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रानू गाय नहीं हमारे परिवार की सदस्य थी

गौ माता के निधन पर परिवार के सदस्य की तरह किया अंतिम संस्कार, घर से साड़ी भेंटकर दी विदाई, लक्ष्मी नगर में पशु प्रेम की दिखी अनूठी मिसाल

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Ranu was not a cow but a member of our family

शाजापुर। बिलखते हुए परिजनों और रहवासियों ने दी रानू को अंतिम विदाई

शाजापुर.

शहर के लक्ष्मीनगर में मंगलवार को पशु प्रेम की अनूठी मिसाल देखने को मिली। जबकि यहां पर एक गाय की मृत्यू होने पर किसी अपने खास परिजन की तरह लोगों ने गाय का अंतिम संस्कार किया। इसके पहले गाय की अंतिम यात्रा निकाली। जिसमें मोहल्ले के रहवासियों ने गाय के मृत शरीर पर साड़ी भी ओढ़ाई। बैंड के साथ निकली अंतिम यात्रा नगर में चर्चा का विषय बन गई।

जानकारी के अनुसार लक्ष्मी नगर में रहने वाले भंवरसिंह खिंची के यहां 20 वर्ष से ‘रानू’ (गाय) को परिवार के सदस्य की तरह ही पाला जा रहा था। खास बात यह है कि इस रानू से खिंची के परिवार सहित लक्ष्मीनगर के रहवासियों को भी लगाव हो गया था। मंगलवार को बीमारी के बाद गाय का निधन हो गया। इससे पूरे मोहल्ले में शोक की लहर दौड़ गई। इसके बाद लोगों ने तय किया कि जिस तरह रानू परिवार की सदस्य की तरह रही उसकी विदाई भी इसी तरह होगी। ऐसे में लोगों ने नगर पालिका का वाहन बुलवाया और बैंडबाजो के साथ हिन्दू रीति रिवाज से गाय की अंतिम यात्रा निकाली। इसके पूर्व सभी मोहल्लेवालों ने रानू का आशीर्वाद लिया और सभी ने उसे साड़ी ओढ़ाकर ईश्वर से आत्मशांति की कामना की। यहां से रवान होने के बाद जेसीबी के माध्यम से गड्ढा खोदकर गाय के शव का अंतिम संस्कार किया। यहां सभी ने दो मीनिट का मौन रखकर रानू को श्रद्धांजलि भी दी।

छलक पड़ी सभी की आंखे
रानू के निधन का सबसे ज्यादा दु:ख खिंची परिवार को था, जिन्होंने 20 सालों तक उसकी सेवा की और परिवार के सदस्य की तरह उसका ख्याल रखा। परिजनों की आंखों के आंसू सुखने का नाम नहीं ले रहे थे। वहीं आसपास के रहवासियों ने भी नम आंखों से रानू को अंतिम विदाई दी। भंवरसिंह ने बताया कि रानू हमारे परिवार के लिए मां जैसी थी। परिवार दु:खी है, गाय नहीं हमारी मां का निधन हुआ है। इसलिए परिवारिक सदस्य की तरह उसका अंतिम संस्कार किया गया।
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