
श्योपुर। जिले से दूर बियाबान जंगल में मां जगदम्बा का मंदिर है। मंदिर घने जंगल से घिरा होने के कारण यहां पहुंचना आसान नहीं है मगर फिर भक्त दूर दूर मां के दरबार में आते हैं,क्योंकि यहां मांगी जाने वाली मुराद मां कभी नहीं ठुकराती। ये मंदिर निसंतानों के लिए उम्मीद का सबसे बड़ा आसरा है।
जगत जननी मां जगदम्बा जंगल में विराजित होकर मंगल कर रही है। मातारानी के दर से सच्चे मन से प्रार्थना करने वाले भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते। किवदंती है कि मातारानी के दर पर आस्था के साथ पूजा करने पर सूनी गोद भी भर जाती है। यही वजह है कि नवरात्र में मातारानी के दर पर हजारों की संख्या में भक्तगण पहुंचते हैं।
जिला मुख्यालय से नैरोगेज ट्रैक पर 30 किमी दूर दुर्गापुरी नाम का स्थान है और रेल्वे स्टेशन भी है। जहां ट्रेन रुकती है और रोज करीब 5 हजार श्रद्धालु दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं। किवदंती है कि घनघोर जंगल में मौजूद मां दुर्गापुरी का मंदिर काफी पुराना है।
जिसका जीर्णोद्धार करीब 500 साल पूर्व एक संत द्वारा यहां की गई तपस्या और उसके बाद माता रानी के दर पर आने वालों की बढ़ती भीड़ के बाद होना शुरू हुआ। वियावान जंगल में दुर्गापुरी के स्थान पर एक संत ने तपस्या की, जिनकी मूर्ति माता रानी के मंदिर में बनी हुई है।
पाराशर बाबा के नाम से प्रसिद्ध इन संत की तपस्या का ही परिणाम रहा कि यह स्थान पूरे क्षेत्र ही नहीं बल्कि मप्र और राजस्थान के काफी क्षेत्र में प्रसिद्ध हो गया और यहां पर दर्शन के लिए दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं में तात्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह के नाम प्रमुख हैं।
अन्नपूर्णा मां को डेढ़ किलोमीटर लंबी चढ़ाएंगे चुनरिया
मां अन्नपूर्णा भक्त मंडल कराहल द्वारा पनवाड़ा माता मंदिर पर 24 सितंबर को डेढ़ किलोमीटर लंबी चुनरिया चढ़ाई जाएगी। जिसके लिए मंडल द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गई है। क्षेत्र की खुशहाली के लिए चढ़ाई जाने वाली इस चुनरिया के लिए लोगों को जोडऩे को पीले चावल दिए जा रहे हैं। मंडल द्वारा बताया गया कि कराहल के मां कात्यायनी के दरबार से सुसबह 10 बजे ये चुनरिया यात्रा प्रारंभ होगी और मां अन्नपूर्णा के दरबार में पहुंचेगी। जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होंगे।
Published on:
22 Sept 2017 03:03 pm
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