
शहडोल. आदिवासी इलाकों में नक्सली मूवमेंट बढ़ गया है। मंडला में नक्सली दो घटनाओं को अंजाम भी दे चुके हैं। इस वजह से शहडोल, उमरिया, बालाघाट, डिंडोरी और अनूपपुर में अलर्ट जारी कर दिया गया है। नक्सली घटनाओं को देखते हुए भोपाल से चौकन्ना रहने के निर्देश काफी पहले ही जारी कर दिए गए थे। नक्सली मूवमेंट को देखते हुए एडीजी भी यहां पर दौरा करके जा चुके हैं। नक्सल मूवमेंट के पीछे तेंदूपत्ता और बांस की उपज आना बताया जा रहा है।
फरवरी और मार्च के महीने में छत्तीसगढ़ से लगे इलाके में नक्सली मूवमेंट हर साल बढ़ जाता है। इसके पीछे की वजह वन उपज है। अपने मूवमेंट की गतिविधियां संचालित करने के लिए नक्सलियों को धन की भी जरूरत होती है। ये जरूरतें पूरी करने के लिए धन का एक बड़ा हिस्सा नक्सली वनोपज से ही प्राप्त करते हैं। मंडला के मोतीनाला
जिले के मोतीनाला थाना क्षेत्र के अंतर्गत जंगल में नक्सलियों द्वारा वनकर्मियों को धमकाने और वायरलेस सेट छीनने की घटना सामने आई थी। ये घटना 17 फरवरी के आसपास हुई। पुलिस अधिकारियों के अनुसार नक्सलियों ने जंगल में वनकर्मियों के साथ मारपीट करते हुए अभद्रता की। इतना ही नहीं नक्सलियों ने वायरलेस सेट भी छीन लिया। बताया गया कि वनकर्मी जंगल में गश्त कर रहे थे तभी अचानक हथियारबंद नक्सलियों से उनका सामना हो गया। वनकर्मी कुछ समझ पाते इसके पहले ही नक्सलियों ने घेर लिया और सेट छीन लिया। वारदात की सूचना वनकर्मियों ने पुलिस के समक्ष दर्ज कराई है। घटना के बाद पुलिस महकमा सकते में आ गया। उस घटना के बाद ही मोतीनाला क्षेत्र में सर्चिग बढ़ा दी गई। एडीजी ने एसपी के साथ पूरे इलाके में कॉम्बिंग की। हॉकफोर्स को भी अलर्ट कर दिया गया है। उधर पीएचक्यू के अलर्ट के बाद मप्र और छग की पुलिस टीम ने जंगलों में पड़ताल की। मामले में एफआईआर भी दर्ज कर ली गई थी। दूसरी घटना होली के आसपास हुई। इस दौरान नक्सलियों ने वन विभाग की अस्थाई चौकी में आग लगा दी थी। ये घटना भी मोतीनाला क्षेत्र में ही हुई। इन दो घटनाओं से इस क्षेत्र में दहशत का माहौल है।
डिंडौरी, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, बालाघाट में भी अलर्ट
मण्डला मोतीनाला वनपरिक्षेत्र में वनकर्मियों से नक्सली वारदात के बाद डिंडौरी में भी हाई अलर्ट जारी कर दिया है। छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे डिंडोरी के तीन थाना क्षेत्रों में अलर्ट कर दिया है। एसपी कार्तिकेयन .के ने हाईअलर्ट घोषित किया है। करंजिया , बजाग और समनापुर थाना क्षेत्रों में बढ़ाई गई चौकसी। उधर शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, बालाघाट में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
मप्र के जंगल हैं पनाहगार
छत्तीसगढ़ के बाद माओवादी अब मप्र के जंगलों को अपना सुरक्षित स्थान मान रहे हैं। भारी पुलिस पुलिस दबाव के चलते बड़ी वारदातों के बाद माओवादी मप्र के जंगलों में घुसपैठ बना रहे हैं। छत्तीसगढ़ में वारदातों को अंजाम देने के बाद माओवादी मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों में जाकर छिप जाते हैं। छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे मध्यप्रदेश के घने जंगल माओवादियों की पनाहगार बनते जा रहे हैं। माओवादियों के लिए ओडिशा, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सुरक्षित पनाहगार है। छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे आंध्रप्रदेश में पुलिस का नेटवर्क तगड़ा होने एवं ग ्रेहाउंडस के भय से माओवादी वहां जाने से डरते हैं। जिससे मध्यप्रदेश के जंगलों की ओर माओवादी भागते हैं।
माओवादियों ने बनाया अपना कॉरीडोर
माओवादियों ने मध्यप्रदेश में सुरक्षित पनाह लेने के लिए राजनांदगांव के रास्ते नया कॉरीडोर बनाया है। माओवादी नारायणपुर, कांकेर के जंगली इलाके से राजनांदगांव के जंगलों से होकर मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिले शहडोल, मंडला, डिंडौरी, बालाघाट पहुंचते हैं। इसके साथ ही उमरिया और अनूपपुर के जंगलों को भी संभावित माना जाता है।
माओवादियों का सुरक्षित मध्यप्रदेश
मप्र में पेंच, कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व होने के कारण यहां आरक्षित वन हैं। जंगल होने से इनमें मानव एवं सुरक्षाबलों की गतिविधियां कम हैं। इस कारण माओवादियों के लिए यह सुरक्षित स्थान बनते जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सीमावर्ती जंगलों में माओवादियों की गतिविधियां बढ़ रही हैं। नर्मदा, टांडा और सोन नदी को माओवादी लंबे समय से आवाजाही के लिए उपयोग करते आ रहे हैं। हालांकि इनमें भी सुरक्षा बल की नजर है।
माओवादियों का कई दलम सक्रिय
नक्सल प्रभावित माना जाने वाले बालाघाट में माओवादियों का अभी भी कई दलम सक्रिय हैं। टांडा दलम से लेकर मलाजखण्ड, देवरी और परसबाड़ा दलम की एक्टिविटी मिलती है। माओवादी छत्तीसगढ़ में वारदात करने के बाद मप्र को छिपने के लिए उपयोग कर रहे हैं।
Published on:
08 Mar 2018 11:31 am
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