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12 साल से घूमती रही मॉल की फाइल, और कमिश्नर बंगले की हो गई तैयारी

दफ्तरों में चल रही थी फाइल, मॉल दरकिनार कर कमिश्नर का बंगला प्रस्तावित

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File of mall roaming for 12 years, and commissioner bungalow's done

शहडोल- शहर के विकास की दिशा में मॉल, व्यावसायिक काम्प्लेक्स और पार्किंग के लिए पिछले १२ साल से दफ्तरों में फाइल चल रही है। ये फाइल पुराना कलेक्ट्रेट परिसर (प्रस्तावित कमिश्नर बंगला) की भूमि पर पार्किग और मॉल के लिए नगरपालिका की परिषद ने प्रशासन के समक्ष रखी गई थी। इसके बाद भी नगरपालिका को हस्तांतरित न करते हुए इस भूमि पर मॉल और व्यावसायिक काम्प्लेक्स के प्रस्ताव को अफसर भूल गए। इतना ही नहीं अफसरों ने शासकीय भूमि होने पर पार्किग, कारोबार और मॉल के प्रस्ताव को हरी झण्डी न देते हुए कमिश्नर का बंगला बनाने के लिए प्रस्ताव भेज दिया गया है। पूर्व कलेक्ट्रेट की भूमि पर शापिंग काम्प्लेक्स और मॉल व पार्किंग के लिए 2006 और 2014 की भी परिषद में कई बार मुद्दा उठा था लेकिन कोई प्रभावी पहल नहीं की गई। स्थिति यह है कि प्रदेश के सीएम को पत्र के बाद भी पूर्व कलेक्ट्रेट की भूमि को नपा के लिए हस्तांतरित नहीं किया गया है।

परिषद के बाद खुद भूले जनप्रतिनिधि
आश्चर्य की बात तो यह है कि शहर की जनता और व्यापारियों से जुड़े इस अहम मुद्दे को लेकर जनप्रतिनिधि खुद गैर जिम्मेदार नजर आए। 2006 और 2014 की नगरपालिका परिषद में भी यह मांग उठी थी। 2006 परिषद बैठक में अध्यक्ष सत्यभामा गुप्ता, उपाध्यक्ष प्रवीण शर्मा सहित 23 पार्षद शामिल थे। 2014 परिषद में अध्यक्ष प्रकाश जगवानी सहित उपाध्यक्ष प्रवीण शर्मा और दर्जनों पार्षद शामिल थे।
दोनों बैठकों में मॉल, शॉपिंग काम्प्लेक्स और पार्किंग के नाम पर परिषद ने प्रस्ताव भी पारित किया था लेकिन यह जमीन नगरपालिका को हस्तांतरित न होने पर कोई प्रयास नहीं किया गया। हाल ही में कुछ माह पहले तत्कालीन कलेक्टर मुकेश शुक्ल ने उक्त भूमि को कमिश्नर बंगला के लिए आवंटित कर दी थी।

परिषद 2006: की परिषद में इन प्रस्ताव पर मुहर
अध्यक्ष नगरपालिका सत्यभामा गुप्ता की परिषद में २००६ में पूर्व कलेक्ट्रेट की भूमि को नगरपालिका के लिए हस्तांतरित करने पर प्रस्ताव पारित हुआ था। पूरी परिषद ने निर्णय लिया था कि १० हजार वर्ग मीटर के पूर्व कलेक्ट्रेट के भूखण्ड को स्थानांतरित करने की मांग की जाएगी। इसके अलावा खाली भूमि पर व्यावसायिक परिसर, कार्यालय भवन, उद्यान निर्माण, पार्किंग के लिए उपयोग लिया जाएगा। इसके लिए बकायदा कलेक्ट्रेट भवन को दूसरे नए कलेक्ट्रेट भवन में शिफ्ट किया गया था।

परिषद 2014: मॉल व व्यावसायिक परिसर का प्रस्ताव
2014 की परिषद में पूर्व कलेक्टे्रट भूमि को नगरपालिका के हस्तांतरित करने का प्रस्ताव पारित हुआ था। यहां पर पार्किग और कारोबार को फोकस करते हुए प्लानिंग की गई थी। 12 अप्रैल 2007 से कलेक्टर को पुनराघनत्वीकरण योजना अंतर्गत भवन हस्तांतरित का पत्र दिया था लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। 6 जनवरी 2014 को उक्त भूमि पर मॉल, व्यावसायिक परिसर का प्रस्ताव पारित करते हुए सीएम को भी भूमि आवंटन का पत्र लिखा था लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया।

फाइल दौड़ाते रहे तीनों परिषद के अध्यक्ष
नगरपालिका की अध्यक्ष रह चुकीं सत्यभामा गुप्ता की परिषद में सबसे पहली बार यह मुद्दा उठाया था। सत्यभामा गुप्ता के अनुसार परिषद में व्यवसायिक काम्प्लेक्स, मॉल और पार्किग के लिए प्रस्ताव उठा था। इसके लिए फाइल भी चलाई थी लेकिन जमीन ट्रंासफर होना इतना आसान नहीं होता। भूमि मिल जाती तो परिषद और शहर विकास से जुड़े इस प्रस्ताव को गति मिल जाती।

प्रस्ताव पारित था, जमीन मिलती तो बात बनती
नगरपालिका के अध्यक्ष रह चुके प्रकाश जगवानी की परिषद में 2014 में पार्किग और मॉल के लिए प्रस्ताव पारित हो गया था। प्रकाश जगवानी के अनुसार हम जमीन हस्तांतरित का प्रयास कर रहे थे लेकिन नहीं मिली। अंतत कमिश्नर बंगला के लिए भूमि आवंटित कर दी गई। जमीन मिलती तो शहर में मॉल और व्यावसायिक परिसर के बनकर तैयार किया जा सकता था।

हमने तो बात की है नहीं बनने देंगे बंगला
नगरपालिका अध्यक्ष उर्मिला कटारे का कहना है कि पिछले 12 साल से मॉल और व्यावसायिक परिसर के लिए फाइल चल रही है। नगरपालिका से इस प्रस्ताव को लेकर पत्र भी भेजा है, सीएम को भी पत्र लिखा है। किसी भी हाल ही में शहर में कमिश्नर बंगला नहीं बनने देंगे। नपा पत्र लिखकर जमीन को मांग रही है, जहां पर शॉपिंग काम्प्लेक्स व मॉल तैयार कराया जाएगा।