लिए टीन शेड बनवा रहा है। विश्वविद्यालय से संबंद्ध सिवनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, पांढुर्ना जिले के कॉलेजों के विद्यार्थियों की लगभग डेढ़ लाख उत्तरपुस्तिका रखी जाएगी। इसके लिए विश्वविद्यालय को भवन की आवश्यकता है।
विश्वविद्यालय के भवन के लिए ग्राम सारना में लगभग 125 एकड़ भूमि का आवंटन एवं 486.45 करोड़ का बजट आवंटन भी किया गया था। विश्वविद्यालय के लिए 325 पदों की स्वीकृति भी शासन द्वारा दी जा चुकी है, बीते दिन विश्वविद्यालय ने भूमि का सीमांकन कराया और अब चारों तरफ से बाउंड्रीवॉल भी बनाई जा रही है। ताकि भविष्य में कोई अतिक्रमण न कर सके और विश्वविद्यालय की भूमि सुरक्षित रहे।
विश्वविद्यालय के भवन बन जाने से सिवनी जिले के विद्यार्थियों को भी काफी फायदा मिलेगा। विश्वविद्यालय की योजना है कि रोजगार परक कोर्स खोले जाएं। ऐसे में विद्यार्थी कोर्स पूरा होने के बाद सीधे रोजगार से जुड़ जाएंगे। यह
कुछ वर्ष पहले शासन ने विश्वविद्यालय के भवन निर्माण के लिए 486.45 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति के एवज में महज 90 लाख रुपए आवंटित कर औपचारिकता पूरी की थी। जबकि जबलपुर में स्थापित धर्मशास्त्र विश्वविद्यालय के भवन निर्माण के लिए 27 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। इसके बाद भी शासन ने विश्वविद्यालय के प्रति ध्यान नहीं दिया। उपेक्षा की वजह से विश्वविद्यालय केवल परीक्षा एवं परिणाम तक सीमित रह गया है। हालांकि अब उम्मीदें बढ़ गई है।
विश्वविद्यालय भवन के लिए राज्यपाल एवं उच्च शिक्षा मंत्री से मुलाकात की गई थी। इस संबंध में शासन एवं पीआईयू के बीच पत्राचार भी हो रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही भवन के लिए बजट मिलेगा और काम शुरु होगा।
प्रो. इंद्र त्रिपाठी, कुलगुरु, आरएसएस विवि, छिंदवाड़ा