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1000 रुपए का मुर्गा और 30 रुपए का अंडा बना रहा मालामाल

900-1000 रुपए प्रति मुर्गा एवं 30 रुपए प्रति अण्डा की दर से विक्रय कर रहे हैं। साथ ही एक सहरिया परिवार करीब 40 मुर्गा एवं 500 अण्डे बेच रहा है।

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1000 रुपए का मुर्गा और 30 रुपए का अंडा बना रहा मालामाल

1000 रुपए का मुर्गा और 30 रुपए का अंडा बना रहा मालामाल

श्योपुर. आदिवासी विकासखण्ड कराहल क्षेत्र के सहरिया परिवारों के लिए कड़कनाथ पालन आय का जरिया बना हुआ है। इससे सहरिया परिवारों ने तरक्की की रफ्तार पकड़ ली है। कुछ समय पहले तक यह परिवार देशी मुर्गीपालन में भरोसा रखते थे।

लेकिन अब यह देशी मुर्गीपालन की जगह कड़कनाथ नस्ल के चूजों का पालन पोषण कर मुनाफा कमा रहे हैं। पशुपालन विभाग और आजीविका मिशन इसमें इनका सहयोग कर रहे हैं। विभाग द्वारा प्रशिक्षण एवं भ्रमण के माध्यम से कड़कनाथ नस्ल के बारे में सहरिया परिवारों को न केवल जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं बल्कि चूजों का वितरण कर रहे हैं। कराहल क्षेत्र के 4 गावों में 40 यूनिट के मान से 2600 मुर्गे पालने का काम शुरू किया गया है।

कराहल निवासी मुकेश सहरिया, गोरस निवासी रामसिंह और रामचरण आदिवासी ने बताया कि कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गीपालन से हमारी आय बढ़ी है। साथ ही करीब 1 हजार रुपए प्रति मुर्गा और 30 रुपए प्रति अण्डा बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं।

65 हितग्राही ले रहे अब लाभ

कराहल क्षेत्र के 4 गावों में 65 हितग्राहियों के यहां कड़कनाथ के बच्चे बड़े होकर उनकी आमदनी का जरिया बन गए हैं। 900-1000 रुपए प्रति मुर्गा एवं 30 रुपए प्रति अण्डा की दर से विक्रय कर रहे हैं। साथ ही एक सहरिया परिवार करीब 40 मुर्गा एवं 500 अण्डे बेच रहा है। इससे उनको अच्छी आमदनी हो रही है।

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तकनीकी ज्ञान के साथ कर रहे का पालन पोषण

सहरिया आदिवासियों को प्रेरित करने का प्रयास किया तब जाकर वह कड़कनाथ का पालन कर रहे हैं। अब कई परिवार तकनीकी ज्ञान के साथ कड़कनाथ के चूजे प्राप्त कर उनके पालन-पोषण में सहायक बन रहे हैं।

-सोहन कृष्ण मुदगल, डीपीएम, आजीविका मिशन श्योपुर