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श्योपुर

कार्यकर्ता बनने फर्जी तरीके से बेटी को बनाया पत्नी, और मिल गई नौकरी

श्योपुर / विजयपुर. आंगनबाड़ी केंद्र मेघपुरा में कार्यकर्ता की नौकरी को लेकर अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। यहां फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने के लिए कागजों में हेराफेरी कर बेटी को ही पत्नी बनाकर पूर्ववत आदिवासी कार्यकर्ता को विभागीय सांठ-गांठ के चलते हटवाकर स्वयं कार्यकर्ता बनकर आज तक आंगनबाड़ी केंद्र पर नौकरी कर रही […]

श्योपुरAug 07, 2024 / 11:18 pm

Seetaram Kushwaha

मामला विजयपुर परियोजना के अंतर्गत आने वाली आंगनबाड़ी केंद्र मेघपुरा का

श्योपुर / विजयपुर. आंगनबाड़ी केंद्र मेघपुरा में कार्यकर्ता की नौकरी को लेकर अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। यहां फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने के लिए कागजों में हेराफेरी कर बेटी को ही पत्नी बनाकर पूर्ववत आदिवासी कार्यकर्ता को विभागीय सांठ-गांठ के चलते हटवाकर स्वयं कार्यकर्ता बनकर आज तक आंगनबाड़ी केंद्र पर नौकरी कर रही है। ऐसा नहीं है कि, पीडि़त दलित ने इस तरह के फर्जी मामले के खिलाफ शिकायत नहीं की हो। पीडि़त द्वारा लगातार शिकायत करने के बाद दबंगई के आगे आदिवासी कार्यकर्ता पस्त हो गई। उधर जालसाजी कागजों के आधार पर कार्यकर्ता गायत्री कुशवाह आराम से केन्द्र का संचालन कर रही है।
दरअसल यहां हम बता दें कि, विजयपुर परियोजना के अंतर्गत आने वाली मेघपुरा आंगनबाड़ी केंद्र पर नियमानुसार दस साल पहले आवेदन भरने के बाद गोमती आदिवासी को कागजों के आधार पर नियुक्ति प्राप्त हुई थी, लेकिन वर्तमान कार्यकर्ता गायत्री कुशवाह के पिता अरुण कुशवाह ने विभागीय सांठ-गांठ कर कार्यकर्ता की नौकरी कर रही गोमती आदिवासी को वहां से हटवाकर फर्जी कागजों की दम पर अपनी बेटी को पत्नी बनाकर कार्यकर्ता बना दिया। हालांकि, तत्कालीन समय में शिकायत के बाद अधिकारियों ने जांच में दोषी पाए जाने पर गायत्री कुशवाह को सन् 2019 में पद से पृथक कर एक बार फिर सहायिका के पद पर पदस्थ गोमती आदिवासी को कार्यकर्ता के पद पर बने रहने का आदेश जारी कर दिया था, लेकिन सन् 2020 में दोबारा सांठ-गांठ कर गायत्री कुशवाह एक बार फिर से कार्यकर्ता बन बैठी और आज तक केंद्र का कागजों में ही संचालन करती चली आ रही है।

ऐसे प्राथमिकता रहती है नियुक्ति में

विभागीय नियमों के अनुसार आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं की नियुक्ति के समय अधिकारी आवेदन में लगे सभी दस्तावेजों के आधार पर मैरिट सूची तैयार करते हैं उसके बाद सबसे पहले स्थानीय एवं बीपीएल सहित आदिवासी वर्ग को प्राथमिकता दी जाती है। लेकिन उस समय गायत्री कुशवाह की शादी हुई नहीं थी, तो पिता अरुण कुशवाह के द्वारा नियुक्ति के लिए आवश्यक दस्तावेजों में हेराफेरी कर बेटी के पिता की जगह पति बनकर कागज तैयार कर व विभागीय अधिकारियों से सांठ-गांठ कर नौकरी हासिल कर ली जो आज तक चली आ रही है।

शिकायतकर्ता को संतुष्टि के लिए बना दिया सहायिका

जब तत्कालीन अधिकारियों को लगातार फर्जी तरीके की नौकरी की शिकायत मिलने लगी तो शिकायतकर्ता गोमती आदिवासी को मेघपुरा आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका बनाकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
नियुक्तियों में ऐसे कई कारनामे

विजयपुर परियोजना के अंतर्गत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं की नियुक्ति में इस तरह के कारनामे अन्य आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी हुए हैं। लेकिन उनको इसी तरह की दबंगई या फिर पैसे के बल पर शिकायतों को दबा दिया गया और शिकायतकर्ता ने हार मानकर घर बैठना ही मुनासिफ समझा। विभागीय जांच उच्च अधिकारियों के द्वारा की जाए तो कई मामले उजागर हो सकते हैं।
तरह का मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है, यदि शिकायतकर्ता हमें मय साक्ष्यों के साथ आवेदन देकर शिकायत करेगा तो हम इस तरह के मामले की जांच कर दोषी पाए जाने पर कार्यकर्ता को पद से पृथक करने की कार्रवाई करेंगे।
ज्योति चतुर्वेदी, परियोजना अधिकारी विजयपुर

हम शिकायत कर करके थक गए, लेकिन पैसे के आगे सब फेल हो गए। गायत्री कुशवाह आज तक फर्जी कागजों के सहारे नौकरी कर रही है। कोई भी कागज उसका सही नहीं है और न ही केंद्र पर आती है और आती भी है तो कभी कभार। लेकिन हम हार नहीं मानेंगे और आगे फिर से अब जो नये कलेक्टर साहब आएं हैं बताते हैं कि, सही को सही करते हैं तो हो सकता है कि, अब हमारी सुनवाई हो जाए।
गोमती आदिवासी, सहायिका आंगनबाड़ी केंद्र मेघपुरा

हम लोगों ने, फर्जी तरीके से जो कार्यकर्ता बनकर ग्वालियर से ही बैठकर केंद्र चला रही है, उसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन को की है हमारी बहू ने बारवीं परीक्षा पास कर ली लेकिन हमारी जायज नौकरी को भी पैसे के बल पर फर्जी लोगों ने हासिल कर ली जो ग़लत है तो फिर सरकार यह काहे कहती हैं कि, आदिवासी इस सरकार में परेशान नहीं होंगे सब बकवास है।

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