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घाटे सौदे में सडक़ों पर नहीं दौड़ेगी बसें

दोहरी मार पर कैसे होगा बसों का संचालन, नहीं निकलेगा डीजल व स्टाफ का खर्चा, जिले में बसों के संचालन निर्देश को बस संचालकों ने नकारा

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घाटे सौदे में सडक़ों पर नहीं दौड़ेगी बसें

घाटे सौदे में सडक़ों पर नहीं दौड़ेगी बसें

शहडोल. शासन एवं प्रशासन स्तर पर जारी दिशा-निर्देशों पर जिले में बसों के संचालन का मामला खटाई में पड़ता दिख रहा है। शासन-प्रशासन स्तर पर जिस प्रकार के नियम व निर्देश जारी किए गए है। उसे बस संचालकों द्वारा पहले सिरे से ही नकारा जा रहा है। यही कारण है कि एक जून से अनलॉक-वन लागू होने के दो दिन बाद भी जिले में बसों का संचालन शुरू नहीं हो सका है। बस संचालकों का मानना है कि वह घाटे के सौदे में सडक़ों पर बसों को नहीं दौड़ा सकते है। 50 प्रतिशत की कैपासिटी में बसों का संचालन करने पर स्टाफ का खर्चा तो दूर वह डीजल का खर्चा भी नहीं निकाल पाएगे। ऐसी हालत उनकी क्षति की भरपाई कौन करेगा? इसके अलावा लॉकडाउन की अवधि में बसों का टैक्स और फाइनेन्स की राशि पर ब्याज का भुगतान वह कहां से करेंïï? इस पर भी सार्थक निर्णय लिया जाना चाहिए। साथ ही बसों के संचालन को आवश्यक सेवा कार्य में भी शामिल किए जाने की जरूरत है। तभी बसों का संचालन किया जा सकता है। बस ओनर्स बसों के संचालन के लिए एकदम तैयार हैं, मगर उन्हे अपनी मांगों पर शासन एवं प्रशासन स्तर पर सार्थक निर्णय का इंतजार है।
प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
जिलें में बसों के संचालन के लिए बुधवार को जिला बस ओनर्स एसोसिएशन ने जिला प्रशासन को अपनी आठ सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि यदि उनकी मांगों का निराकरण नहीं किया गया तो प्रादेशिक संगठन के आगामी आदेश तक संपूर्ण मध्यप्र्रदेश में बसों का संचालन बंद रहेगा। ज्ञापन में मांग की गई है कि लॉकडाउन अवधि तक के सभी प्रकार के परिवहन टैक्स समाप्त किया जाए। 50 प्रतिशत की क्षमता में बसों का संचालन कराने पर शासन द्वारा घाटा की क्षतिपूर्ति की जाए। सभी प्रकार के टोल टैक्स समाप्त किया जाए और परिवहन सेवा को अनिवार्य सेवा में शामिल किया जाए। ज्ञापन सौंपते समय उपाध्यक्ष रईस अहमद सहित अन्य कई पदाधिकारी मौजूद रहे।