28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

वन क्षेत्र होने की वजह से संभाग में है मधुमक्खी पालन की अपार संभावना, बढ़ेगा फसलों का उत्पादन

मधुमक्खियों का पालन, शहद के साथ निकाल रहे परागकणशहद के साथ किसानों के फसल उत्पादन में भी होगी बढ़ोत्तरी 100 बाक्सों से की थी शुरुआत, अलग-अलग फूलों का निकाल रहे शहद

2 min read
Google source verification
वन क्षेत्र होने की वजह से संभाग में है मधुमक्खी पालन की अपार संभावना, बढ़ेगा फसलों का उत्पादन

वन क्षेत्र होने की वजह से संभाग में है मधुमक्खी पालन की अपार संभावना, बढ़ेगा फसलों का उत्पादन

शहडोल. उत्तर भारत के कुछ राज्यों तक सीमिति मधुमक्खी पालन को शहडोल जिले में भी अपनाया जा रहा है। वनीय संपदा व कृषि क्षेत्र से घिरा क्षेत्र होने की वजह से शहडोल संभाग में शहद उत्पादन की अपार संभावना है। जिसे देख स्थानीय युवाओं में भी रोजगार की नई उम्मीदे जगने लगी है। मधु पालन से अनजान शहडोल संभाग के किसान इसे नए रोजगार के अवसर के रूप में देख में रहे है। वनीय संपदाओं से परिपूर्ण कृषि क्षेत्र में भी मधुपालन की उपयोगिता बेहतर साबित होता देख अब इसे वृहद स्तर पर फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसमें स्थानीय युवा बाहर से संस्थानो से मदद ले रहे हैं। इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित करने के साथ ही मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। मधुमक्खी अनुसंधान केन्द्र मुरैना से प्रशिक्षण लेने के बाद धनपुरी के जय प्रकाश काछी पिछले पांच वर्ष से न केवल मधुमक्खी पालन कर शहद निकालने का काम कर रहे हैं बल्कि संभाग के अलग-अलग क्षेत्रों के किसानों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं। जिससे कि किसान मधुमक्खी पालन सीखकर इसे आय का श्रोत बना सके।
किसानों को कर रहे प्रशिक्षित
मुरैना से प्रशिक्षण लेने के बाद संभाग में मधुमक्खी पालन की अपार संभावनाओं को देखते हुए जय प्रकाश यहां के किसानों को इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। वह अलग-अलग फूल जिसमें यूकेलिप्टिस, सरसो, जामुन, अजवाइन, रमतिला का शहद निकालने का काम करते हैं। एस के एग्रोएसोसिएट, नारी विकास समिति व आईजीएनटीयू अमरकंटक से जुड़े होने की वजह से उन्हे किसानों को प्रशिक्षण दे रहे हैं।
शहद से महंगा है परागकण, 12 हजार लीटर बिक्री
मधुमक्खी पालन कर इससे निकलने वाले शहद से किसान ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। वहीं मधुमक्खियों के परागकण शहद से भी कहीं ज्यादा मंहगा है। बताया जाता है कि शहद की कीमत जहां 300-400 रुपए हैं वहीं परागकण की बाजार में कीमत 12000-13000 रुपए है।
पांच सौ पेटियों में कर रहे मधुमक्खी पालन
जयसिंहनगर से 100 पेटियों से मधुमक्खी पालन की शुरुआत करने वाले जय प्रकाश अनूपपुर के अमरकंटक, राजेन्द्रग्राम, तरंग, तुलरा, बगदरा व भेडऱी के बाद अब शहडोल मुख्यालय से लगभग 20 किमी दूर सिंहपुर से लगे मिठौरी जलाशय के समीय मधुमक्खी पालन का कार्य प्रारंभ किया है। जहां 500 बाक्सो में मधुमक्खी पालन कर शहद निकालने का काम किया जा रहा है।
शहद के साथ फसल उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी
जानकारों की माने तो मधुमक्खी पालन से न केवल शहद निकाला जा सकता है बल्कि इसके और भी बहुत से फायदे हैं। सबसे ज्यादा इसका फायदा किसानों को मिलता है। जिसे क्षेत्र में मधुमक्खी पालन होता है वहां आस-पास फसलों के उत्पादन में 40-45 प्रतिशत बढ़ोत्री हो जाती है। जिसका प्रमुख कारण फसलों के फूलों में बैठने वाली मधुमक्खियों द्वारा छोंड़े जाने वाले परागकण को माना जाता है।
एक बाक्स में 50 लीटर शहद
जय प्रकाश बताते हैं किसान 100 पेटी से भी मधुमक्खी पालन की शुरुआत करे तो उसके आय का बेहतर माध्यम बन सकता है। एक बाक्स में 8 छत्ते तैयार होते हैं। जिससे साल भर में 50 लीटर शहद निकाला जा सकता है। बाजार में शहद की कीमत 300-500 लीटर है। ऐसे में साल भर में किसान एक बाक्स से 15-20 हजार रुपए कमा सकता है।