
शाहजहांपुर। पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानन्द एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। प्रदेश ही नहीं देश भर की मीडिया में स्वामी चिन्मयानंद का नाम चर्चा में है। स्वामी चिन्मयानंद पर उन्ही के कॉलेज में पढ़ने वाली लॉ की एक छात्रा ने गंभीर आरोप लगाए थे जिसके बाद अचानक पूर्व मंत्री एक बार फिर सुर्ख़ियों में आ गए। स्वामी चिन्मयानन्द का मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एसआईटी का भी गठन कर दिया है। ये कोई पहला मामला नहीं है जब स्वामी चिन्मयानंद पर इस तरह का आरोप लगा है बल्कि इसके पहले भी वो विवादों में रह चुके हैं।
छात्रा ने लगाए आरोप
स्वामी चिन्मयानंद की गिनती एक समय भाजपा के दिग्गज नेताओं में होती थी। राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले चिन्मयानंद भाजपा के बड़े नेताओं के बेहद करीब रहे और अटल बिहारी वाजपेयी कैबिनेट में उन्हें गृह राज्य मंत्री जैसा बड़ा पद दिया गया। स्वामी चिन्मयानन्द अब एक बार फिर चर्चा में है। स्वामी चिन्मयानन्द के कॉलेज में पढ़ने वाली लॉ की छात्रा ने फेसबुक पर वीडियो अपलोड कर पीएम मोदी और सीएम योगी से मदद मांगी थी। उसने पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानन्द का नाम लिए बगैर उन पर गंभीर आरोप लगाए थे। आरोप लगाने के बाद छात्रा अचानक गायब हो गई। जिसके बाद छात्रा के पिता ने स्वामी चिन्मयानन्द पर बेटी को अगवा करने और धमकी देने का मुकदमा दर्ज कराया था।
चिन्मयानंद से भी मांगी गई रंगदारी
इस बीच स्वामी चिन्मयानद के मोबाइल पर वाट्सअप मैसेज भेज कर किसी ने पांच करोड़ रूपये की रंगदारी मांगी थी। इस मामले में स्वामी चिन्मयानंद के प्रतिनिधि ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। जिसकी जांच चल रही है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
छात्रा के गायब होने के बाद जब ये मामला मीडिया में सुर्ख़ियों में छाया तो वकीलों एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट से मामले का संज्ञान लेने की याचिका दायर की। इस बीच शाहजहांपुर पुलिस ने छात्रा को राजस्थान से बरामद कर लिया।जब ये बात सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आई तो छात्रा को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया गया। जहाँ पर छात्रा ने खुद को खतरा बताया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को एसआईटी से जांच कराने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने एसआईटी का गठन किया है।
स्वामी चिन्मयानंद ने दिया मीडिया को बयान
मामले के तूल पकड़ने के बाद भी स्वामी चिन्मयानद ने इस मामले पर खुल कर कोई बयान नहीं दिया। उनकी जगह पर उनके प्रतिनिधि ही मीडिया को बयान देते रहें। ये भी बताया गया कि इस बीच स्वामी चिन्मयानन्द का मौन व्रत भी था। स्वामी चिन्मयानन्द ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि वो नहीं समझ पा रहे हैं कि वो कौन लोग हैं जो जिले की प्रगति में और शैक्षिक उन्नति में घिनौना तरीका अपनाकर बाधा डाल रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है साथ ही एसआईटी का गठन हो चुका है। इस लिए कोई बात प्रेस को कह कर वो एसआईटी का रास्ता नहीं रोकना चाहते और सुनवाई को प्रभावित नहीं करना चाहते।
पहले भी लगे आरोप
चिन्मयानंद का विवादों से पुराना नाता है। इससे पहले 2011 में भी एक साध्वी ने चिन्मयानंद पर बलात्कार, जान से मारने की धमकी देना और जबरन गर्भपात कराने समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। स्वामी चिन्मयानन्द 1991 में बदायूं लोकसभा सीट पर शरद यादव को हरा कर सांसद चुने गए थे। जिसके बाद वो 1998 में मछलीशहर और 1999 में जौनपुर लोकसभा सीट से चुनकर संसद पहुंचे। स्वामी चिन्मयानंद की गिनती एक समय भाजपा के दिग्गज नेताओं में होती थी। राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले चिन्मयानंद भाजपा के बड़े नेताओं के बेहद करीब रहे और अटल बिहारी वाजपेयी कैबिनेट में उन्हें गृह राज्य मंत्री जैसा बड़ा पद दिया गया। स्वामी चिन्मयानन्द गोंडा के कालहंस क्षत्रीय राजपरिवार से आते हैं लेकिन उन्होंने अपनी कर्मभूमि मुमुक्षु आश्रम शाहजहांपुर को बनाया। वर्तमान में स्वामी कई संस्थाओं के अध्यक्ष भी है। स्वामी चिन्मयानंद भले ही अब सक्रिय राजनीति में कम नजर आते हो लेकिन उनकी पहुंच ऊपर तक है।
Published on:
04 Sept 2019 06:00 pm
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