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हमें अपनी आत्मा को उज्जवल बनाना है तो तपस्या करना अनिवार्य

मुनि श्री सुब्रत सागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित किया

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हमें अपनी आत्मा को उज्जवल बनाना है तो तपस्या करना अनिवार्य

हमें अपनी आत्मा को उज्जवल बनाना है तो तपस्या करना अनिवार्य

शहडोल. 10 लक्षण के अवसर पर पूजन भक्ति आराधना का आयोजन किया गया। 1008 श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर शहडोल में पारस विद्या भवन के अंतर्गत धर्म सभा का आयोजन हुआ। इससे पूर्व नवीन नमीनाथ भगवान की तीनों बेदियों पर विराजमान समस्त जिनेंद्र भगवान का वार्षिक महा मस्तकाभिषेक संपन्न किया गया। जिसमें सभी लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इस दौरान लोगों में जमकर उत्साह रहा। महा मस्तकाभिषेक होने के बाद पूरे समाज का समूह धर्मसभा में परिवर्तित हो गया, जहां पर विराजमान मुनि श्री सुब्रत सागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज 10 लक्षण धर्म का सप्तम दिवस है। जिसके दिन हम उत्तम तप धर्म की आराधना करती हैं धर्म के क्षेत्र में तब बहुत आवश्यक है किंतु गृहस्थ जीवन में संसार में भी बिना तपस्या की कोई भी काम संपन्न नहीं होता। अगर हमें अपनी आत्मा को उज्जवल बनाना है तो तपस्या करना बहुत अनिवार्य है। दिगंबर साधु की दीक्षा से लेकर पूरी जीवनी चरिया एक साधना से कमजोर नहीं होती है दिगंबर साधु का पूरा जीवन एक तपस्या ही होती है। मुनि श्री ने कहा कि एक बार एक राजा ने रिजा से कहा कि आपको एक कोयले को धोकर उज्जवल बनाना है लेकिन बहुत धोने के बाद भी वह उज्जवल ना होगा तो मंत्री ने कहा कि हम इसको उज्जवल कर सकते हैं। काला कोयला भी हम सफेद बना सकते हैं। राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ किंतु मंत्री ने उस कोयले में आग लगा दी फिर क्या था थोड़ी समय के बाद वह जलकर राख हो गया तो काला कोयला चांदी जैसा चमकने लगा जिसे देखकर राजा बड़ा खुश हुआ। राजा ने आश्चर्य किया कि काला कोयला भी कैसे चांदी जैसे सफेद बन गया। मंत्री ने कहा कोई भी कैसी भी वस्तु काली क्यों ना हो उसको तपस्या के माध्यम से उजरा बनाया जा सकता है। इसी तरह से हमारी आत्मा काली है कर्मों के द्वारा काली आत्मा को समय तपस्या के द्वारा बेहतर किया जा सकता है।