कैसे शुरू होता है यह खेल शाहजहांपुर का जिला अस्पताल पंडित रामप्रसाद बिस्मिल चिकित्सालय के नाम पर है। जहां 24 घंटे मरीजों की भर्ती के लिये एक ट्रॉमा सेंटर, बनाया गया है। जहां एक्सीडेंट से लेकर कोई भी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का तत्काल उपचार किया जाता है, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल में बने अलग अलग वार्डों में भर्ती किया जाता है। सरकार ने मरीजों के बेहतर इलाज के लिये यहां बेहतर दवाई और सीटी स्कैन से लेकर अल्ट्रासाउंड ,डिजिटल एक्सर, पैथॉलॉजी के साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सक भी नियुक्ति किए हैं, जिससे अलग अलग बीमारी से पीड़ित गरीब जनता को पूरी तरह से इलाज मुहैया कराया जा सके। लेकिन यहां इलाज के नाम पर रेफर-रेफर का खेल खेला जा रहा है।
जिले के समाज सेवी असित पाठक ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है। असित पाठक के मुताबिक जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी, पीएचसी महज मरीजों को रेफर करने तक ही सीमित हैं। उन्होंने कहा कि यहां मौजूद डॉक्टर अस्पतालों में दवा का अभाव व विशेषज्ञों और अस्पतालों में मशीनों की कमी का हवाला देकर गुमराह करते हैं। यहां तक कि सामान्य रोग के मरीजों को भी बेहतर इलाज के नाम पर कमीशनबाजी के चलते बरेली के कुछ निजी अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। वहीं सड़क हादसों में जख्मी हुये अधिकतर लोगों को रेफर ही किया जाता है जिससे गरीब मरीजों को काफी परेशानी व फजीहत झेलनी पड़ती है। सरकारी अस्पतालों की इस बदहाल व्यवस्था से निजी अस्पताल कमाई का अड्डा बन गए हैं। ट्रॉमा सेन्टर के गेट पर एम्बुलेंस गाड़ियों के जमावड़े की तस्वीर इसका जीता जागता उदहारण है जो मरीजों को प्राईवेट अस्पतालों में ले जाने के लिये लाइन लगाकर खड़े हैं।
जिला अधिकारी से हुई शिकायत थाना परौर क्षेत्र जरौली निवासी समीर खां ने जिला अधिकारी अमृत त्रिपाठी को भेजे गये शिकायती पत्र में लिखा है कि उसकी पत्नी शबाना को पित्त में पथरी है। वह अपनी पत्नी को लेकर जिला अस्पताल गए थे उन्होंने वहां डॉक्टर को दिखाया जिसने तीन दिन की दबाई लिखी। तीन दिन बाद जब पत्नी को लेकर गया तो ऑपरेशन के नाम पर प्राईवेट अस्पताल ले जाने की सलाह दी, कहा कि इस अस्पताल में उपचार नहीं होगा। यही नहीं थाना सेहरामऊ क्षेत्र के मुरारी लाल ने बताया कि उनके रिस्तेदार का एक्सीडेंट हो गया था जिसको अस्पताल लाये थे जहां से इलाज के नाम पर बरेली रेफर कर दिया गया।
क्या कहना है सीएमओ का वहींं जब इस मामले में शिकायत के बाद सीएमओ आरपी रावत से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अगर किसी मरीज की हालत बहुत ज्यादा सीरियस है। जिसका इलाज यहां मुमकिन नहीं है उस मरीज को सरकारी 108 एम्बुलेंस से हायरसेंटर लखनऊ रेफर किया जा सकता है। जिला अस्पताल से किसी निजी अस्पताल में मरीज को रेफर नहीं किया जा सकता है। फ़िलहाल जिला अस्पताल में पर्याप्त सभी जीवन रक्षक दवायें मौजूद हैं। डॉक्टरों की पूरी टीम के साथ सीटी स्कैन मशीन, एक्सरे, मशीनें सहित सभी सुविधाएं हैं। इसके बाद भी मरीजों को गुमराह किया जा रहा है तो गलत है। मामले की जांच कराई जाएगी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।